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जानिए, किस वकील की वजह से मुश्किलों में घिरी केजरीवाल सरकार

प्रशांत पटेल ने सितंबर 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति के सामने याचिका दायर कर संसदीय सचिवों की गैरकानूनी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे

FP Staff

दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) को शुक्रवार को तब जोर का झटका लगा जब चुनाव आयोग ने लाभ का पद मामले में पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार देने की सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेज दी. अपने विधायकी को खतरे में देख आम आदमी पार्टी आनन-फानन में शाम को दिल्ली हाईकोर्ट गई, लेकिन वहां से भी उसे बैरंग लौटना पड़ा. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद 20 विधायकों की सदस्यता जानी लगभग तय है.

दूसरी ओर बीजेपी और कांग्रेस ने नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की है. लेकिन, क्या आप जानते हैं, कौन है वह शख्स जिसकी वजह से आप में ऐसी खलबली मची?


कौन हैं युवा वकील प्रशांत पटेल

आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में अर्जी डालने वाले युवा वकील का नाम है प्रशांत पटेल. 30 साल के प्रशांत ने साल 2015 में वकालत शुरु की थी. सितंबर 2015 में उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सामने याचिका दायर कर संसदीय सचिवों की गैरकानूनी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे.

मीडिया रिपोर्टों की मानें तो प्रशांत पटेल हिंदू लीगल सेल के मेंबर हैं. वह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से आते हैं. पटेल के मुताबिक, 'लोकसभा और दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा की एक किताब छपी थी जिसका नाम है, 'दिल्ली सरकार की शक्तियां व सीमाएं'. यह किताब पढ़ने के बाद ही उन्हें समझ में आया कि सीएम केजरीवाल ने अपने 21 विधायकों को असंवैधानिक तरीके से संसदीय सचिव बनाया है.

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प्रशांत पटेल ने किताब के लेखक से मुलाकात की और पूरे मामले को समझा. फिर 21 संसदीय सचिवों के खिलाफ राष्ट्रपति से गुहार लगाई. दो साल बाद चुनाव आयोग ने इन संसदीय सचिवों को अयोग्य करार देने की सिफारिश की है.

फिल्म PK के खिलाफ दर्ज कराई FIR

प्रशांत पटेल ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीएससी के बाद नोएडा के एक कॉलेज से एलएलबी की है. वह इसके पहले बॉलीवुड एक्टर आमिर खान और डायरेक्टर राजकुमार हिरानी के खिलाफ भी फिल्म PK में हिंदू देवी देवताओं का गलत चित्रण करने को लेकर एफआईआर दर्ज करा चुके हैं.

प्रशांत पटेल ने क्या कहा याचिका में

संविधान की धारा 191 और जीएनसीटीडी एक्ट, 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई विधायक लाभ का पद धारण करता है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. दिल्ली असेंबली ने ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया है जिसमें संसदीय सचिवों के पद को लाभ के पद से बाहर रखा जा सके. पटेल ने अपनी याचिका में कहा, इसलिए इन 21 विधायकों का सचिव का पद असंवैधानिक और अवैध है. इसके आधार पर इन्हें दिल्ली असेंबली की सदस्यता से अयोग्य करार दिया जाना चाहिए.

(इनपुट/फोटो न्यूज18 से)