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कर्नाटक: मंत्रालय आवंटन के बाद भी थम नहीं रही हैं सरकार की तकलीफें

कुछ विधायकों ने मंत्री पद ना मिलने के चलते पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो कई मनपसंद मंत्रालय न मिलने से नाराज हैं

FP Staff

कर्नाटक की सरकार के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के सामने नई समस्याएं आ गई हैं. वास्तव में पोर्टफोलियो का बंटवारा होने के बाद दोनों, कांग्रेस और जेडीएस के बीच समस्याएं बढ़ गई हैं. कई मंत्री खुद को मिले पोर्टफोलियो से खुश नहीं हैं. वो खुले तौर पर गौड़ा परिवार और कांग्रेस हाई कमांड पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री के पास दर्जन भर अन्य मंत्रालयों के साथ उनके पास दो प्रमुख मंत्रालय, वित्त और उर्जा हैं. कांग्रेस और जेडीएस के कुछ नेताओं की ओर से दो पोर्टफोलियो कुमारस्वामी के बड़े भाई एचडी रेवन्ना को देने पर विरोध करने के बाद उन्हें सिर्फ पीडब्ल्यूडी पोर्टफोलियो दिया गया. मांड्या से जेडीएस विधायक सीएस पुट्टाराजू इसलिए कुमारस्वामी से खफा हैं क्योंकि उनको माइन इरिगेशन का मंत्रालय दिया गया है.


मंत्री न बन पाए तो विधायकों ने पार्टी के खिलाफ खोला मोर्चा

गौड़ा के करीबी रिश्तेदार डीसी थमान्ना भी इसी जिले से हैं और उन्हें ट्रांसपोर्ट पोर्टफोलियो दिया गया है. पुट्टाराजू के समर्थक उनसे कह रहे हैं कि वह अब काम ना संभालें. कुछ ऐसी ही स्थिति कांग्रेस के खेमे में भी है. करीब 15-20 विधायक जो मंत्री नहीं बन पाए हैं, उन्होंने खुले तौर पर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. विधायकों ने कहा है कि तय सीमा के भीतर मामले सुलझाएं जाएं. पोर्टफोलियो के आवंटन के चलते पार्टी के लिए मुसीबत और बढ़ गई है. दो वरिष्ठ, आरवी देश पांडे और केजे जॉर्ज को फायदेमंद मंत्रालय दिए गए हैं रेवेन्यू, देशपाण्डे को दिया गया है और जॉर्ज को इंडस्ट्रीज, कॉमर्स, आईटी और बीटी पोर्टफोलियो दिया गया है.

कृष्ण बैरे गौड़ा को को प्रतिष्ठित ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कानून और संसदीय मामलों सहित लगभग आधा दर्जन मंत्रालय दिए गए हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियंका खड़गे को सामाजिक कल्याण पोर्टफोलियो मिला है. पूरे उडुपी-मंगलौर क्षेत्र से जीतने वाले एकमात्र कांग्रेस उम्मीदवार यूटी खादर को शहरी विकास पोर्टफोलियो मिला है. उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर को घर और बेंगलुरु विकास का पोर्टफोलियो मिला है. पोर्टफोलियो बांटे जाने में विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब वरिष्ठ लोगों ने मांग की कि उन्हें बेंगलुरु विकास पोर्टफोलियो से निकाल दिया गया है. कांग्रेस के संकट मोचक डीके शिवकुमार को जल संसाधन और मेडिकल एजुकेशन का पोर्टफोलियो मिला है. स्वंत्र विधायक आर शंकर को फॉरेस्टस इकॉलजी और एन्वाइरन्मन्ट पोर्टफोलियो मिला है.

मनपसंद मंंत्रालय न मिलने से देवेगौड़ा नाराज

शिवानंद पाटिल को लेबर पोर्टफोलियो दिया गया है. जेडीएस के अनुभवी नेता जीटी देवेगौड़ा को शिक्षा पोर्टफोलियो दिया गया है, लेकिन वह बिजली और पीडब्ल्यूडी ना मिलने से नाराज हैं. कुमारस्वामी के वफादार और बीडर से बांदेपा कशेमपुर को सहकारिता मंत्रालय दिया गया है. फिल्म अभिनेत्री जयमाला को महिला, बाल विकास, कन्नड़ और संस्कृति मंत्रालय देने के चलते कांग्रेस की 4 महिला विधायक नाराज हैं.

कांग्रेस के निष्ठावान समर्थक और कोलार से सात बार के सांसद केएच मुनियप्पा अपनी बेटी रूपा शशिधर को कैबिनेट में शामिल ना किए जाने पर नाराज हैं. कोलार गोल्ड फील्ड से शशिधर ने 41,000 वोटों से जीत हासिल की थी. हालांकि, मुनियप्पा ने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया और कहा कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और पब्लिक में राय नहीं देंगे. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इससे नाखुश हैं और हाई कमांड की ओर से आग्रह के चलते सहमति बनाने का फैसला किया है. यदि जेडी (एस) -कांग्रेस गठबंधन जल्द ही लोगों को मना नहीं सका तो घायल बीजेपी को फिर से मौका मिल सकता है.

(न्यूज-18 के लिए डीपी सतीश की रिपोर्ट)