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कृष्ण-कन्हैया बने तेजप्रताप की 'गुप्त-साधना' का क्या है वृंदावन-कनेक्शन?

तेजप्रताप न मालूम किस महाज्ञान या सत्ता के लिये आध्यात्म की राह पर चलकर सियासत की मंजिल तय करना चाहते हैं.

Kinshuk Praval

इंसान जब जीवन के हर मोह-माया से विरक्ति महसूस करने लगता है तो वो आध्यात्म की राह पर चल कर मोक्ष की तलाश करता है. लेकिन उम्र के उस दौर में जब जिंदगी जवानी की रवानगी में बह रही हो तब किसी का युवा मन आध्यात्म की राह पर उतर जाए तो कई सवाल पैदा हो जाते हैं. कुछ यही किया है गुजरात के वर्शील शाह ने. 12वीं में टॉप करने के बाद वर्शील शाह ने केवल 17 साल की उम्र में ही जैन-मुनि की दीक्षा ले ली. ये अनोखा वाकया है जिसमें संपन्न परिवार के बेटे ने सांसारिक मोह त्याग दिया.

लेकिन एक दूसरा नाम अपनी विचित्र भक्ति और क्रियाकलापों की वजह से सुर्खियों में है. ये नाम राजनीतिक परिवार से जुड़ा है जो सत्ता के पालने में पला-बड़ा हुआ और अब कृष्ण के अगाध प्रेम में डूबकर वृंदावन में बंसी बजाने निकल गया है.


बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव भगवान कृष्ण की वेशभूषा में

तंत्र-मंत्र और गणतंत्र के बीच तेजप्रताप यादव

तेजप्रताप यादव. पहचान लालूपुत्र. बिहार के स्वास्थ मंत्री. युवा और कुंवारे. कमांडों से घिरे रहने वाले तेजप्रताप धार्मिक कर्मकांडों से घिरे नजर आ रहे हैं. जिसे सबकुछ एक इशारे भर से हासिल हो जाए वो कृष्ण की भक्ति में इतना लीन है कि वृंदावन में 3 दिन की विशेष पूजा के लिये कूच कर गया है.

तेजप्रताप यादव का परिचय सिर्फ इतना नहीं है कि वो आध्यात्मिक हो गए है. वो खुद को कृष्ण के रंग में रंगा कर, मोर पंख लगा कर , बंसी बजाते हुए अपनी तस्वीरें सोशल साइट पर पोस्ट करते हैं. उनके अजब-गजब रंग ढंग को देखकर पीएम मोदी भी बोल पड़े – 'आप तो किशन-कन्हैया हो गए हैं'.

महाशिवरात्रि के मौके पर भी उनका 'भगवान शिव अवतार' का रूप सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना था.

वाकई लालूपुत्र तेजप्रताप का कृष्ण रूप अचरज कम और संदेह ज्यादा पैदा करता है. वो उम्र जब जवानी भटकने के लिये बदनाम होती है. कदम बहकने के लिये बेताब होते है. इंद्रियां नियंत्रण से बाहर रहना चाहती हैं. जीवन में सबकुछ रंगीन ही दिखाई देता है. ऐसे में तेजप्रताप अगर ये रूप रखें और श्रीकृष्ण से प्रार्थना करें कि ‘भगवन मोहे रंग दे अपनी भक्ति में' तो ये तस्वीर बिहार में विपक्षी दल के नेता सुशील मोदी समेत कई लोगों को हजम नहीं हो सकती.

तेजप्रताप यादव अपने वीडियो में भगवान शिव के अवतार में.

तेजप्रताप ने कराई 'दुश्मन मारक' पूजा 

तेजप्रताप का ‘वृंदावन कनेक्शन’ बेहद दिलचस्प है. तेजप्रताप ने हाल ही में ‘दुश्मन मारक’ पूजा करवाई है. इस विशेष पूजा के बाद वो विशेष अनुष्ठान के लिये वृंदावन निकल गए हैं. जहां तीन दिन तक वो निर्जला व्रत रखेंगे और एक खास पंडित के साथ विशेष पूजा करेंगे.

पटना से वृंदावन की दूरी तेजप्रताप एक हाइटेक बस में अकेले तय कर रहे हैं. ये बस साल 2015 में उनके पिता लालू प्रसाद यादव के लिये बनवाई गई थी. तेजप्रताप के दोस्त और सुरक्षाकर्मी दूसरी गाड़ियों और बस में रहेंगे. इस खास यात्रा के नियम भी कड़े हैं. यात्रा के दौरान न तो कोई तेजप्रताप की बस में जूता पहन कर जाएगा और न ही कोई मांसाहार का प्रयोग करेगा. तेजप्रताप पूरी यात्रा अकेले रहेंगे और एक विशेष जाप करते रहेंगे. ऐसे में तेजप्रताप का ‘वृंदावन प्रस्थान’ किसी ‘सीक्रेट मिशन’ सा नजर आता है.इसकी बड़ी वजह ये है कि 11 जून को पिता के जन्मदिन के कार्यक्रम के बावजूद तेजप्रताप ने अपनी पूजा टालने से इनकार कर दिया. 11 जून को लालू प्रसाद यादव का 69वां जन्मदिन है. लेकिन तेज अपनी 'घोर साधना' के बाद 11 जून को पिता के जन्मदिन के कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचेंगे .

सत्ता की किस कुर्सी पर गड़ी है 'तेज नजर' ?

बड़ा सवाल ये है कि आखिर तेजप्रताप ऐसी कौन सी पूजा करवाने के लिये इतने लालयित हैं? आखिर ऐसा क्या उन्हें ‘अप्राप्त’ है जो वो आध्यात्म की राह पर चल कर हासिल करना चाहते हैं? दरअसल कहा ये भी जा रहा है कि तेजप्रताप किसी बड़े पद की प्राप्ति के लिये अनुष्ठान कराना चाहता हैं.  लेकिन तेजप्रताप पहले से ही बिहार की सरकार में मंत्रीपद पर विराजमान हैं. ऐसे में क्या कयास लगाएं जाएं कि वो किस बड़े पद की लालसा में श्रीकृष्ण की घनघोर साधना में डूब गए हैं?

सियासी तौर पर देखा जाए तो लालू परिवार मुश्किल में है. पहले चारा घोटाला और  फिर बेनामी संपत्ति के नए मामले तो फिर बेटी मीसा भारती पर इनकम टैक्स विभाग की जांच का दबाव तो लालू के बेटों पर मिट्टी घोटाले के ताजे आरोप ने ही रही सही राजनीति की मिट्टीपलीद कर रखी है.

मिट्टी घोटाले का आरोप लगाने वाले बीजेपी नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि तेजप्रताप ने उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिये अपने निवास में ‘दुश्मन मारक पूजा’ कराई है.

पिता लालू यादव से राजनीति की बारीकियां समझते हुए तेज प्रताप (फोटो: फेसबुक से साभार)

तेजप्रताप की पर्सनॉलिटी के साथ आध्यात्म, कृष्ण-भक्ति, वृंदावन, दुश्मन मारक पूजा जैसे शब्दों का जुड़ा होना बड़ा विरोधाभास पैदा करता है.

सत्ता हासिल होने के बाद परमसत्ता के लिये इंसान मोक्ष की तलाश में जाता है. परमसत्ता यानी ईश्वरत्व को महसूस करने के लिये वो बौद्ध की तरह परम ज्ञान हासिल करने की कोशिश करता है. लेकिन तेजप्रताप न मालूम किस महाज्ञान या सत्ता के लिये आध्यात्म की राह पर चलकर सियासत की मंजिल तय करना चाहते हैं.

गुजरात का वर्शील 17 साल में बना जैन भिक्षुक

एक तरफ 12वीं में टॉप करने वाला वर्शील शाह आईएएस या आईआईटी इंजीनियर बनने के परिवार के सपनों को पीछे छोड़कर जैन भिक्षुक बन गया तो दूसरी तरफ  कृष्ण-कन्हैया बने तेजप्रताप आध्यात्मिक शक्तियों के जरिये गुप्त साधना में लीन हैं और अनुष्ठान के जरिये सत्ता की नई ऊंचाइयों को हासिल करना चाहते हैं.

काश भक्ति में डूबा ये भक्त श्रीकृष्ण के कर्म पर दिये हुए उपदेशों को आत्मसात करे तो शायद आध्यात्म के परम आनंद को बिना वृंदावन जाए ही समझ सके.