मैसूर जिले की चामुंडेश्वरी विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर सिद्धारमैया का नाम छाया हुआ है. इसी सीट से जीत प्राप्त कर पहली बार कर्नाटक विधानसभा पहुंचने वाले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक बार फिर अपने पुराने किले में लौट आए हैं, जहां से वो कई बार विधायक रहे और अपने राजनीति के सफर में बुलंदियों को हासिल किया.
सिद्धारमैया ओल्ड मैसूर इलाके की इस सीट से कई बार विधायक चुने गए. परिसीमन के बाद इस क्षेत्र में जो उनके मूल मतदाता थे वो ज्याादतर वरुणा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत चले गए. उसके बाद सिद्धारमैया ने चामुंडेश्वरी का साथ छोड़ वरुणा विधानसभा क्षेत्र का दामन थाम लिया और जीत कर विधायक ही नहीं बल्कि के राज्य के मुख्यमंत्री भी बने. इस बार के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जब उनके बेटे यतींद्र वरुणा से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं, तो सिद्धारमैया ने अपने पुराने क्षेत्र से ही मैदान में उतरना उचित समझा. हालांकि वो बादामी विधानसभा से भी अपना दांव आजमा रहे हैं.
सिद्धारमैया के खिलाफ बीजेपी ने गोपाल राव को मैदान में उतारा है. गोपाल राव एक स्थानीय आरएसएस कार्यकर्ता हैं जिनका सिद्धारमैया को टक्कर देने की न के बराबर उम्मीद है. चामुंडेश्वरी समेत मैसूर के इस इलाके में असली लड़ाई कांग्रेस और जेडीएस के बीच है.
जेडीएस ने सिद्धारमैया के खिलाफ जीटी देवेगौड़ा को उम्मीदवार बनाया है. जीटी देवगौड़ा एक समय में सिद्धारमैया के इलेक्शन एजेंट हुआ करते थे.
सिद्धारमैया ने पहली बार इस सीट से 1983 में जीत दर्ज की थी. हालांकि 1985 और 1989 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सिद्धारमैया ने वापसी करते हुए 1994, 2004 और 2006 में यहां से जीत दर्ज की, लेकिन 2006 के उपचुनाव में उन्हें महज 275 वोट से जीत मिली थी.
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अपने पुराने गढ़ में सिद्धारमैया इस बार की बाजी को कैसे जीतते हैं.