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लालू यादव को अपने से कहीं ज्यादा अपने ‘उत्तराधिकारी’ का डर सता रहा है

तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाकर लालू ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी राजनैतिक विरासत दोनों बेटे संभालने वाले हैं

Amitesh

आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के ऊपर सीबीआई ने एक और केस दर्ज कर दिया है. इसके बाद लालू यादव आग बबूला हैं. आरोप से घिरे लालू यादव मोदी-अमित शाह के ऊपर लगातार हमले कर रहे हैं. अपने ऊपर हुई कार्रवाई को बीजेपी की साजिश बता रहे हैं. लेकिन, उनके भीतर का डर उन्हें बार-बार सफाई देने पर मजबूर भी कर रहा है.

लालू ने एक दिन में तीन-तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी तरफ से पूरी सफाई भी दी. अब सवाल है कि लालू डरे हुए क्यों हैं. क्या लालू को अपन भविष्य की चिंता सता रही है. लगता तो नहीं है. वरना चारा घोटाले में इस कदर फंसने के बाद लालू वही गलती फिर नहीं करते.


तेजस्वी पर क्या होगा नीतीश का फैसला?

चारा घोटाले में तो वो पहले से ही सजायाफ्ता हैं. फिलहाल जमानत पर बाहर लालू के ऊपर अभी चारा घोटाले की भी तलवार लटक रही है. तबतक एक और मुसीबत आ गई. बतौर रेल मंत्री इस खेल में लालू फिर से फंस रहे हैं.

सीबीआई की छापेमारी हो रही है. लेकिन, लालू तो इन सबके आदी रहे हैं. सीबीआई से लेकर अदालत तक और अदालत से लेकर जेल की सलाखों तक हर जगह का चक्कर लगा चुके लालू को शायद उतनी परेशानी नहीं हो रही होगी.

लेकिन, उनकी असल परेशानी तो अपने राजनैतक वारिस को लेकर है. सीबीआई ने लालू के साथ-साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी और छोटे बेटे तेजस्वी यादव के उपर भी केस दर्ज कर दिया है. यहीं से परेशानी लालू के लिए शुरू होती है.

छोटे बेटे तेजस्वी यादव इस वक्त नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं. केस दर्ज होने के बाद उनके ऊपर भी अब पद छोड़ने का दबाव बन रहा है. फिलहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे मामले में चुप हैं. लेकिन, माना जा रहा है कि अब अपनी साफ-सुथरी छवि की दुहाई देने वाले नीतीश कुमार के लिए अपने डिप्टी सीएम को कैबिनेट में रख पाना मुश्किल होगा.

लालू यादव ने तेजस्वी यादव को ही डिप्टी सीएम बनाकर साफ कर दिया था कि उनका राजनैतिक उत्तराधिकारी छोटा बेटा तेजस्वी यादव ही है. अब तेजस्वी के ऊपर सीबीआई का शिकंजा कसता देख लालू को डर लग रहा है, उनके राजनैतिक वारिस का क्या होगा?

लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव इस वक्त नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं. तेज प्रताप यादव के ऊपर भी कई मामलों में अनियमितता के आरोप लगे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर लालू यादव के बटों पर कार्रवाई करने का दबाव बन रहा है.

लेकिन, लालू की परेशानी की वजह सिर्फ इतनी ही नहीं है. लालू की बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती भी लालू की राजनैतिक विरासत को संभालने की कोशिश करती रही हैं. लालू के दोनों बेटों के राजनीति में आने के पहले से ही मीसा भारती राजनीति में उतर चुकीं थीं. उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त पाटलिपुत्र सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था.

अब मीसा और उनके पति शैलेष के ऊपर भी बेनामी संपत्ति के कई मामलों में जांच चल रही है. लालू के घर समेत 12 ठिकानों पर सीबीआई छापे के अगले ही दिन मीसा और शैलेष के दिल्ली के तीन फॉर्म हाउस के उपर ईडी ने छापेमारी की है.

लालू के लिए सबसे बड़ी मुश्किल उनके राजनैतिक वारिस का फंसना है

दिल्ली में बिजवासन, घिटोरनी और सैनिक फॉर्म के तीन फॉर्म हाउस के उपर ईडी की तरफ से छापेमारी कर मीसा और शैलेष पर भी ईडी ने शिकंजा कस दिया है. इसके पहले इनकम टैक्स ने लालू परिवार की 14 बेनामी संपत्तियों को भी अटैच कर दिया है. इनकम टैक्स की कारवाई में लालू और उनकी पत्नी के अलावा बेटे-बेटियों के ऊपर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है.

लालू यादव के इस कदर डरने का कारण भी यही हैं. उन्हें डर इस बात का सता रहा है कि मेरे साथ-साथ इस पूरे मामले में मेरे राजनैतिक वारिस का फंसना उनके भविष्य की सियासत पर ग्रहण लगा देगा.

शायद लालू को लगता है कि चारा घोटाले में फंसने के बावजूद उनकी राजनीतिक जमीन कमजोर होने के बावजूद और मजबूत हो गई थी. लालू को लोगों की सहानुभूति का फायदा हो गया था. तो इस बार भी कोशिश वही कर रहे हैं. जिसमें भ्रष्टाचार की काली कमाई को राजनैतिक विरोधियों की साजिश बताकर बच निकलने की कोशिश है. लेकिन, लालू शायद भूल गए हैं नब्बे के दशक की तुलना में आज की सियासत बहुत आगे निकल गई है.