बिहार की शराब निर्माता कंपनियों ने अपने गोदामों में पड़े कच्चे माल और पुराने स्टॉक खत्म करने के लिये और समय मांगा है. शराब कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर की है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 31 मार्च को इन कंपनियों को अपने पुराने स्टॉक खत्म करने के लिए 31 मई तक का वक्त दिया था. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वो राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद पुराने स्टॉक खत्म के लिए राज्य सरकार द्वारा मंजूर ‘प्रस्ताव’ का पालन करें.
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ के सामने वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने इस मामले का जिक्र किया. इस पर हाईकोर्ट ने इसे 29 मई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
200 करोड़ से अधिक के स्टॉक को खत्म कर पाना मुमकिन नहीं
अमित सिब्बल ने कहा कि कंपनियों के लिये इतने कम समय में दो सौ करोड़ रुपए से अधिक के पुराने स्टॉक को खत्म कर पाना मुमकिन नहीं है. क्योंकि इसे नष्ट करने या इसके निर्यात के लिये एक तयशुदा प्रक्रिया का पालन करना होगा.
बिहार सरकार ने राज्य में शराब के सेवन, भंडारन ओर बिक्री पर 30 मार्च को टोटल बैन लगा दिया था. सरकार ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें इन कंपनियों को अपना पुराना स्टॉक दूसरे राज्यों को भेजने की इजाजत मांगी गई थी.
राज्य सरकार ने इन कंपिनयों को आबकारी और गैर-आबकारी जिंसों को 30 अप्रैल तक निर्यात करने की अनुमति दी थी. इसके बाद ये कंपनियां ऐसा नहीं कर सकती थीं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शराब निर्माताओं की याचिका पर इसकी समय सीमा 31 मई तक बढ़ा दी थी.