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कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर आने से क्यों कन्नी काट गए केजरीवाल

शपथ समारोह से पहले केजरीवाल ने चंद्रबाबू नायडू, अखिलेश, येचुरी और ममता बनर्जी से मुलाकात की

FP Staff

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के शपथ समारोह में हिस्सा लिया. केजरीवाल इस कार्यक्रम में शामिल तो हुए लेकिन मंच पर नहीं बैठे. जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी बुधवार को दूसरी बार कर्नाटक के सीएम बने.

शपथ समारोह के मंच पर अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, मायावती, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, चंद्रबाबू नायडू, एमके स्टालिन जैसे दिग्गज नेता एक साथ आए लेकिन सोशल मीडिया पर जिनकी तस्वीरों ने सबका ध्यान खींचा, वो थीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी. कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती और सोनिया गांधी काफी गर्मजोशी से मिलती दिखीं.


समारोह की एक खास बात यह भी रही कि दिल्ली के सीएम कार्यक्रम में शामिल तो हुए लेकिन मंच पर उन नेताओं के साथ नजर नहीं आए जो बीजेपी विरोधी खेमा बनाने की योजना बना रहे हैं. समारोह से पहले ही केजरीवाल ने एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, सीपीआईएम के नेता सीताराम येचुरी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अलग-अलग मुलाकातें कीं.

कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में 11 दलों के नेता एक साथ नजर आए. इस दौरान सोनिया गांधी ने मंच पर ही मायावती को गले लगा लिया. दोनों देर तक एक दूसरे का हाथ पकड़े रहीं. बीच-बीच में दोनों मुस्काराते हुए बातें करती भी नजर आईं. राहुल गांधी भी सोनिया-मायावती के साथ खड़े हंसते नजर आए.

क्या इस कारण दूर रहे मंच से?

अरविंद केजरीवाल विपक्षी नेताओं के साथ मंच पर नजर नहीं आए इसके कई कारण गिनाए जा रहे हैं. केजरीवाल वंशवाद की राजनीति को शुरू से नकारते रहे हैं जबकि कुमारस्वामी की पूरी राजनीति इसी पर टिकी है. कुमारस्वामी के पिता एचडी देवगौड़ा हैं जो कभी प्रधानमंत्री रह चुके हैं.

एक अन्य कारण यह बताया जा रहा है कि कुमारस्वामी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं जिस कारण केजरीवाल उनसे बचना चाहते हों. पहले एक बार ऐसा विवाद हो चुका है जब केजरीवाल नीतीश कुमार के शपथ समारोह में पटना गए थे. तब लालू यादव से न चाहते हुए भी उन्हें गले मिलना पड़ा था. इस मामले में लालू यादव की फजीहत तो हुई ही, केजरीवाल की 'भ्रष्टाचार मुक्त' राजनीति पर भी सवाल उठाए गए.