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सत्ता के शिखर पर मोदी का अकेलापन

मोदी के भाषण की भावुकता इस बात का संकेत है कि वे शिखर पर अकेले हैं.

सुरेश बाफना

पणजी और बेलगाम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शैक्षणिक संस्था के 100 साल पूरे होने के कार्यक्रम में शामिल होने और ग्रीन फील्ड एअरपोर्ट की आधारशिला रखने के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, लेकिन उनके दिमाग में नोटबंदी को लेकर देश में हो रही परेशानी का मुद्दा ही छाया हुआ था.

वे खासतौर पर दिल्ली से संचालित टेलीविजन मीडिया द्वारा किए जा रहे कवरेज से बेहद नाराज दिखाई दिए, जो आम जनता को हो रही परेशानी के लिए निरन्तर मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वे इस बात से भी बेहद दुखी दिखाई दिए कि टीवी मीडिया काले धन के खिलाफ लड़ाई में सहभागी बनने की बजाय आम लोगों को भड़काने वाली रिपोर्टिंग में अधिक दिलचस्पी ले रहा है.


अमेरिका में फेसबुक के मुख्यालय में हुए कार्यक्रम में जब मोदी से मां के बारे में सवाल पूछा गया था तो पहली बार उनकी आंख में आंसू देखे गए थे. बेलगाम व पणजी में मोदी इस बात पर आक्रामक हो गए कि वे काले धन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल उनको निशाना बना रहे हैं.

राहुल गांधी पर सीधा हमला करते हुए मोदी ने कहा कि जिन लोगों ने कोयला, 2जी और 3जी घोटाले में अरबों रुपया खाया, अब उनको चार हजार रुपए लेने के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है. वे भावुक होने के साथ-साथ नोटबंदी का विरोध करने वालों के प्रति काफी आक्रामक दिखाई दिए. मोदी ने कहा कि इस लड़ाई में वे प्रधानमंत्री पद की कुर्सी भी दांव पर लगाने के लिए  तैयार है.

एक महत्वपूर्ण बात उन्होंने यह कही कि दिल्ली के एअर कंडीशंड कमरों में बैठे कुछ लोग उनकी सरकार के खिलाफ साजिश कर रहे हैं, जिनका काला धन नष्ट हो रहा है. ये कौन लोग हैं जो साजिश कर रहे हैं? मीडिया के लिए यह जांच का विषय होना चाहिए.

मोदी ने दो दिन में चार बार यह कहा कि काले धन के खिलाफ उनकी लड़ाई नोटबंदी के साथ खत्म नहीं होगी, बल्कि 30 दिसम्बर के बाद अगला कदम उठाया जाएगा. बेलगाम में उन्होंने यह घोषणा कर दी कि अगला निशाना बेनामी स‍ंपत्ति रखने वाले लोग होंगे. इसका अर्थ यह है कि देश भर में संपत्ति का सर्वेक्षण कराकर यह पता लगाया जाएगा कि बेनामी संपत्ति का मालिक कौन है?

पणजी और बेलगाम में हुए मोदी के भाषण से स्पष्ट है कि वे किसी भी सूरत में काले धन के खिलाफ छेड़ी गई इस जंग से पीछे हटने वाले नहीं है. यदि पार्टी के भीतर भी कुछ लोग उनके इस अभियान का विरोध करेंगे तो भी वे पीछे नहीं हटेंगे.

दिलचस्प बात यह है कि उत्तर प्रदेश में मायावती व मुलायम सिंह यादव ने नोटबंदी पर औपचारिक विरोध दर्ज कराकर चुप्पी साध ली है. शायद वे जानते हैं कि इस मुद्दे को अगर हाई पिच पर उठाया गया तो वे काले धन वालों के साथ खड़े दिखाई देंगे, जो चुनावी दृष्टि से नुकसानदेह होगा.

पणजी और बेलगाम में नरेन्द्र मोदी के भाषण की भावुकता व आक्रामकता इस बात का संकेत है कि वे सत्ता के शिखर पर खुद को बेहद अकेला महसूस कर रहे हैं. उनकी पार्टी के बहुत कम नेता जनता के बीच जाकर अपना पक्ष रखने की कोशिश कर रहे है. पार्टी के कई नेताअों को शायद यह लगता है कि यह मोदी का अपना निर्णय है, वे ही अब इसका सामना करें.