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केजरीवाल सरकार: एक और बहाना तो नहीं शराब-दुकान बंद करने का फैसला

दिल्ली सरकार का ये फैसला सुनने में तो अच्छा लग रहा पर इसकी कानूनी वैध्यता पर सवाल उठ रहे हैं

Kangkan Acharyya

लोगों की शिकायत पर किसी इलाके की शराब दुकान को बंद कर दिया जाएगा. दिल्ली आबकारी विभाग (एक्साइज डिपार्टमेंट) के इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं. विभाग ने रोहिणी और दिलशाद गार्डन इलाके में हाल में दो जन-सुनवाइयां कीं. इन इलाकों के शत-प्रतिशत निवासियों ने वहां कायम शराब की दुकानों के खिलाफ वोटिंग की. लेकिन कुछ निवासियों का यह भी मानना है कि फैसला एक बहानाबाजी भर है. इन निवासियों को आशंका है कि फैसला कानूनी रूप से जायज नहीं है.

आम आदमी पार्टी की सरकार एक साल पहले दिल्ली में शराब की 399 नई दुकानों को खोलने की अनुमति देने के कारण खुद ही लोगों के निशाने पर आ गई थी. लोगों की शिकायत पर शराब दुकानों को बंद करने का फैसला इसके बाद लिया गया है.


क्या खास है फैसले में

लोगों की शिकायत पर शराब की दुकानों को बंद करने के दिल्ली सरकार के फैसले के बारे में ‘द हिन्दू’ अखबार ने लिखा है कि अगर निवासी “शिकायत करते हैं कि कि उनके इलाके में शराब दुकानों के कारण परेशानी खड़ी हो रही है तो ऐसी दुकान को बंद कर दिया जाएगा.” शराब दुकानों के कारण हो रही परेशानियों के बारे में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के पास बहुत सारी शिकायतें आई थीं. इसके बाद यह फैसला लिया गया.

आबकारी विभाग के एक सूत्र ने बताया कि “जोर इस बात पर है कि शराब दुकानों के मामले में भी लोगों के हित को तरजीह मिलनी चाहिए. अगर किसी इलाके के लोग नहीं चाहते कि उनकी रिहाइश की जगह पर शराब की दुकान हो तो फिर दुकान वहां नहीं होनी चाहिए.”

आबकारी विभाग रोहिणी और दिलशाद गार्डन में कुछ शराब दुकानों को बंद करने की कार्रवाई शुरू कर चुका है. शराब दुकानों को बंद करने को लेकर बनाए गए नियम के मुताबिक किसी इलाके के आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को इलाके के विधायक पास दुकान (शराब) के बारे में शिकायत दर्ज करानी होगी. जिला प्रशासन इस शिकायत के बाद इलाके के निवासियों की बैठक बुलाकर जन-सुनवाई करेगा. बैठक में इलाके के कम से कम 15 फीसदी मतदाता मौजूद होने चाहिए और इन मतदाताओं में 33 फीसदी तादाद महिलाओं की होनी चाहिए.

केजरीवाल इससे पहले भी मोहल्ला क्लीनिक जैसे अलग प्रयोग कर चुके हैं

जनसुनवाई की रिपोर्ट आबकारी विभाग के पास भेजी जाएगी और रिपोर्ट के आधार पर विभाग शराब-दुकान को बंद करने की कार्रवाई शुरू करेगा. इस प्रक्रिया के बारे में इंडिया टुडे ने दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के हवाले से लिखा है, 'अगर बैठक में मौजूद दो तिहाई लोग दुकान को बंद करने का निर्णय लेते हैं तो फिर दुकान वहां से हटा ली जाएगी. लेकिन तब भी यह दुकान किसी जगह तभी खोली जा सकेगी जब वहां के लोग इस बात की मंजूरी दें.'

रोहिणी और दिलशाद गार्डन में ऐसी जन-सुनवाई हाल के वक्त में हुई है और इलाके के बहुत सारे निवासियों ने शराब-दुकान बंद करने की इस प्रक्रिया में पूरे उत्साह के साथ भाग लिया. हालांकि कई अन्य निवासियों को प्रक्रिया की कानूनी वैधता को लेकर संदेह है. दरअसल शराब की दुकान को कहीं और ले जाने का मतलब होगा पहले वाली जगह पर उस दुकान को बंद करना और शायद ही कोई आरडब्ल्यूए अपने इलाके में इस शराब दुकान को खोलने देने के लिए राजी होगा. ऐसी हालत में शराब-दुकानदार कह सकता है कि उसके जीवन जीने और जीविका चलाने के अधिकार को चुनौती मिल रही है.

अपने ऑड-ईवन फैसले के लिए भी ये सरकार चर्चा में रह चुकी है

क्या कानूनी रूप से सही नहीं है फैसला?

आरडब्ल्यूए के एक संघ यूनाइडेट रेजिडेन्टस जॉइंट एक्शन (यूआरजेए) के अधिकारी आशुतोष दीक्षित का कहना है कि “किसी दुकान के पास जायज लाइसेंस है तो सिर्फ इस आधार पर कि लोग उस दुकान को नापसंद करते हैं आखिर कैसे कोई उसे कानूनी तरीके से बंद कर सकता है? यह तो बिल्कुल गंवई पंचायत जैसा फैसला करना कहलाएगा.”

आशुतोष दीक्षित का सवाल है कि वैध लाइसेंस वाली दुकान को सरकार किस प्रावधान के तहत बंद करेगी, यह बात आबकारी विभाग ने स्पष्ट नहीं की है. दीक्षित ने यह भी कहा कि जबतक सरकार यह नहीं स्पष्ट करती कि किस प्रावधान के तहत दुकानों को बंद किया जायेगा, यूआरजेए इस फैसले को गंभीरता से नहीं लेगा.

निवासियों को आशंका है कि शराब-दुकानों को बंद करने का फैसला मनमाने ढंग से लिया गया है और इस फैसले को अदालत में चुनौती मिलेगी, ऐसे में सारी कवायद बेकार जायेगी. लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तमाम कानूनी नुक्तों पर विचार करने के बाद ही शराब-दुकान को बंद करने का फैसला लिया जायेगा.

विभाग के एन्फोर्समेंट ऑफिसर (प्रवर्तन अधिकारी) जेपी सिंह ने बताया कि “ जब कोई सक्षम अधिकारी कोई फैसला लेता है तो उस फैसले के पीछे मदद के तौर उचित कागजी तैयारी की जाती है. शराब दुकान को बंद करने से पहले हर कानूनी नुक्ते पर निश्चित ही गौर किया जायेगा.”

कई निवासियों को आशंका है कि फैसला कही आम आदमी पार्टी सरकार की वादाखिलाफी का एक और नमूना ना साबित हो क्योंकि इस सरकार का जाहिरा तौर पर एक रिकार्ड रहा है कि वह पहले लोक-लुभावन वादे करती है फिर उसे निभाने की बात आती है तो भाग खड़ी होती है.

गौरतलब है कि कभी अरविन्द केजरीवाल के करीबी रहे योगेन्द्र यादव ने पिछले साल आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में 399 नई शराब दुकान खोलने का लाइसेंस जारी किया है जबकि इस पार्टी ने अपने चुनाव के वक्त वादा किया था कि सरकार बनने के एक महीने के भीतर सारे मादक पदार्थों की बिक्री पर रोक लगा दी जायेगी.