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तेजस्वी को बाहुबली बनाने की तैयारी में लालू, नहीं मिला सोनिया और माया का साथ!

लालू को ज्यादा चिंता अपने राजनैतिक वारिस को लेकर है. कोशिश है कि बेटे तेजस्वी यादव को ठीक तरीके से राजनीति में स्थापित कर दें.

Amitesh

विपक्षी एकता की दुहाई के नाम पर पटना के गांधी मैदान में लालू यादव बड़ी रैली करने जा रहे हैं. 27 अगस्त की इस रैली का नाम ‘देश बचाओ, भाजपा भगाओ’ रैली रखा गया है.

लेकिन इस वक्त लालू को देश बचाने से ज्यादा चिंता अपने राजनैतिक वारिस को लेकर दिख रही है. लालू खुद तो चारा घोटाले के सिलसिले में रांची की अदालत में हाजिरी लगाते फिर रहे हैं. लेकिन कोशिश है कि बेटे तेजस्वी यादव को ठीक तरीके से राजनीति में स्थापित कर दें.


पटना के गांधी मैदान में 27 अगस्त को होने वाली लालू की 'देश बचाओ, भाजपा भगाओ' रैली का मकसद भी यही है. रैली में लालू यादव सभी विपक्षी दलों के नेताओं को एक साथ एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं.

बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की दुहाई देकर लालू यादव इस मंच के माध्यम से अपनी ताकत दिखाना भी चाहते हैं और अपना दायरा भी बढ़ाना चाहते हैं.

लालू पीछे तेजस्वी आगे

राजनीति के शातिर खिलाड़ी लालू इस पूरी रैली के दौरान तेजस्वी यादव को आगे कर चल रहे हैं. रैली की तैयारी और नीतीश कुमार के महागठबंधन तोड़ने के फैसले के खिलाफ तेजस्वी यादव की लगातार हो रही जनादेश अपमान यात्रा से लालू गदगद हैं.

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जिस तरह से आरजेडी ने सृजन घोटाले को लेकर नीतीश सरकार को घेरा है, उससे भी लालू यादव को लगता है कि तेजस्वी एक आक्रामक नेता के तौर पर उभरे हैं.

लालू को लगता है कि अब उनके राजनैतिक वारिस छोटे बेटे तेजस्वी यादव का कद पटना की रैली के बाद और बढ़ जाएगा. देश के अलग-अलग राज्यों से आ रहे विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में तेजस्वी की हुंकार उनकी स्वीकार्यता को और बढ़ा देगी.

विपक्ष के एक धड़े ने दिया झटका

लालू की रैली में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव, बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की अध्यक्ष ममता बनर्जी और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला शामिल हो रहे हैं.

लेकिन लालू की तमाम कोशिशों को बड़ा झटका लगा है. लालू की कोशिश को झटका दिया है कांग्रेस और बीएसपी ने. कांग्रेस की तरफ से ना ही सोनिया और ना ही राहुल इस रैली में शिरकत कर रहे हैं.

लालू यादव की कोशिश थी विपक्षी एकता के नाम पर बुलाई गई इस रैली में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी में से किसी एक को हर हाल में मंच पर बुला लिया जाए. इससे ना सिर्फ लालू का विपक्षी कुनबे में फिर से कद बढ़ जाता, बल्कि, बेटे तेजस्वी की भी स्वीकार्यता बिहार के बाहर भी बढ़ जाती.

'दागदार' छवि से दूर?

लेकिन, लगता है लालू की ‘दागदार’ छवि से राहुल अभी भी किनारा करना ही मुनासिब समझ रहे हैं. 2013 में चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद राहुल गांधी ने लालू के साथ कभी भी मंच साझा नहीं किया है. राहुल गांधी दिल्ली में शरद यादव के ‘साझी विरासत बचाओ सम्मेलन’ में तो चले गए, लेकिन पटना में लालू और उनके लाल के साथ जाने से कन्नी काट गए.

लालू यादव की तरफ से इस बाबत कहा गया कि सोनिया गांधी अस्वस्थ होने के चलते नहीं आ रही हैं. हालाकि, कांग्रेस की तरफ से बिहार के प्रभारी महासचिव सीपी जोशी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद लालू की रैली में मौजूद रहेंगे.

लालू को दूसरा झटका बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने दिया है. मायावती भी इस रैली में खुद शामिल नहीं होंगी, बल्कि बीएसपी की तरफ से पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ही मौजूद रहेंगे.

लालू के लिए रैली में मायावती का ना आना किसी सदमे से कम नहीं होगा. क्योंकि लालू मायावती को अपने साथ लाने के लिए इस कदर आतुर थे कि उन्होंने मायावती को बिहार से राज्यसभा आने का ऑफर तक दे दिया था.

इस वक्त मायावती के पास विधायकों की इतनी ताकत भी नहीं बची है कि वो अपने दम पर राज्यसभा में दोबारा पहुंच सके. ऐसे में लालू की तरफ से सबसे पहले विपक्षी एकता के नाम पर उन्हें बिहार से राज्यसभा जाने का बड़ा ऑफर दिया गया है.

विपक्ष मे असली नेता की कमी

लेकिन लगता है विपक्षी कुनबे में सभी अपने-आप को एक-दूसरे से बड़े नेता के तौर पर दिखाने की कोशिश में ही लगे हैं. वरना इस तरह एकता के नाम पर बुलाई गई लालू की रैली से मायावती किनारा नहीं करती.

अभी कुछ दिन पहले ही बीएसपी के ट्विटर हैंडल से एक ऐसा पोस्टर ट्वीट किया गया था जिसमें विपक्षी एकता के नाम पर मायावती को सबसे बड़ी नेता के तौर पर दिखाया गया था. इस पोस्टर में सोनिया, लालू, शरद समेत सभी नेताओं की मायावती की तुलना में काफी छोटी तस्वीर दिखाई गई थी.

सोनिया और मायावती के नहीं आने से लालू को धक्का जरूर लग सकता है. लेकिन, लालू अपने लाल तेजस्वी को इस रैली में बाहुबली अवतार में लांच करने की पूरी तैयारी में हैं. लालू शायद इस उम्मीद में बैठे हैं कि पुराने साथी शरद यादव के साथ बिहार में उनकी युगलबंदी एक बार फिर से कोई गुल खिला सकती है.