view all

प्रोटेम स्पीकर की ये ताकतें खड़ी कर सकती हैं कांग्रेस के लिए मुश्किलें

कर्नाटक विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर के पास वही पॉवर होगी, जो स्पीकर के पास होती है, वो दलबदल कानून पर उसी तरह फैसला ले सकता है, जैसे स्पीकर करते हैं

FP Staff

कर्नाटक में दो दिन पुरानी येदियुरप्पा सरकार के फ्लोर टेस्ट को संचालित कराने वाले प्रोटेम स्पीकर के पास वही पॉवर होंगे, जो पूर्णकालिक स्पीकर के पास होते हैं. यानि गर्वनर के बाद अब नए प्रोटेम स्पीकर कांग्रेस और जेडीएस के लिए नया सिरदर्द बनने वाले हैं.

प्रोटेम स्पीकर नई विधानसभा में चुन कर आए विधायकों को शपथग्रहण तो कराएंगे ही लेकिन सबसे बड़ी बात उनकी पॉवर की है. इससे वो दल बदल कानून पर सत्तारूढ सरकार की नैया पार करा सकते हैं.


सुप्रीम कोर्ट के अनुसार प्रोटेम स्पीकर ही ये फैसला भी करेगा कि येदुरप्पा सरकार के शक्ति परीक्षण को खुले तौर पर हाथ उठाकर किया जाए या फिर बैलेट में वोटिंग के आधार पर.

क्यों होती है प्रोटेम की नियुक्ति

जब भी नई विधानसभा का कार्यकाल शुरू होता है, तब नए स्पीकर या नए डिप्टी स्पीकर का पद भी खाली होता है, जिसे नई विधानसभा के सदस्य मिलकर चुनते हैं लेकिन उससे पहले विधानसभा की शुरुआती कार्यवाहियों को अंजाम देने के लिए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है. लोकसभा में ये काम राष्ट्रपति द्वारा होता है और राज्यों में विधानसभा के लिए ये काम राज्यपाल करते हैं.

संवैधानिक तौर पर गलत नहीं

वो सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को अामतौर प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं, जो विधानसभा में आगे की कार्यवाही को तब तक संचालित करता है, जब तक कि सदन का पूर्णकालिक स्पीकर या डिप्टी स्पीकर नहीं मिल जाए. तब सदन उसी के दिशानिर्देश पर चलता है. संवैधानिक विशेषज्ञ पीडीटी आचार्या कहते हैं कि प्रोटेम स्पीकर द्वारा फ्लोर टेस्ट कराना कहीं से भी संवैधानिक तौर पर गलत नहीं है.

क्या हुआ था जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी

जब नरेंद्र मोदी सरकार वर्ष 2014 में सत्ता में आई थी तो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस के नेता कमल नाथ को प्रोटेम स्पीकर बनाया था, वो तब लोकसभा के सबसे सीनियर सदस्य थे.

वर्ष 2009 में आम चुनावों के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मानिकराव गोवित को प्रोटेम स्पीकर बनाया था, तब गावित नई लोकसभा के सबसे सीनियर सदस्य थे.

Bengaluru: BJP's B. S. Yeddyurappa gestures after he was sworn-in as Karnataka Chief Minister by Governor Vajubhai Vala (R) at a ceremony in Bengaluru on Thursday. (PTI Photo/Shailendra Bhojak)(PTI5_17_2018_000068B) *** Local Caption ***

प्रोटेम स्पीकर चाहे तो ये कर सकता है

चूंकि शनिवार को होने फ्लोर टेस्ट में येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए आठ वोटों की और जरूरत होगी तो उन्हें स्पीकर के तौर पर ऐसे शख्स की जरूरत होगी, जो उनके लिए सुविधाजनक हो और दल बदल कानून की शिकायतों से भी बचा सके.

अगर स्पीकर चाहे तो व्हिप के खिलाफ जाकर वोट करने वाले या दलबदल कर दूसरी पार्टी में शामिल होने वाले विधायकों की अयोग्यता पर लंबे समय तक फैसला टाल सकता है. ऐसा ही काम कर्नाटक की पूर्व विधानसभा के स्पीकर ने भी किया था. ऐसे ही वाकये आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी हो चुके हैं. सत्ताधारी पार्टी की सुविधा के लिए स्पीकर अपने फैसले को लंबे समय तक टालते ही रहे या फिर फैसला दिया ही नहीं.

क्या है मौजूदा विधानसभा का आंकड़ा

कर्नाटक की मौजूदा 222 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए बीजेपी को 112 के आंकड़े की जरूत है जबकि कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को मिला दें तो दूसरी ओर विधायकों की संख्या 116 है. बीजेपी को बहुमत के लिए आठ विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. बीजेपी के पास मौजूदा समय में 104 विधायक हैं.

(साभार न्यूज-18)