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हमें तो ‘संस्कारी बहू’ चाहिए जी, मेरा बेटा बहुत ही ‘संस्कारी’ है!

वर तैयार है लेकिन, वधू की तलाश अभी पूरी नहीं हो पा रही है क्योंकि लालू-राबड़ी को चाहिए संस्कारी बहू

Amitesh

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव इन दिनों संस्कारी बहू की तलाश में हैं. दोनों को चाहिए संस्कारी बहू. लालू-राबड़ी के दोनों बेटे मंत्री हैं, लेकिन, मजे की बात है कि दोनों अभी कुंवारे भी हैं.

बड़े बेटे तेज प्रताप यादव बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं तो छोटे बेटे तेजस्वी यादव प्रदेश के उपमुख्मंत्री हैं. वैसे तो तेजस्वी तो मॉस्ट इलिजिबल बैचलर हैं. इसका उदाहरण तो कई मौकों पर दिख भी जाता है. लेकिन, सवाल संस्कार का है तो बिना बड़े बेटे की शादी के छोटे का नंबर भला कैसे आ सकता है.


तो फिलहाल उपमुख्यमंत्री का पद लेने में बाजी मार गए तेजस्वी को थोड़ा और इंतजार करना होगा. यहां मामला शादी का है तो फिलहाल बाजी बड़े भाई तेज प्रताप के ही हाथ लगेगी.

लेकिन, शादी होने में अब देरी  होने लगी है. वर तैयार है लेकिन, वधू की तलाश अभी पूरी नहीं हो पा रही है क्योंकि उन्हें चाहिए संस्कारी बहू.

आखिर राबड़ी को क्यों चाहिए संस्कारी बहू?

समाज में बदलाव इस कदर हो रहा है कि आधुनिकता के आगोश में शहर क्या अब तो गांव भी समा गया है. न कोई बड़ा-छोटा और न ही कोई ऊंच-नीच का भेदभाव, सब मॉडर्न मिजाज और नए लुक में दिख जाते हैं.

नई सोच और नए जमाने के हिसाब से कदम ताल करने वाली नई पीढ़ी पुरानी रुढ़िवादी बातों को धत्ता बताने में लगे हैं. लेकिन, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सिनेमा हॉल से लेकर मॉल नहीं जाने वाली बहू की तलाश में हैं.

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स्वास्थ्य मंत्री बेटे तेज प्रताप का धार्मिक लिबास कभी वृंदावन में तो कभी कान्हा के तौर पर दिख जाता है. लेकिन, उनके लिए राधा की तलाश अभी पूरी नहीं हो पा रही है. तेज प्रताप खुद तो कान्हा बन गए हैं लेकिन, उनके लिए संस्कारी राधा को ढ़ूंढ़ने में काफी वक्त लग रहा है.

हालांकि एक बेटे का संस्कार भला इससे बड़ा क्या हो सकता है, जो स्वास्थ्य मंत्री होते हुए पूरे सरकारी अमले को ही अपने पिता के इलाज के लिए घर पर लगा दे. राज्य के मरीज भले ही परेशान हों, लेकिन, आप ही बताइए की उस परेशानी से भला बेटे को क्या मतलब. वो तो अपने पिता के स्वास्थ्य की देखभाल कर अपन फर्ज को अदा कर रहा है जनाब.

नियम कानून गए भांड में, बेटा मंत्री है तो पिता को इतनी भी सुविधा नहीं तो भला क्या फायदा. लालू-राबड़ी अपने बेटे के इस संस्कार से इस कदर गदगद हैं कि उन्हें अब अपने लिए भी संस्कारी बहू चाहिए. ठीक उसी तरह जैसे बेटे ने अपने संस्कार का नमूना पेश किया है.

अब कौन लड़की जाएगी राबड़ी के मॉल में

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव भगवान कृष्ण की वेशभूषा में

लालू-राबड़ी परिवार का पटना में एक बड़ा मॉल बन रहा है. इस मॉल के बनने को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं. मॉल विवाद में है. लेकिन, विवाद को मारिए गोली. मॉल जब बनकर तैयार हो जाएगा तो फिर  इसमें कौन जाएगा? इसमें बनने वाले सिनेमाघरों में कौन जाएगा? अगर कोई लड़की जाएगी तो फिर उसके संस्कार पर ही सवाल खड़े होने लगेंगे.

ये हम नहीं कह रहे ये तो राबड़ी देवी कर रही हैं. उनके बयान से तो यही लग रहा है. उन्हें ऐसी बहू की तलाश है जो न सिनेमा घर में जाए और न ही मॉल में. राबड़ी देवी खुद एक घरेलू महिला रही हैं. उन्हें न तो ये नए जमाने का कल्चर पसंद है और न ही मॉल में घूमना-फिरना. लेकिन, अगर राबड़ी मॉल बनाने के फैसले के पहले ही ऐसा कुछ कहती तो न ही  ये मॉल बनता और ना ही उनका परिवार उनके संस्कारी बच्चे विवाद में पड़ते.

खैर अब भी सही उनके भीतर की बात जुबां पर आ गई है. उनके पति लालू यादव और उनके पुत्र सफाई दे रहे हैं. लेकिन उनके संस्कार वाले बयान से विवाद ना होता और शायद एक ‘संस्कारी बहू’ अबतक मिल गई होती.