दिल्ली में एलजी से टकराव के बाद अब दिल्ली सरकार अपने ब्यूरोक्रेट्स से आर-पार के मूड में है. दिल्ली सरकार चाहती है कि उसके इशारे के बिना ब्यूरोक्रेसी का पत्ता भी न हिले. कोई भी फाइल बिना मंत्री की मर्जी या संज्ञान के ओवरपास कर आगे बढ़ी तो अधिकारी की खैर नहीं.
सवाल ये है कि आखिर क्यों दिल्ली सरकार के मंत्रियों को लगता है कि कुछ फाइलें अधिकारीगण मंत्रियों से छुपा रहे हैं?
दरअसल दिल्ली सरकार ने एलजी अनिल बैजल पर विभागों से जुड़े अंदरूनी मामलों को लीक करने का आरोप लगाया है. केजरीवाल सरकार का आरोप है कि स्कॉलरशिप के मामले में अधिकारियों ने मंत्री को अंधेरे में रखा था. अगर अधिकारीगण मंत्री या मुख्यमंत्री को बताते तो 5 लाख छात्रों को स्कॉलरशिप की समस्या नहीं झेलनी पड़ती. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलजी अनिल बैजल पर इस नोट को लीक करने का आरोप लगाया. उन्होंने ट्वीट किया कि 'ऑर्डर की ये कॉपी तो एलजी आफिस से लीक की गई है. ऑर्डर के पेज 2 पर यह एलजी आफिस को मार्क कॉपी है.
इसके बाद ही दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कान खड़े हो गए. उन्हें लगता है कि अधिकारी फाइलों को लेकर मनमर्जी कर रहे हैं. दिल्ली सरकार की नजर में नौकरशाहों की एलजी के विभाग के बीच ‘डायरेक्ट और सीक्रेट डील’ चल रही है. इससे मंत्रियों की छवि न सिर्फ प्रभावित हो रही है बल्कि एक चुनी हुई सरकार के काम भी अटक रहे हैं.
इसी के चलते सीएम अरविंद केजरीवाल के मंत्रियो ने तमाम विभागों को निर्देश जारी कर दिये. इन निर्देशों के मुताबिक अधिकारियों को किसी भी तरह की फाइल को मंत्री से न छुपाने की चेतावनी भी दी गई है. कोई भी फैसला या आदेश किसी भी सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी या चीफ सेक्रेटरी की तरफ से तब तक पास नहीं होगा जब तक मंत्री महोदय अनुमति न दे दें. साथ ही विभाग से जुड़े किसी भी मामले में मंत्री की अनुमति के बिना चर्चा नही होगी. इतना ही केंद्र सरकार से आई किसी भी फाइल को जल्द से जल्द विभाग के मंत्री, सीएम और एलजी को सौंपी जाए.
पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने सोमवार को आदेश पत्र जारी किया जिसमें कहा गया है कि मंत्री को संज्ञान में लिए बगैर कोई मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव कोई फैसला नहीं लेगा.
जाहिर तौर पर इस कवायद का निचोड़ ये है कि दिल्ली सरकार का कोई भी मंत्री अधिकारियों की वजह से अंधेरे में नहीं रहे. लेकिन नौकरशाहों को इस तरह की चेतावनी देकर दिल्ली सरकार ने एक तरह से सभी नौकरशाहों की कर्तव्यनिष्ठा और वफादारी पर भी सवाल खड़ा कर दिया है. विभाग के मंत्री के आदेश के बिना कोई आदेश पास न करने का आदेश साबित करता है कि केजरीवाल के मंत्री का ही आखिरी फैसला ‘हिज़ मास्टर्स वॉयस’ होगी.
माना जा रहा है कि इस चेतावनी के पीछे की वजह स्कॉलरशिप की वो फाइल है जिसे अधिकारी दबा कर बैठे थे. सूत्रों के मुताबिक पांच लाख छात्रों की स्कॉलरशिप फाइल के आगे न बढ़ने को लेकर दिल्ली सरकार और नौकरशाह के बीच ये महाआदेश आया है.
दिल्ली सरकार के सीनियर ब्यूरोक्रेट्स को साफ आदेश हैं कि वो सरकार के मंत्री को बिना बताए कोई भी बड़ा फैसला न लें. साथ ही केंद्र सरकार से आने वाली फाइलों को लेकर प्रोटोकॉल को फॉलो करें.
सरकार की दलील है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान कई ऐसे मामले देखे गए, जो कि जनता के लिए बहुत जरूरी थे. लेकिन चयनित सरकार को सूचित किए बगैर पीछे से फैसला लिया गया. सत्येंद्र जैन का आरोप है कि बिना मंत्री और मुख्यमंत्री को संज्ञान में लिए कुछ अधिकारी फाइलों को गुप्त तरीके से आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
ऐसे में अब दिल्ली सरकार बनाम नौकरशाहों के बीच आदेशों के चलते तलवारें खिंच सकती हैं. अभी तक अरविंद केजरीवाल एलजी और केंद्र सरकार पर काम न करने का आरोप लगाते थे और अब ब्यूरोक्रेट्स पर फाइलों को दबाने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार और नौकरशाहों के बीच एक नई जंग देखने को मिल सकती है.