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लोकसभा चुनाव 2019: फ़र्स्टपोस्ट से बोले रूपाणी- मोदी मैजिक बरकरार, पीएम BJP के ट्रंप कार्ड हैं

विजय रूपाणी ने कहा 'हम युवाओं पर खास ध्यान दे रहे हैं और करीब एक लाख युवाओं को रोजगार की ट्रेनिंग देने वाले हैं'

Ajay Singh

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी जोर देकर कहते हैं कि उन्हें यकीन है कि बीजेपी 2014 के लोकसभा चुनाव जैसा ही प्रदर्शन 2019 के आम चुनाव में भी करेगी. रूपाणी का मानना है कि 'मोदी मैजिक' अभी भी कायम है और खत्म नहीं हुआ है. रूपाणी कहते हैं कि, 'हमें 2019 के लोकसभा चुनाव को गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रिज्म से नहीं देखना चाहिए'.

मंगलवार को विजय रूपाणी ने फ़र्स्टपोस्ट से गांधीनगर में अपने सरकारी आवास पर इंटरव्यू में तमाम मसलों पर खुलकर बात की. उन्होंने ये इंटरव्यू बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय पर होने वाली पार्टी के मुख्यमंत्रियों और उप-मुख्यमंत्रियों की बैठक में शामिल होने से पहले दिया. इस इंटरव्यू में वो आत्मविश्वास से लबरेज नजर आए. रूपाणी ने कहा कि जो लोग दिसंबर 2017 में गुजरात विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को मिली जीत को कम कर के आंक रहे हैं, वो लोगों की नब्ज टटोलने में नाकाम हैं. रूपाणी कहते हैं कि, 'हमने तमाम चुनौतियों के बावजूद चुनाव जीता था'.


दलित और आदिवासी खुद की पहचान बीजेपी के साथ देखते हैं

विजय रूपाणी आगे कहते हैं कि, 'लंबे वक्त के बाद कांग्रेस ने गुजरात को जातिवादी और सांप्रदायिक तनातनी की तरफ धकेलने में बहुत ताकत लगाई हुई थी'. रूपाणी का इशारा जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल की जातिवादी राजनीति के उभार की तरफ था. रूपाणी कहते हैं कि, 'ये एक अस्थाई दौर था, जो बीत चुका है'.

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हालांकि रूपाणी को ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि मेवाणी कांशीराम या मायावती की तरह दलित उत्थान के कद्दावर नेता बनकर उभरेंगे. रूपाणी कहते हैं कि, 'ऐसा करीब-करीब नामुमकिन है, क्योंकि दलित और आदिवासी खुद की पहचान बीजेपी के साथ देखते हैं. हमारे पास विरोधियों के मुकाबले ज्यादा दलित और आदिवासी विधायक हैं'. विधानसभा में एक बहस का हवाला देते हुए विजय रूपाणी कहते हैं, 'मैंने विधानसभा को जानकारी दी कि हमारी सरकार ने दलितों के कल्याण के लिए कौन-कौन सी योजनाएं चला रखी हैं. इसके बाद विपक्ष का मुंह बंद हो गया.'

जब हमने विजय रूपाणी से ये पूछा कि क्या बीजेपी को अपने अंदर झांकने की जरूरत महसूस हो रही है, क्योंकि गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों को अक्सर बीजेपी की नैतिक हार बताया जाता रहा है, तो रूपाणी कहते हैं, 'हम इस बात को लेकर काफी चौकन्ने हैं कि कांग्रेस और दूसरे लोग समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं और हम एक सियासी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जो ऐसी कोशिशों को नाकाम करे... हम संघ की संस्कृति में पले-बढ़े हैं जहां जातिवादी बंटवारा और भाषाई संघर्ष का कोई मतलब नहीं'.

रूपाणी आगे कहते हैं कि सरकारी स्तर पर उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए हैं जो ग्रामीण इलाकों की परेशानी को दूर करें और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का भला करें. मुख्यमंत्री कहते हैं कि, 'हमारे राष्ट्रवाद में सोशल इंजीनियरिंग की बहुत अहमियत है'. रूपाणी के मुताबिक जाति भारत की एक ऐसी सच्चाई है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.

मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पहले कार्यकाल (2016-17) के दौरान जहां रूपाणी संकोची थे और कम बोलते थे. लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में वो आत्मविश्वास से भरे दिखाई देते हैं. वो इस बात से परेशान नहीं दिखते कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव बमुश्किल ही जीता था.

बीजेपी ने ग्रामीण विधानसभा सीटों पर भी भारी जीत दर्ज की है

पहले कार्यकाल में अपनी चुप्पी पर रूपाणी सफाई देते हैं कि, 'आप देखिए कि मैं जब मुख्यमंत्री के तौर पर यहां आया था, तो चुनावों का दबाव सिर पर था. अब मैं अपनी सरकार को तीन बुनियादी बातों पर चलाना चाहता हूं. ये हैं पारदर्शिता, ईमानदारी और अच्छा प्रशासन'. लेकिन क्या मुख्यमंत्री को अंदाजा है कि उनकी निगरानी में सरकार की ताकत कमजोर होने का माहौल बन रहा है?

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विजय रूपाणी ईमानादारी से जवाब देते हैं कि उनके काम करने के तरीके की तुलना नरेंद्र मोदी के कामकाज से करना ठीक नहीं है. वो कहते हैं कि, 'मोदी जी कहां और हम कहां!' रूपाणी के जवाब में नरेद्र मोदी के प्रति सम्मान और उनके रोब का असर साफ दिखता है. सरकार के इकबाल के कमजोर होने पर सफाई देते हुए मुख्यमंत्री कहते हैं कि, 'ऐसी तुलना सरासर गलत है क्योंकि हर इंसान के काम करने का अपना अलग तरीका होता है'. रूपाणी कहते हैं कि प्रशासन के कमजोर होने की सोच रखना गलत है.

गुजरात के ग्रामीण इलाकों में हालात बिगड़ने की खबरें आ रही हैं. मगर, रूपाणी इन्हें सिरे से खारिज करते हैं. वो कहते हैं कि, 'ये सही नहीं है क्योंकि हमने ग्रामीण विधानसभा सीटों पर भी भारी जीत दर्ज की है'.

रूपाणी बताते हैं कि वो केंद्र सरकार के साथ मिलकर किसानों को उनकी फसल की सही कीमत दिलाने के लिए काम कर रहे हैं. जब मुख्यमंत्री से ये पूछा गया कि क्या वो केंद्र सरकार की तर्ज पर राज्य में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था लागू करने की योजना बना रहे हैं, तो रूपाणी ने कहा कि, 'ये कुछ-कुछ न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसा ही होगा, जो किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य दिलाएगा'. वो ये भी कहते हैं 'हम इसी के साथ राज्य मे खेती के आधुनिकीकरण की भी योजना बना रहे हैं'.

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एक लाख युवाओं के देंगे ट्रेनिंग

विजय रूपाणी ने रोजगार मेले के आयोजन की तैयारी के हवाले से बताया, 'हम युवाओं पर खास ध्यान दे रहे हैं और करीब एक लाख युवाओं को रोजगार की ट्रेनिंग देने वाले हैं'. इस रोजगार मेले के जरिए उनकी सरकार करीब 4 लाख युवाओं को रोजगार देने की योजना पर काम कर रही है.

रूपाणी कहते हैं कि, 'मुझे यकीन है कि इन कदमों से हम जरूरतमंद लोगों को रोजगार दे सकेंगे'. सरकार के अन्य कल्याणकारी कदमों का जिक्र करते हुए रूपाणी कहते हैं कि उनकी सरकार बुजुर्ग होती आबादी का खयाल रखने की योजना पर भी काम कर रही है. जिन लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा है, जिनकी आमदनी 6 लाख रुपए सालाना से कम है, उन्हें कुछ खास बीमारियों के इलाज के लिए तीन लाख तक की मदद दी जाएगी.

अपनी बहादुरी भरी बातों और कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद क्या मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को यकीन है कि वो 2019 में राज्य की सभी 26 लोकसभा सीटें पार्टी को जिता सकेंगे? इस सवाल के जवाब में रूपाणी एक पल को ठहरकर सोचते हैं. मन ही मन कुछ हिसाब लगाते हैं और फिर वो निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत के आंकड़े बताते हैं. वो कहते हैं कि, 'अगर विधानसभा चुनाव में मिले वोटों के हिसाब से ही गुजरात की 26 लोकसभा सीटों का आकलन करें, तो हम ने 18 सीटें जीत ली होतीं. आप देखिए कि हमारा सबसे बड़ा ट्रंप कार्ड हैं नरेंद्र मोदी. और मैं आप को बता दूं कि पिछले सालों में उनकी लोकप्रियता बढ़ी ही है'.