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मिशन 2019: दक्षिण-पूर्वी राज्यों पर BJP देगी खास ध्यान, छोटे दलों का लेगी साथ

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु के अलावा ओडिशा और पश्विम बंगाल जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है. इसे देखते हुए बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इन राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए खास रणनीति तैयार की है

Bhasha

बीजेपी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के संदर्भ में कोरोमंडल समुद्रतट के किनारे बसे दक्षिणी और पूर्वी तटीय राज्यों में पूर्वोत्तर की तर्ज पर छोटे दलों को साथ लाने की संभावना पर विचार कर रही है.

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु के अलावा ओडिशा और पश्विम बंगाल जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है. बीजेपी ने इन राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए खास रणनीति तैयार की है.


पूर्वोत्तर के राज्यों में बीजेपी ने करीब दो साल पहले छोटे राजनीतिक दलों के साथ नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) का गठन किया था. इस गठबंधन के संयोजन की जिम्मेदारी कांग्रेस से बीजेपी में आए हेमंत विश्व शर्मा को दी गई थी. बीजेपी का यह गठजोड़ पूर्वोत्तर के 5 राज्यों में अपनी सरकार बनाने में सफल रहा.

दक्षिण भारत की रणनीति बनाने में खास ध्यान दे रही है बीजेपी

समझा जाता है कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद सरकार बनाने में विफल रहने के बाद बीजेपी नेतृत्व दक्षिण भारत की रणनीति पर मंथन कर रहा है. इसमें क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल के विषय पर भी विचार किया गया है.

पार्टी सूत्रों ने बताया कि दक्षिण में इस रणनीति को आगे बढ़ाने के लिए दो महासचिवों राम माधव और मुरलीधर राव को जिम्मेदारी दी गई है.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का जोर कोरोमंडल के तट पर बसे राज्यों की 150 से अधिक लोकसभा सीटों पर है. इनमें पश्चिम बंगाल (42 सीट), तमिलनाडु (39 सीट), ओडिशा (21 सीट), आंध्र प्रदेश (25 सीट), तेलंगाना (17 सीट), केरल (20 सीट) महत्वपूर्ण है जहां क्षेत्रीय दलों का दबदबा है.

पिछले लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में बीजेपी ने तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ गठबंधन किया था और इस गठबंधन को चुनाव में अच्छी सफलता मिली थी. हालांकि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के मुद्दे पर टीडीपी और बीजेपी का गठबंधन टूट गया है.

समझा जाता है कि इन दोनों राज्यों में बीजेपी की प्रदेश इकाई वाईएसआर कांग्रेस के साथ सहयोग पर जोर दे रही है.

आंध्र प्रदेश बीजेपी के एक नेता ने बताया कि इससे जुड़ी सभी संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है. इसके साथ ही संगठन को भी लगातार मजबूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है.

पूर्वोत्तर की तरह गठजोड़ की कवायद के तहत तमिलनाडु में बीजेपी विजयकांत के डीएमडीके, ई आर ईश्वरन की केएमडीके, एस रामदास की पीएमके, वायको की एमडीएमके, ए सी षणमुगम की पीएनके जैसे छोटे दलों के साथ सहयोग की संभावना पर भी विचार कर रही है.

केरल में तीसरी ताकत के रूप में उभर पाएगी बीजेपी?

केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और सीपीएम के नेतृत्व वाले (एलडीएफ) गठबंधन का ही बीते 4 दशक से शासन रहा है. ऐसे में बीजेपी राज्य में तीसरी ताकत के रूप में उभरने का पूरा प्रयास कर रही है. इस क्रम में बीजेपी इस राज्य में भारत धर्मा जना सेना (बीडीजेएस) जैसे संगठनों के साथ सहयोग की संभावना पर विचार कर रही है.

ओडिशा में साल 2000 से बीजू जनता दल (बीजेडी) प्रमुख और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में सरकार है. बीजेपी को लगता है कि ओडिशा में सरकार विरोधी रुख का उसे लाभ मिल सकता है क्योंकि कांग्रेस वहां बीते वर्षों में कमजोर हुई है. इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष ओडिशा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक आयोजित की गई थी.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक जैसे प्रदेशों पार्टी संगठन के कार्यों पर सीधे नजर रख रहे हैं जिसमें बूथ स्तर तक से फीडबैक लिए जा रहे हैं. इनमें विस्तारक योजना, बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने और शक्ति केंद्रों और शक्ति प्रमुखों की सुव्यवस्थित श्रृंखला तैयार करने का कार्यक्रम शामिल है.

देश की 60 प्रतिशत आबादी के 35 वर्ष से कम आयु होने को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने खास तौर पर कोरोमंडल के इन राज्यों में अपने अभियान के केंद्र में युवाओं और दलितों समेत समाज के कमजोर वर्ग को रखा है.