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रजनीकांत के सहारे कैसे डीएमके मुखिया की कुर्सी पर बैठेंगे करुणानिधि के बड़े बेटे अड़ागिरी!

अड़ागिरी की नजरें डीएमके के मुखिया बनने पर हैं और उनका कहना है कि पार्टी के कार्यकर्ता उनके साथ हैं.

FP Staff

डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के गुजरने के एक सप्‍ताह बाद उनके बड़े बेटे एमके अड़ागिरी और छोटे बेटे एमके स्‍टालिन के बीच तनावभरे रिश्‍ते फिरे से चर्चाओं में हैं. अड़ागिरी की नजरें डीएमके के मुखिया बनने पर हैं और उनका कहना है कि पार्टी के कार्यकर्ता उनके साथ हैं. हालांकि डीएमके में उनकी वापसी मुश्किल है ऐसे में अटकलें हैं कि वह रजनीकांत की पार्टी में शामिल

हो सकते हैं.


यहां पर यह बात महत्‍वपूर्ण है कि जब करुणानिधि कावेरी अस्‍पताल में भर्ती थे तब रजनीकांत ने स्‍टालिन के साथ ही अड़ागिरी से भी मुलाकात की थी. इस बारे में आलोचकों का कहना है कि तस्‍वीर में दिखता है कि अड़ागिरी से बात करते समय रजनीकांत काफी सहज थे जबकि स्‍टालिन से मिलते वक्‍त ऐसी बात नहीं थी. रजनीकांत 20 मिनट तक दोनों नेताओं से मिले और उन्‍होंने इस मुलाकात को शिष्‍टाचार भेंट बताया.

उन्‍होंने कहा था, 'वह (करुणानिधि) देश के सबसे वरिष्‍ठ राजनेता हैं. मैं उनकी काफी इज्‍जत करता हूं. मैंने उनसे कहा कि मैं राजनीति में आ रहा हूं और उनका आशीर्वाद लिया. मैंने स्‍टालिन से कुछ नहीं कहा. मैंने कलैगनार को राजनीति में आने के बारे में कहा. वह काफी खुश थे और मैं भी काफी खुश और उत्‍साहित हूं.'

रजनीकांत के जाने के बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब में स्‍टालिन ने कहा कि द्रविड़ राजनीति के आंदोलन को बांटने के प्रयास कामयाब नहीं होंगे. बकौल स्‍टालिन, 'रजनीकांत ने कलईगनर से मुलाकात की और नई पार्टी शुरू करने पर आशीर्वाद मांगा. कुछ लोगों को लगता है कि रजनीकांत के जरिए वे तमिलनाडु में द्रविड़ों की पार्टी को खत्‍म कर सकते हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा.'

अभी तक अड़ागिरी ने रजनीकांत के खिलाफ कुछ नहीं कहा है लेकिन उनके राजनीति में आने के फैसले का समर्थन किया है. अड़ागिरी का कहना है कि वह सही समय पर अपने इरादे जाहिर करेंगे. इसके चलते उनके रजनीकांत के साथ जाने पर अटकलें तेज हो गईं.

आरके नगर सीट पर उपचुनाव में डीएमके की जमानत जब्‍त हो गई थी. इस नतीजे के बाद अड़ागिरी ने ठीकरा स्टालिन पर फोड़ा था. उन्‍होंने कहा था, 'जब तक स्‍टालिन डीएमके के कार्यकारी अध्‍यक्ष रहेंगे तब तक पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिलेगी.'

अड़ागिरी को एक समय डीएमके का बड़ा नेता माना जाता था. पार्टी कैडर पर उनकी जबरदस्‍त पकड़ थी. वह मदुरई में रहते हुए पार्टी का काम देखते थे. 2009 के चुनाव में वह मदुरई से सांसद बने थे और मनमोहन सिंह सरकार में कैमिकल व फर्टिलाइजर मंत्री थे. लेकिन करुणानिधि ने स्‍टालिन को अपना उत्‍तराधिकारी घोषित कर दिया. इसके बाद दोनों भाइयों में तकरार है. स्‍टालिन पर हमला बोलने का अलागिरी कोई मौका नहीं छोड़ते हैं.

(साभार: न्यूज18)