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लालू यादव का नीतीश कुमार को जवाब तथ्यों से परे था

लालू-नीतीश की दोस्ती और दुश्मनी पुरानी है, अब देखना है कि आने वाले दिनों में इनकी दुश्मनी क्या रंग दिखाती है

Amitesh

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नीतीश को जवाब देने के लिए मैदान में आए. नीतीश पर आरोपों की झड़ी लगा दी. धोखा देने का आरोप भी लगाया लेकिन, लालू नीतीश की तरह तथ्यों के साथ अपनी बातों को सामने नहीं रख पाए.

लालू नीतीश कुमार के उपर आग बबूला थे. तिलमिलाहट इस बात को लेकर थी जिसमें नीतीश ने लालू यादव को अहंकारी बताया था. नीतीश कुमार ने एक दिन पहले ही लालू यादव को छात्र राजनीति से लेकर अबतक आगे बढ़ाने की बात की थी. नीतीश ने कहा था कि लालू यादव को कई बार कई मोर्चों पर उन्होंने मदद की.


लालू ने की इधर-उधर की बात 

कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद लालू को विपक्ष का नेता बनाने में मदद की बात भी नीतीश ने की थी. इसके पहले लालू यादव ने यह कहा था कि नीतीश कुमार को उन्होंने ही इस बार मुख्यमंत्री बनवाया था. लेकिन, नीतीश को यह बात इस कदर चुभी थी कि उन्होंने लालू को उनकी सियासी हैसियत का आईना दिखा दिया था.

अब लालू जब पलटवार करने पहुंचे तो नीतीश के हमलों का सीधा जवाब देने के बजाए इधर-उधर की बात करते दिखे. लालू ने कहा कि मुझे नीतीश पर कभी भी भरोसा नहीं था. इस वक्त नीतीश बीजेपी-आरएसएस की गोद में जाकर बैठ गए हैं. लालू ने कहा कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी के सवाल का जवाब तक नहीं दिया.

लालू की तिलमिलाहट 

लालू नीतीश कुमार की उस बात से ज्यादा नाराज हैं जिनमें नीतीश कुमार ने लालू को उनकी सियासी हैसियत बताई थी. नीतीश ने कहा था कि 2010 विधानसभा चुनाव में आरजेडी का प्रदर्शन कितना था उसी से लालू को अपनी सियासी हैसियत का अंदाजा लगाना चाहिए. लेकिन, लालू ने नीतीश की इस बात का जवाब अपने अंदाज में दिया.

लालू ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव में जब आरजेडी और जेडीयू दोनों अलग-अलग लड़े थे तो उस वक्त नीतीश की ताकत का एहसास हो गया था. उस वक्त आरजेडी को 4 जबकि जेडीयू को महज 2 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी.

लेकिन, लालू ने इससे भी ज्यादा मजेदार आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि आरजेडी को लोकसभा चुनाव 2014 में विधानसभा वाइज 34 सीटों पर जीत मिली थी जबकि आरजेडी 116 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. लालू के मुताबिक जेडीयू महज 19 विधानसभा सीटों पर पहले नंबर रही थी जबकि 20 सीटों पर वो दूसरे नंबर पर रही थी. लालू इन आंकड़ों के जरिए ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि अलग-अलग चुनाव लड़ने की सूरत में उनकी ताकत नीतीश से कहीं ज्यादा है.

नीतीश कुमार ने लालू यादव के कास्ट बेस पर सवाल खड़ा किया था. नीतीश ने कहा था कि कास्ट बेस से कोई मास बेस वाला नहीं हो सकता. अब बारी लालू की थी. लालू ने नीतीश के उपर सवाल खड़ा किया कि अगर नीतीश कुमार इतने बड़े मास लीडर हैं तो फिर कूर्मी सम्मेलन में क्यों पहुंचे थे.

दरअसल लालू की कोशिश नीतीश कुमार को जातिवादी नेता के तौर पर स्थापित करने की है, जिससे उनके कद को काफी हद तक छोटा किया जा सके. तभी लालू की तरफ से नीतीश कुमार को एक कुर्मी नेता के तौर पर ही पेश करने की कोशिश हो रही है.

लालू ने नीतीश कुमार पर एक बार फिर से धोखा देने का आरोप लगाते हुए साफ कर दिया कि ये आदमी जिंदगी भर कभी भी सपोर्ट करने लायक नहीं है.

लालू ने की नीतीश को घेरने की असफल कोशिश की

नीतीश कुमार ने सेक्युलरिज्म के मुद्दे पर लालू को घेरा था. बाकी दूसरे दलों को भी ये बताने की कोशिश की थी कि केवल सेक्युलरिज्म का माला जपने से काम नहीं चलने वाला. वाकई में कुछ करके दिखाना होगा. नीतीश ने अल्पसंख्यक समाज के लोगों के लिए किए जाने वाले कामों की याद दिलाई. दावा किया कि हमने अल्पसंख्यक समाज के लिए जितना काम किया उतना किसी ने नहीं किया.

लेकिन, लालू उस दावे की पोल खोलने की कोशिश करते नजर आए. लालू ने कहा कि आरएसएस-बीजेपी की गोद में बैठे व्यक्ति से क्या अपेक्षा की जा सकती है. लालू ने नीतीश को सांप्रदायिक तक कह डाला.

लालू-नीतीश की दोस्ती और अदावत काफी पुरानी रही है. कभी भी इन दोनों के बीच में उस तरह की दोस्ती नहीं रही. साथ रहने के बावजूद दोनों एक-दूसरे के खिलाफ भी रहे. लालू की दमनकारी छवि को नीतीश कभी पचा नहीं पाए. इसी के बाद पहले उन्होंने समता पार्टी बनाकर अलग राह अख्तियार की  और अब फिर से लालू का हाथ छोड़कर बीजेपी के साथ खड़े दिख रहे हैं.