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सत्यपाल सिंह: अंडरवर्ल्ड और नक्सलियों की नकेल कसने वाला आईपीएस बना मंत्री

1980 के बैच के आईपीएस अधिकारी सत्यपाल सिंह मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस कमिश्नर का पद संभाल चुके हैं

FP Staff

उत्तर प्रदेश के बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह ने मोदी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली. सत्यपाल सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को धन्यवाद देते हैं. यह सत्यपाल सिंह का नहीं बागपत का सम्मान है. सत्यपाल सिंह को मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, जल संसाधन और गंगा सफाई राज्य मंत्री बनाया गया है.

भारतीय पुलिस सेवा यानी आईपीएस से त्यागपत्र देकर बीजेपी का दामन थामने वाले सत्यपाल ने 2014 में चौधरी अजित सिंह को चुनाव में पराजित किया था.


1980 के बैच भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सत्यपाल सिंह देश के पुलिस विभाग के सबसे सफल और कर्मठ पुलिस अधिकारियों में गिने जाते हैं और उन्हें 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक से सम्मानित किया गया.

आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके अदम्य साहस के बूते पर अंजाम दिए गए असाधारण कार्यों के लिए उन्हें विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया.

अंडरवर्ल्ड से लिया लोहा

1990 के दशक में मुंबई में संगठित अपराध की कमर तोड़ने वाले सत्यपाल सिंह मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस कमिश्नर का पद संभाल चुके हैं.

मुंबई में दोबारा से पनपते अंडरवर्ल्ड के खात्मे में इनका अहम योगदान माना जाता है. इनके पुलिस कमिश्नर रहते हुए मुंबई में क्राइम का ग्राफ काफी घट गया था. साथ ही इन्होंने मुंबई पुलिस और वहां की जनता के बीच मेल-जोल बढ़ाने के लिए भी काफी काम किए थे. ये अपने भाषणों में कई मौकों पर कह चुके हैं कि अपराधियों के लिए वे सबसे बड़े गुंडे हैं.

महाराष्ट्र में विभिन्न जगहों पर तैनात रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बड़े ही शानदार ढंग से पूरा किया. मुंबई के अपराध प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संगठित अपराध सिंडिकेट की रीढ़ को तोड़ने का काम किया. 1990 के दशक में मुंबई में छोटा राजन, छोटा शकील और अरुण गवली गिरोहों का आतंक था. पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. 2012 में वे मुंबई पुलिस कमिश्नर बने.

नक्सलवाद पर किया है पीएचडी

29 नवंबर 1955 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बसौली में जन्मे सिंह ने रसायनशास्त्र में एमएससी और एमफिल किया, आस्ट्रेलिया से सामरिक प्रबंधन में एमबीए, लोक प्रशासन में एमए और नक्सलवाद में पीएचडी किया.

बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिंह ने लेखन में भी अपने हाथ आजमाए और कई किताबें लिखीं. ज्ञान हासिल करने और उसे बांटने का सिलसिला यहीं नहीं थमा. वह वैदिक अध्ययन और संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं और आध्यात्मिकता, धार्मिक सौहार्द एवं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नियमित रूप से व्याख्यान दिया करते हैं.

अपनी बात को बेहतरीन तरीके से लोगों के सामने रखने में माहिर सत्यपाल सिंह गृह मामलों पर संसदीय सथायी समिति के सदस्य हैं और लाभ के पद से संबंधित संयुक्त समिति के अध्यक्ष हैं.

सबसे बड़े जाट नेता को दी थी मात

दरअसल मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान को केंद्रीय मंत्रिमंडल से दो दिन पहले ही हटा दिया गया. बालियान कृषि राज्यमंत्री थे. वह जाटों के बड़े नेता माने जाते हैं. राज्य के पश्चिमी इलाकों में जाट मतदाताओं की संख्या अधिक है.

वर्ष 2014 के चुनाव में ज्यादातर जाट मतदाताओं ने राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के बजाय बीजेपी का समर्थन किया था. यहां तक कि जाटों की पार्टी मानी जाने वाली रालोद के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी को भी हार का मुंह देखना पड़ा था.

माना जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व ने संजीव बालियान की जगह एक दूसरे जाट नेता सत्यपाल को मंत्रिमंडल में जगह देकर जाट मतदाताओं को साधने के साथ ही राज्य के पश्चिमी इलाकों में संतुलन बनाने की कोशिश की है.

जानकार मानते हैं कि बीजेपी नेतृत्व ने बालियान की अपेक्षा सजातीय और क्षेत्रीय आधार पर सत्यपाल को ज्यादा समर्थ माना और मंत्री बना दिया. सत्यपाल जब सीधे चुनाव में जाट की राजनीतिक पहचान बन चुके रालोद के मुखिया को हरा सकते हैं तो उनके वोट बैंक पर मजबूत सेंध क्यों नहीं लगा सकते?