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कर्नाटक चुनाव: साफ छवि के नेता नहीं तो दागियों का सहारा?

मुख्य विपक्षी दल बीजेपी सिद्धारमैया को 'भ्रष्ट' सरकार कह रही है. लेकिन बीजेपी भी दागी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने में पीछे नहीं है

FP Staff

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को अपने कैबिनेट के कुछ सहयोगियों की एक अनौपचारिक बैठक बुलाई थी. दरअसल इस बैठक में सिद्धारमैया बिदर जिले के प्रभारी मंत्री ईश्वर खंदरे से विवादित कारोबारी अशोक खेनी की उम्मीदवारी पर राय जानना चाहते थे. सिद्धारमैया अशोक खेनी को बिदर दक्षिण सीट से टिकट देना चाहते हैं. लेकिन इस बैठक में लिंगायत के ताकतवर नेता ईश्वर खंदरे ने साफ-साफ सिद्धारमैया को कह दिया कि अशोक खेनी का वो बचाव नहीं कर पाएंगे. विवादित कारोबारी अशोक खेनी नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइजेज (एनआईसीई) के मालिक हैं, और उन पर हजारों करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं.

ईश्वर खंदरे की राय से सिद्धारमैया शर्मिंदा हो गए. लेकिन फिर भी उन्होंने कहा कि पार्टी के सामने अशोक खेनी को टिकट देन के अलावा कोई और चारा नहीं है. लिहाजा ईश्वर खंदरे को न चाहते हुए भी अशोक खेनी की उम्मीदवारी पर हामी भरनी पड़ी. अशोक खेनी फिलहाल हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में बिदर दक्षिण विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं और पिछले महीने ही वो कांग्रेस में शामिल हुए थे. सिद्धारमैया सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने अशोक खेनी को पार्टी में शामिल करने का विरोध किया था. खास बात ये है कि पिछले साल खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खेनी की कंपनी के खिलाफ जांच के लिए संयुक्त विधायक दल की कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने खेनी के खिलाफ गंभीर आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी. उस वक्त कांग्रेस के कुछ नेताओं ने खेनी को जेल भेजने की मांग थी.


सूत्रों के मुताबिक खेनी ने दिल्ली के रास्ते कांग्रेस में एंट्री मारी है जहां पार्टी हाईकमाई से उन्हें हरी झंडी मिली. जब न्यूज़ 18 ने सिद्धारमैया को खेनी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "वो सरकार में नहीं बल्कि कांग्रेस में शामिल हुए हैं. हमने उन्हें क्लीन चिट नहीं दी है. अगर अदालत उन्हें दोषी ठहराता है तो हम निश्चित रूप से उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे".

विवादित नेताओं में सिर्फ खेनी ही नहीं है बल्कि कांग्रेस के कई नेता इस लिस्ट में शामिल है. अवैध खनन मामले में सजा काट चुके बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं के खास दोस्त आनंद सिंह और नागेन्द्र दो महीने पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के हैदराबाद-कर्नाटक दौरे के दौरान कांग्रेस में शामिल हुए थे. सिंह और नागेंद्र दोनों पर अरबों डॉलर के खनन घोटाले में शामिल होने का आरोप है. ये दोनों कुछ समय तक जेल में भी थे.

कांग्रेस ने इनके पार्टी में शामिल होने का बचाव किया है. पार्टी के मुताबिक स्थानीय राजनीति के चलते इन्हें लाना पड़ा है. दोनों एक बार फिर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और इस बार कांग्रेस की टिकट पर.

खनन घोटाले के एक और आरोपी और करवार के विधायक सतीश सेल को भी इस बार कांग्रेस ने टिकट देने का वादा किया है. 2013 में उन्हें कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह करने के बाद जीत मिली थी. सतीश सेल ने कुछ महीने जेल में भी बिताया है.

मुख्य विपक्षी दल बीजेपी सिद्धारमैया को 'भ्रष्ट' सरकार कह रही है. लेकिन बीजेपी भी दागी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने में पीछे नहीं है. पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी के नेतृत्व में कुख्यात बेल्लारी भाइयों ने दावा किया है कि जब तक वे बीजेपी को वापस सत्ता में नहीं लाते तब तक वो चैन से नहीं बैठेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने जनार्दन रेड्डी के बेल्लारी जाने पर बैन लगाया हुआ है ऐसे में वो चित्रदुर्ग और बेल्लारी जिले की सीमा से चुनावी गतिविधियों को क्रंट्रोल कर रहे हैं.

उनके छोटे भाई और बेल्लारी सीटी के पूर्व विधायक जी सोमशेखरा रेड्डी एक बार फिर उसी सीट से बीजेपी से टिकट के लिए पैरवी कर रहे हैं. खनन घोटाले के जुड़े रहने के चलते दोनों भाई जेल में थे.

बीजेपी का कहना है कि जनार्दन रेड्डी उनके साथ नहीं हैं. लेकिन बेल्लारी जिला भाजपा इकाई का दावा है कि वो अभी भी उनके नेता हैं. जनार्दन रेड्डी ने मीडिया से कहा कि वो बीजेपी के ही कार्यकर्ता हैं.

जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा है, " वे (कांग्रेस और भाजपा) एक साथ लूटते है और एक साथ खाते हैं. हम क्या कर सकते है?".

(न्यूज़18 के लिए डीपी सतीश की रिपोर्ट)