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छोटे कद के लाल बहादुर शास्त्री का व्यक्तित्व बड़ा था: आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी ने आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गनाइजेर’ के 70 साल पूरा होने के अवसर पर आए संस्करण में छपे एक संपादकीय यह बात की है

Bhasha

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ वैचारिक रूप से कोई वैमनस्य नहीं रखते थे. प्रधानमंत्री रहते हुए वह गुरु गोलवलकर को अक्सर विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया करते थे.

लाल बहादुर शास्त्री को एक ‘समर्पित कांग्रेसी’ करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि अपने निजी गुणों की वजह से उन्होंने देश का विश्वास जीता.


आडवाणी ने आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गनाइजेर’ के 70 साल पूरा होने के अवसर पर आए संस्करण में छपे एक संपादकीय यह बात की है. इस लेख में आडवाणी ने कहा, ‘नेहरू से उलट, शास्त्री ने जनसंघ और आरएसएस को लेकर किसी तरह का वैमनस्य नहीं रखा. वह श्री गुरूजी को राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया करते थे.’

आडवाणी का यह लेख उनकी जीवनी ‘माई कंट्री, माई लाइफ’ से लिया गया है.

‘आर्गनाइजर’ से 1960 में बतौर सहायक संपादक जुड़ने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि वह इस साप्ताहिक के प्रतिनिधि के तौर पर लाल बहादुर शास्त्री से कई बार मिले थे.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हर मुलाकात में मुझ पर इस छोटे कद, लेकिन बड़े हृदय वाले प्रधानमंत्री की सकारात्मक छाप पड़ी’. उन्होंने कहा, ‘धोती-कुर्ता एक नेता का पहनावा है. यह पत्रकारों को नहीं भाता. मेरे साथियों ने मुझसे यह बात कही थी. मैंने अपने साथियों की ओर से दी गई सलाह में कुछ उचित पाया और फिर से पतलून पहनने लगा.’

आडवाणी ने लिखा कि 1977 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहते हुए वह ख्वाजा अहमद अब्बास और पृथ्वी राज कपूर से मिले. वो दोनों यह जानकर हैरान रह गए कि ‘हमारे यहां एक मंत्री है जो पहले फिल्म आलोचक हुआ करता था.’

लाल बहादुर शास्त्री 1964 से 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी पिछले साल शास्त्री की तारीफ की थी.