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'लालू-लीला' किताब के जरिए लालू को चुनाव में घेरने की तैयारी

198 पेज की किताब में सुशील कुमार मोदी ने विस्तार से बताया है कि किस प्रकार लालू यादव ने अपने परिवार को अरबपति बनाने के लिए अपने पोजिशन का बेरहमी के साथ दुरूपयोग किया है

Kanhaiya Bhelari

अपनी पांचवी पुस्तक 'लालू-लीला’ के लोकार्पण समारोह के बाद विशेष बातचीत में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने बताया कि ‘लालू यादव से मेरी पहली मुलाकात 1969 में हुई थी. तभी मुझे लगा था कि ये विशेष किस्म के इंसान हैं'. फिर मुस्कुराते हुए आगे कहते हैं कि ‘49 साल बाद आज मुझे लगता है कि लालू यादव केा देखने और परखने का मेरा नजरिया बिलकुल सही था. गलत तरीके से धन संचित करने की अभिलाषा आरजेडी चीफ में शुरू से ही रही है'.

सुशील कुमार मोदी एक पुरानी घटना को याद करके अपनी बात को पुख्ता करते हैं, ‘बतौर पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष लालू यादव चीनी का परमिट लेकर चीनी ब्लैक में बेचने का काम करते थे. तब मैं उनका महासचिव हुआ करता था.’


बहरहाल, बुराइयों के बावजूद भी मोदी बेबाकी से स्वीकार करते हैं कि लालू यादव जैसा ताकतवर नेता देश में 20वीं शताब्दी में पैदा नहीं हुआ था. लेकिन गरीबों का इतना बड़ा नेता परिवार मोह में अपने आप को भ्रष्टतम आदमी बना लिया. अंग्रेजों के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए सुभाषचन्द्र बोस ने लोगों से कहा था कि आप मुझे खून दें, मैं आपको आजादी दूंगा. लालू यादव कहते हैं कि 'आप मुझे पैसा दें, मैं आपको काम दूंगा’.

198 पेज की किताब में सुशील कुमार मोदी ने विस्तार से बताया है कि किस प्रकार लालू यादव ने अपने परिवार को अरबपति बनाने के लिए अपने पोजिशन का बेरहमी के साथ दुरूपयोग किया है. किताब के अनुसार 15 साल तक बिहार की बागडोर अपने हाथ में रखकर और 5 साल तक रेलवे मंत्री की कुर्सी पर बैठकर लालू यादव ने अपने और परिवार के नाम पर कुल 141 बेशकीमती भूखण्ड, 30 फ्लैट एवं 6 आलीशान बंगला बटोरे.

लालू परिवार की भ्रष्टाचार जनित अकूत संपत्ति की पड़ताल सुशील कुमार मोदी ने बहुत ही गहन तरीके से की है. किताब बताती है कि पड़ताल की शुरूआत में मिट्टी घोटाला सामने आया. इसी मिट्टी घोटाले की कोख से रेलवे टेंडर घोटाले के जरिए पटना की बेशकीमती साढ़े तीन एकड़ जमीन पर बन रहे बिहार के सबसे बड़े माॅल का पर्दाफाश हुआ. उसके बाद फर्जी कम्पनियां उजागर होती चली गईं.

समारोह में शामिल केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के अनुसार यह किताब नहीं बल्कि डाक्यूमेंट्री प्रूफ है, जो साबित करती है कि लालू यादव ने गरीबों के उत्थान करने के नाम पर कैसे बिहार को लूटा है. मोदी ने लिखा है कि लालू यादव ने दान, वसीयत, लीज और पाॅवर आॅफ एटॅार्नी के मार्फत अकूत संपत्ति अर्जित की है.

आरजेडी सुप्रीमो ने विधायक, पार्षद, सांसद और मंत्री बनाने के एवज में रघुनाथ झा तथा श्रीमती कांति सिंह से भी जमीन और मकान गिफ्ट में लिया. अनवर अहमद उर्फ 'कबाब मंत्री' को विधान परिषद सदस्य बनाने के बदले उसके अवमी बैंक से करोड़ों रूपए लिए. उसी प्रकार कुमार राकेश रंजन और शमीम को विधान पार्षद बनाने के एवज में पत्नी तथा बेटों के नाम पर जमीन लिया.

भ्रष्टाचार से कमाए कालेधन को सफेद करने के लिए बीपीएल श्रेणी के ललन चौधरी, रेलवे के खलासी ह्रिदयानंद चौधरी और भूमिहीन प्रभूनाथ यादव, चंद्रकांता देवी, सुभाष चौधरी से नौकरी ठेका और अन्य तरीके का लाभ पहुंचाने के एवज में करोड़ों रूपए कीमत की जमीन एवं मकान दान स्वरूप लिए.

अपने खास कुटुम्बों को भी बेनामी संपत्ति हासिल करने का माध्यम बनाने में लालू यादव ने संकोच या शर्म नहीं किया. बड़े भाई मंगरू राय के समधियाने, अपनी ससुराल, बेटी की ससुराल के रिश्तेदारों के नाम से पहले अपनी काली कमाई से जमीन-मकान खरीदा और बाद में राबड़ी देवी, तेजप्रताप यादव, तेजस्वी यादव और मीसा भारती के नाम गिफ्ट करवा दिया.

आज की लालू-लीला पुस्तक लोकार्पण समारोह के तमाम वक्ताओं के निशाने पर लालू यादव ही रहे. केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह आदि ने जोर देकर कहा कि ‘अगले चुनाव में भ्रष्टाचार बहुत बड़ा मुद्दा बनेगा. एक तरफ बेदाग पीएम नरेन्द्र मोदी होंगे और दूसरी तरफ लालू यादव जैसे नेता होंगे’.