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दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर केजरीवाल ने लिखा खुला पत्र

केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जिस तरह दिल्ली के लोगों का शोषण कर रही है, उस तरह तो अंग्रेजों ने भी उनका शोषण नहीं किया

Bhasha

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को दिल्ली के लोगों को एक खुला पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की अपनी मांग का जिक्र किया है और दिल्लीवासियों से अपने बच्चों के भविष्य की खातिर लड़ने की अपील की है.

केजरीवाल ने ऐसे समय में यह खुला पत्र लिखा है जब वह इस मुद्दे पर शुक्रवार को इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं. ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल बेंगलूर के एक संस्थान में 10 दिनों की प्राकृतिक चिकित्सा कराकर दिल्ली लौटे हैं.


विधानसभा में अपनी सरकार द्वारा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव स्वीकार किए जाने का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने दिल्ली के लोगों को ‘छला’ है.

‘आप’ की ओर से अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर डाले गए पत्र में केजरीवाल ने कहा है, ‘चुनावों से पहले पार्टियां अपने घोषणा-पत्र में वादा करती हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएंगे, लेकिन इस मुद्दे पर पिछले 20 साल में किसी ने कुछ नहीं किया.’

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों द्वारा एक सरकार चुनने के बावजूद उप-राज्यपाल दिल्लीवासियों के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर फैसला करते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के पास कोई ताकत नहीं है, जिसका मतलब है कि दिल्लीवासियों के वोट की कीमत ‘जीरो’ है.

उन्होंने कहा कि यह दिल्लीवासियों का अपमान है, क्योंकि वे राष्ट्रीय राजधानी में सीसीटीवी कैमरे लगवाना चाहते हैं. वे मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल और राशन चाहते हैं, लेकिन उप-राज्यपाल ऐसा होने नहीं देंगे.

केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जिस तरह दिल्ली के लोगों का शोषण कर रही है, उस तरह तो अंग्रेजों ने भी उनका शोषण नहीं किया.

उन्होंने कहा कि हर साल केंद्र सरकार दिल्लीवासियों से आयकर के तौर पर 13,000 करोड़ रुपए वसूलती है. इस रकम में से मात्र 325 करोड़ रुपए दिल्ली के विकास पर खर्च किए जाते हैं. उन्होंने पूछा कि क्या दिल्लीवासी यूं ही जूझते रहेंगे और चुप रहेंगे.

केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की वकालत करते हुए कहा कि इससे नौकरियों में युवाओं के लिए 80 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा. पुलिस भी दिल्ली सरकार के मातहत काम करेगी जिससे वह शहर की सरकार के प्रति जवाबदेह होगी.