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केरल जनरक्षा यात्रा: वामपंथ के आखिरी गढ़ में बीजेपी का 'शाही' हमला

केरल में बीजेपी और संघ के कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ विरोध जताने के लिए बीजेपी ने जनरक्षा यात्रा शुरू की है

Amitesh

केरल के कन्नूर जिले में थलिपरंबा के राजराजेश्वर मंदिर में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तीन अक्टूबर को सुबह साढ़े दस बजे पहुंचे. भगवान शिव के दरबार में माथा टेका और फिर निकल पड़े पयीनूर के टाउन स्क्वायर जहां से उन्हें जनरक्षा यात्रा की शुरुआत करनी थी.

अमित शाह करीब दोपहर बारह बजे टाउन स्क्वायर पहुंचे जहां उन्होंने केरल में राजनीतिक हिंसा के शिकार संघ और बीजेपी कार्यकर्ताओं की याद में लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, उन सभी पीड़ित परिवार के लोगों से मुलाकात भी की, उन्हें सांत्वना दी और फिर निकल पड़े उस मंच की ओर जहां से वो बड़े मिशन का आगाज करने वाले थे.


अमित शाह ने पयीनूर के टाउन स्क्वायर से बीजेपी की जनरक्षा यात्रा का आगाज किया, खुद 9 किलोमीटर तक पदयात्रा भी की, लेकिन, उसके पहले वहां मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं और उनके जोश को देखकर केरल की पी विजयन सरकार पर हमला बोल दिया.

केरल में बीजेपी और संघ के कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ विरोध जताने के लिए बीजेपी ने जनरक्षा यात्रा शुरू की है. तीन अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक चलने वाली जनरक्षा यात्रा के दौरान केरल की जनता के अंदर राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ जनजागृति की कोशिश की जा रही है.

लेकिन, यात्रा के आगाज के मौके पर ही अमित शाह ने साफ कर दिया कि वो केरल में पार्टी की इस मुहिम को बस जनरक्षा यात्रा तक ही सीमित नहीं रखने वाले. अभी तो आगे बड़ी लड़ाई की तैयारी हो रही है.

जन रक्षा यात्रा की शुरुआत पर भाषण देते बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

सीपीएम के गढ़ माने जाने वाले कन्नूर जिले में बीजेपी और संघ के कार्यकर्ताओं के भीतर नई जान फूंकने की बीजेपी अध्यक्ष की कोशिश है जिसके लिए उन्होंने सीपीएम को सीधे-सीधे निशाने पर लिया.

अमित शाह ने कहा, 'यह कोई नई बात नहीं है, जब-जब सीपीएम की सरकार आती है तब-तब राजनीतिक हत्याएं शुरू हो जाती हैं. शाह ने कहा, 'मुख्यमंत्री के गृह जिले में तो सबसे ज्यादा हत्याएं होती हैं. हालाकि यह हाल केवल केरल का नहीं, जहां-जहां कम्युनिस्टों की सरकारें रही हैं वहां-वहां यही हाल होता रहा है.'

बीजेपी की जनरक्षा यात्रा तीन अक्टूबर से सत्रह अक्टूबर तक चलने वाली है जिसमें हर दिन कोई केंद्रीय मंत्री या फिर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे. इस दौरान चार से 16 अक्टूबर तक हर रोज बीजेपी कार्यकर्ता केरल की हिंसा के विरोध में दिल्ली में सीपीएम दफ्तर का घेराव करते रहेंगे.

देश भर में सभी राज्यों की राजधानी में इस दौरान बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता केरल की हिंसा को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने वाले हैं. कोशिश देश भर में केरल की हिंसा को चर्चा में लाने को लेकर है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एक बार फिर 17 अक्टूबर को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में जनरक्षा यात्रा के समापन के मौके पर पहुंचेंगे.

कन्नूर से ही यात्रा का आगाज क्यों ?

कन्नूर जिले के पेयीनूर में जनरक्षा यात्रा की शुरुआत के दौरान मुलाकात नारायणी अम्मा से हुई. मुख्यमंत्री पी. विजयन के गांव पिनरई की ही रहने वाली नारायणी अम्मा की आंखों के सामने आज भी अपने पति और बेटे की हत्या की वो तस्वीर रह-रह कर सामने आ जाती है. नारायणी अम्मा के पति उथमन चावासरी की 2002 में हत्या कर दी गई थी. पेशे से ड्राइवर उथमन आरएसएस के स्वयंसेवक थे जिनकी हत्या बस के अंदर ही कर दी गई थी. आरोप सीपीएम के कार्यकर्ताओं पर लगे थे.

नारायणी अम्मा

लेकिन, चौदह साल बाद नारायणी अम्मा पर दुख का पहाड़ तब टूटा जब उनके बेटे रमित की पिछले साल अक्टूबर में घर के बाहर उस वक्त मार डाला गया जब वो अपनी बहन के लिए दवा लेने के लिए जा रहा था. नारायणी अम्मा का घर मुख्यमंत्री पी विजयन के गांव पिनरई में ही करीब पांच सौ मीटर की ही दूरी पर है.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रैली में पेयीनूर पहुंची नारायणी अम्मा की आंखें अपने पति और बेटे की याद में नम हो जाती हैं. फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बातचीत में वो कहती हैं, 'अब पति और बेटा तो वापस नहीं हो सकता लेकिन, हमें इंसाफ चाहिए.' लेकिन, इन दो हत्याओं के बाद उनके भीतर का डर खत्म हो गया है. शायद उनके पास अब खोने को कुछ भी नहीं है. नारायणी अम्मा का कहना है, 'मेरा बेटा खाड़ी के देशों में ड्राइवर की नौकरी करता था लेकिन, वो ना तो संघ और ना तो बीजेपी का कार्यकर्ता था. वो केवल संघ समर्थक था.'

नारायणी अम्मा के दिवंगत पति उथमन चावासरी (बाएं) और बेटा रमित (दाहिने)

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन का गांव पिनरई भी कन्नूर जिले के ही अंतर्गत आता है. लेकिन, पिछले साल केरल में नई सरकार आने और पी विजयन के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही कन्नूर में संघ और बीजेपी के 14 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है. जबकि पिछले 14 सालों में 84 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है. बीजेपी का कहना है कि इनमें से अधिकतर मामलों में कार्रवाई नहीं हुई है, ना ही राज्य सरकार इस मामले में कोई कदम उठा रही है.

हालांकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जनरक्षा यात्रा के बाद संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में भरोसा और आत्मविश्वास बढ़ा है. यात्रा में शामिल आरएसएस के कन्नूर विभाग कार्यकारिणी सदस्य सोहन लाल का मानना है, 'संघ और बीजेपी की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है. शाखाओं की संख्या बढ़ रही है और ज्यादा लोग संघ से जुड़ रहे हैं. यही बात सीपीएम को नागवार गुजर रही है.

सोहन लाल कहते हैं जो जिला सीपीएम का गढ़ हुआ करता था, वहां इस तरह से संघ परिवार की ताकत में इजाफा सीपीएम को ठीक नहीं लग रहा है जिसके बाद इस तरह की हत्या हो रही है. हालांकि इस लड़ाई को हम अंतिम विजय तक लेकर जाएंगे.'

धीरे-धीरे कन्नूर में संघ परिवार की ताकत बढ़ रही है. 1990 से 2000 के दौरान कन्नूर में संघ की लगभग सौ शाखाएं हुआ करती थीं लेकिन, अब इन शाखाओं की संख्या 400 से भी अधिक हो गई है. संघ के कार्यकर्ताओं का दावा है कि इन शाखाओं में बड़ी तादाद में लोग जुड रहे हैं. यहां तक कि कम्युनिस्ट पृष्ठभूमि वाले लोग भी अब संघ की शाखा की तरफ कदम बढ़ाने लगे हैं.

कन्नूर में संघ की बढ़ती ताकत बीजेपी की भी ताकत को भी उसी अनुपात में बढ़ा रही है. आज से एक दशक पहले तक कन्नूर में बीजेपी का नाम लेने वाले नाममात्र के लोग थे, लेकिन, अबकी बात कुछ और है. 2011 के विधानसभा चुनाव में यहां सभी 11 सीटों को मिलाकर बीजेपी को 55 हजार वोट मिले थे, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कन्नूर जिले में एक लाख से ज्यादा वोट मिले. यही हाल कन्नूर में पंचायत चुनाव में भी देखने को मिला जहां बीजेपी के 32 उम्मीदवार जीतने में सफल हो गए.

सोहन लाल

कन्नूर के संघ कार्यकर्ता सोहन लाल का मानना है, 'संघ और बीजेपी का बढ़ता ग्राफ ही सीपीएम की तरफ से चलाए जा रहे दमन का कारण बन रहा है.'

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी आक्रामक रणनीति के लिए जाने जाते हैं, अमित शाह ने मिशन केरल की शुरुआत के लिए भी सीधे वामपंथ के गढ़ में ही धावा बोल दिया है.

अमित शाह का मिशन केरल

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नजर केरल में बीजेपी के जनाधार बढ़ाने पर है. बीजेपी अध्यक्ष ने अभी से ही 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. नजर उन 120 सीटों पर है जहां अबतक बीजेपी नहीं जीत पाई है. इनमें केरल की 20 लोकसभा सीटों के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा और नॉर्थ-ईस्ट पर ज्यादा फोकस है.

केरल की 20 सीटों में अलग-अलग लोकसभा सीट के लिए पहले से ही अलग-अलग मंत्रियों को जिम्मेदारी दे दी गई है. हर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्रियों की निगरानी है. कोशिश है कि केरल की 20 सीटों में से कम से कम 8 से 10 सीटों पर जीत हासिल की जाए. बीजेपी अध्यक्ष इसके पहले जून के पहले हफ्ते में भी केरल में तीन दिन का प्रवास कर चुके हैं. अब जनरक्षा यात्रा के दौरान भी केरल में कैडर्स में जान फूंकने की उनकी कोशिश है. लेकिन, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जनरक्षा यात्रा को केरल में राजनीतिक नफा-नुकसान से जोड़ कर मानने से इनकार कर रहे हैं.

कांग्रेस को पीछे धकेलने की कोशिश

केरल में इसके पहले तक लड़ाई वामपंथ बनाम कांग्रेस की रही है. लेकिन, अब यह लड़ाई वामपंथ बनाम बीजेपी की होती जा रही है. देश भर में अपने सिकुडते जनाधार से परेशान कांग्रेस से विपक्षी दल की भी जगह बीजेपी हथियाने में लगी है. बंगाल की तर्ज पर बीजेपी केरल में भी कांग्रेस को हाशिए पर धकेल कर सीपीएम से सीधी चुनौती की तैयारी में है.

केरल बीजेपी अध्यक्ष राजशेखरन

बीजेपी ने केरल में पार्टी के अध्यक्ष के राजशेखरन को आगे कर अपने संगठन को मजबूत करने का फैसला किया है. दूसरी तरफ केरल में अच्छी तादाद में मौजूद ईसाई समुदाय को अपनी तरफ करने के मकसद से अल्फोंस कन्नाथनम को मोदी सरकार में मंत्री बना दिया गया है. केरल में ईसाई आबादी लगभग 20 फीसदी है. बीजेपी को लगता है कि केरल में ईसाई अगर उनके साथ आ जाएं तो फिर उन्हें रोकना मुश्किल होगा.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हर हाल में 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत का एहसास करना चाहते हैं. लेकिन, जनरक्षा यात्रा के दौरान अपने साथ चल रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं के 'जय-जय बीजेपी' के नारों को सुनकर अमित शाह को 1981 के उस नारे की याद आने लगी है जब बतौर एबीवीपी के कार्यकर्ता उन्होंने केरल के कालीकट में नारा लगाया था, 'लाल गुलामी छोड़कर बोलो वंदे मातरम'. लेकिन इस बार अमित शाह के लिए चुनौती नारों से आगे बढ़कर इन्हें हकीकत में बदलने की है.