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सियासी महाभारत के नए अभिमन्यु हैं राहुल गांधी, क्या इस महागाथा की नायक बन पाएगी कांग्रेस?

गणतंत्र की इस सियासी महाभारत में कोई कौरव या पांडव नहीं है लेकिन 2 राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां विकास और भ्रष्टाचार के प्रमुख मुद्दे के साथ आमने-सामने हैं

Rituraj Tripathi

महाभारत की कहानी से हम सभी वाकिफ हैं. इसे दुनिया का सबसे विशाल युद्ध कहा जाता है. दावा यह भी किया जाता है कि इस युद्ध में करोड़ों लोग मारे गए थे और कौरवों को हार का सामना करना पड़ा था. युद्ध की वजह धर्म को स्थापित

करके अधर्म का नाश करना था.


गीता के चौथे अध्याय में सातवां श्लोक भी इसी बात को दर्शाता है, जिसमें श्रीकृष्ण कहते हैं..यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥  इस श्लोक में कृष्ण का अर्थ है..जब धर्म की हानि होती है, अधर्म बढ़ता है तो सज्जनों की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए मैं आता हूं और युग-युग में जन्म लेता हूं.

महाभारत काल में एक घटना घटी थी जिसे चक्रव्यूह और अभिमन्यु के पराक्रम की कहानी के रूप में सुनाया जाता है. दुनिया का सबसे विशाल युद्ध अपने चरम पर था. पांडवों को ललकारते हुए कौरवों ने चक्रव्यूह की रचना की थी. पांडवों

के सामने चुनौती थी कि या तो चक्रव्यूह तोड़ो या हार मान लो.

इतिहास यही कहता है कि प्राण जाई पर वचन न जाई. पांडव हार कैसे मान लेते. लेकिन उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही थीं. ऐसे में एक योद्धा सामने आया जिसने ताल ठोकते हुए कहा कि आप सब चिंता न करें, मैं इस

चक्रव्यूह को भेदने के लिए जाऊंगा. यह योद्धा अर्जुन पुत्र अभिमन्यु था.

अभिमन्यु वहां मौजूद योद्धाओं से उम्र में काफी छोटा था. लेकिन फिर भी वह चक्रव्यूह को तोड़ते हुए बहुत आगे निकल गया और कौरव सेना के महान योद्धाओं को पराजित करने लगा और आखिर में वीरगति पाते हुए इतिहास के पन्नों में अमर हो गया.

आज के समय का महाभारत है 2019 का लोकसभा चुनाव

2019 का लोकसभा चुनाव भी महाभारत के चक्रव्यूह से कम नहीं है. यह 2019 की सियासी महाभारत का सबसे निर्णायक मोड़ है. जिसकी महागाथा भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होगी. फर्क बस इतना है कि प्राचीन महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच धर्म और अधर्म के मुद्दे पर युद्ध हुआ था और आज की महाभारत में 2 राष्ट्रीय पार्टियां विकास और भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा मानते हुए आमने सामने हैं.

हालांकि बाकी पार्टियां भी महत्वपूर्ण हैं लेकिन प्रमुख रूप से लड़ाई कांग्रेस बनाम बीजेपी की ही है. आज की महाभारत में किसी को कौरव या पांडव नहीं कहा जा सकता लेकिन सियासी रणभूमि के बड़े-बड़े योद्धाओं के बीच चक्रव्यूह भेदने का साहस करने वाले राहुल गांधी ही दिखाई पड़ते हैं.

ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि हालही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जिस तरह राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की, वह अभिमन्यु की उस कामयाबी से मिलती है जिसमें उन्होंने महाभारत के चक्रव्यूह का पहला दरवाजा तोड़ा था.

अभिमन्यु ने पहले दरवाजे को तोड़ने के लिए बाणों की वर्षा की थी, वहीं राहुल गांधी ने भी विधानसभा चुनावों में 15 सालों से अडिग चक्रव्यूह को अपनी रणनीति के बाणों से ध्वस्त कर दिया. गुजरात के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी.

बीते सालों में राहुल गांधी की छवि में आया 'पॉजिटिव परिवर्तन' 

अब समय सियासी चक्रव्यूह के सबसे महत्वपूर्ण दरवाजे की लड़ाई का है. इस दरवाजे का नाम 'लोकसभा चुनाव 2019' है. यहां ऐसे योद्धा हैं जिन्होंने सियासत में कभी हार नहीं देखी, यहां ऐसे भी योद्धा हैं जिन पर यह शर्त लगाई जा सकती है कि वह नहीं हारेंगे, यहां वह योद्धा भी है जो अपने जीवन की पहली या आखिरी लड़ाई लड़ रहे होंगे.

ऐसे में राहुल गांधी के सामने यह चुनौती है कि वह सालों से जीतते आ रहे लोगों और पीएम मोदी की लोकप्रियता को अपने किस अस्त्र से जीतेंगे. बीते कुछ समय पर नजर डालें तो पाएंगे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी छवि में काफी परिवर्तन किया है.

2014 के लोकसभा चुनावों में जहां लोग राहुल को केवल 'पप्पू' के नजरिए से देखते थे वहीं आज सोशल मीडिया पर चल रहे तमाम जोक्स के बावजूद राहुल को 'पप्पू' कहने से पहले लोग एक बार सोचने लगे हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को बीजेपी के खिलाफ करारी हार का सामना करना पड़ा था. पीएम मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था.

जनता राहुल को पीएम मोदी से टक्कर लेने वाला नहीं मानती थी. कोई उन्हें बच्चा तो कोई बिना राजनीतिक समझ का शख्स बताता था. युवाओं के बीच भी राहुल की छवि पप्पू की तरह बना दी गई थी जो लोगों को 'क्यूट' तो लगता था लेकिन लोग उसे पीएम नहीं बनाना चाहते थे.

मां को गले लगाकर जनता को अपना बनाना सीख गए हैं राहुल गांधी

 

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले सब कुछ बदल गया है. बीते 5 सालों में राहुल गांधी ने जिस तरह से खुद को पीएम मोदी के खिलाफ तैयार किया है, उससे उनकी छवि पर काफी सकारात्मक असर पड़ा है. फिर चाहें राहुल का

राफेल मुद्दे को लेकर बीजेपी और पीएम मोदी को घेरना हो या जनता से यह कहना कि मुझसे असहज करने वाले सवाल कीजिए, मैं सवालों से बचूंगा नहीं.

बीते सालों में राहुल गांधी का बर्ताव, भाषा और शैली में काफी बदलाव दिखाई पड़ता है. गुजरात के भरूच में एक लड़की के साथ सेल्फी खिंचाना, कांग्रेस अधिवेशन में मां सोनियां गांधी को सबके सामने गले लगाकर आशीर्वाद लेना, संसद में पीएम मोदी को गले लगाना और कहना कि आप हमसे नफरत करिए लेकिन हम प्यार करेंगे, आप हमें पप्पू कहिए, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.

हालही में ओडिशा में एक सीढ़ियों से गिरे फोटोग्राफर को भी राहुल ने खुद जाकर उठाया था. यह राहुल की छवि में बदलाव और सुधार की सीढ़ियां हैं. विशाल रैलियों में जनता के सामने बीते काफी समय से राहुल राफेल मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं, हालही में उन्होंने अपनी बहन प्रियंका गांधी को भी सियासत में लाने का फैसला किया.

यह छवि सुधार के साथ राहुल की राजनीतिक रणनीति की ओर भी इशारा करता है. बीते समय में राहुल ईवीएम, राफेल, किसान कर्जमाफी, कंप्यूटर की जासूसी, सीबीआई विवाद के मुद्दे पर केंद्र पर जोरदार तरीके से हमला बोलते रहे हैं. बीजेपी के हिंदुत्व फॉर्मूले से लड़ने के लिए राहुल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि अपनाई है और अब वह मंदिरों में भी नजर आ जाते हैं. तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने से कांग्रेस का आत्मविश्वास भी बढ़ा हुआ दिखाई पड़ रहा है.

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले क्या कहते हैं सर्वे

लोकसभा चुनावों से पहले इंडिया टुडे, एबीपी न्यूज सीवोटर और फ़र्स्टपोस्ट नेशनल ट्रस्ट का सर्वे सामने आ चुका है जिसमें उन्होंने आगामी चुनाव के नतीजों को लेकर देश का मूड भांपने की कोशिश की है.

इंडिया टुडे के सर्वे का कहना है कि अगर आज चुनाव होते हैं तो त्रिशंकु संसद की स्थिति बनेगी और एनडीए को 99 सीटों का नुकसान होगा. वहीं एबीपी न्यूज सीवोटर के सर्वे का कहना है कि 2019 में नरेंद्र मोदी फिर पीएम बनेंगे वहीं

यूपीए का वोट शेयर बढ़ेगा.

सर्वे में इंडिया टुडे ने एनडीए को 237 सीटें और यूपीए को 166 सीटें दी हैं. वहीं बाकियों को 140 सीटें दी गई हैं. जबकि एबीपी न्यूज सीवोटर ने अपने सर्वे में एनडीए को 276 सीटें, यूपीए को 112 सीटें और बाकियों को 155 सीटें दी हैं.

इंडिया टुडे के सर्वे का कहना है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में एनडीए को 99 सीटों का घाटा होगा वहीं यूपीए को 106 सीटों का फायदा होगा. और बाकी पार्टियों को 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा.

वहीं एबीपी न्यूज सीवोटर के सर्वे का कहना है कि एनडीए का वोट शेयर 38 फीसदी और यूपीए का वोट शेयर 25 फीसदी होगा. बाकी पार्टियों का वोट शेयर 37 फीसदी होगा. सर्वे के मुताबिक जो नतीजे सामने आ रहे हैं उससे पीएम मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की चिंता बढ़ सकती है.

एबीपी न्यूज सीवोटर का कहना है कि 2019 के चुनावों में कांग्रेस को यूपी में ज्यादा सीटें मिलेंगी. सर्वे के मुताबिक एनडीए दक्षिणी राज्यों में यूपीए से पीछे होगा.

कुल मिलाकर एबीपी न्यूज सीवोटर सर्वे का कहना है कि अगर अभी चुनाव होते हैं तो बीजेपी को 248 सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को 100 से भी कम. वहीं इंडिया टुडे के मुताबिक अभी चुनाव होने की स्थिति में बीजेपी को 245 सीटें और कांग्रेस को 83 सीटें मिलेंगी.

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