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'गुरु' को उनके ही स्टाइल में चित करने की तैयारी, क्या केजरीवाल पर भारी पड़ेंगे कपिल?

कपिल मिश्रा का अनशन केजरीवाल के कल्चर की याद दिला देती है

Amitesh

कपिल मिश्रा पूरी तरह से केजरीवाल स्टाइल में ही काम करते दिख रहे हैं. मंत्रिपद से हटाए जाने के बाद से ही अपने 'गुरू' अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ठीक उसी तरह से आरोप लगा रहे हैं, जैसे केजरीवाल विपक्ष के नेताओं पर लगाया करते हैं.

केजरीवाल बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक और बाकी दूसरे दलों के नेताओं के खिलाफ आरोपों का पुलिंदा लेकर हाजिर होते, प्रेस कॉन्फ्रेंस करते, बड़े-बड़े बयान देते, ट्विटर पर ट्वीट्स की बारिश करते और फिर मामला हवा हवाई हो जाता. केजरीवाल के आरोपों की बाढ़ में कितने नेता डूबे इसका एकाध उदाहरण भी ढूंढना मुश्किल होगा.


केजरीवाल की इसी हिट एंड रन पॉलिसी को अपनाते दिख रहे हैं कपिल मिश्रा. कपिल मिश्रा ने एक दिन पहले ही कहा था कि जिस गुरु से बाण चलाना सीखा अब उन्हीं पर तीर चलाने पड़ रहे हैं. सच ही है उनकी 'तीरंदाजी' के एक-एक गुर पर गुरु केजरीवाल की छाप दिखती है.

लगातार चले आरोप-प्रत्यारोप के बाद कपिल मिश्रा अब धरने पर बैठ गए हैं. हालांकि केजरीवाल का धरना जंतर मंतर से था लेकिन, दिल्ली में कपिल मिश्रा ने अपने आवास से ही अनशन की शुरुआत कर दी है. कपिल इसे धरना नहीं सत्याग्रह बता रहे हैं.

इसके पहले कपिल मिश्रा ने एक दिन पहले ही सीबीआई दफ्तर पहुंचकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ तीन शिकायतें दर्ज करवाई थी.

इन तीन शिकायतों में पहली शिकायत ये थी कि केजरीवाल के रिश्तेदार के लिए 50 करोड़ रुपए की लैंड डील की गई है. दूसरी शिकायत में आप के कई नेताओं के विदेश दौरे के बारे में जांच की मांग की गई है. जबकि तीसरी शिकायत में स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन से केजरीवाल के 2 करोड़ रूपए लिए जाने का आरोप शामिल है.

(फोटो: पीटीआई)

आरोप लगाकर अनशन पर बैठ गए कपिल

कपिल मिश्रा की तरफ से पहले ही इस बात की चेतावनी दे दी गई थी कि अगर केजरीवाल की तरफ से बुधवार सुबह तक पार्टी नेताओं के लिए विदेश दौरे पर खर्च की गई पार्टी फंड की जानकारी नहीं दी जाती तो वो भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे.

कपिल मिश्रा का आरोप है कि आप के पांच नेता संजय सिंह, आशीष खेतान, सत्येंद्र जैन, राघव चड्ढा और दुर्गेश पाठक की विदेश यात्राओं में पार्टी फंड का इस्तेमाल किया गया था.

कपिल मिश्रा का अनशन केजरीवाल के कल्चर की याद दिला देती है. जब हर मुद्दे पर सबसे पहले बापू की समाधि स्थल राजघाट पहुंचकर वो वहां से प्रेरणा लेते थे और फिर धरना-प्रदर्शन, सत्याग्रह या भूख हड़ताल कर बड़ी लड़ाई का बिगुल बजा दिया करते थे.

कपिल मिश्रा भी वैसा ही कर रहे हैं. कपिल भी मंत्रिपद से हटाए जाने के बाद केजरीवाल के खिलाफ अपनी लड़ाई का बिगुल फूंकने से पहले राजघाट पहुंचे, बापू की समाधि स्थल पर पहुंचकर नमन किया और प्रेरणा लेकर निकल पड़े अपनी राह पर जिसे वो सत्याग्रह की राह बता रहे हैं.

लेकिन केजरीवाल के आरोपों की जद में आकर उनका कोई विरोधी चित नहीं पड़ा और न ही ऐसा लग रहा है कि कपिल मिश्रा के सनसनीखेज आरोपों में वो केजरीवाल को मजबूती से घेर पाएंगे.

केजरीवाल की खामोशी पर उठाए सवाल

कपिल अब केजरीवाल से इन आरोपों के मामले में  चुप्पी तोड़ने की अपील कर रहे हैं. ठीक उसी अंदाज में जैसा भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के दौरान केजरीवाल उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से किया करते थे.

जरा याद कीजिए उस दौर को जब केजरीवाल और उनके करीबियों की तरफ से भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मौन रहने पर निशाना साधा जाता रहा. मनमोहन सिंह को 'मौनमोहन' सिंह तक बताया गया था. अब कपिल मिश्रा अपनी तरफ से केजरीवाल पर लगाए गए आरोपों के लिए उनकी तुलना मनमोहन सिंह से करने लगे हैं.

कपिल मिश्रा का कहना है कि अरविंद केजरीवाल अब मनमोहन सिंह की तरह हो गए हैं, जो हर मुद्दे पर चुप रहते हैं और भ्रष्टाचार के आरोपों पर जवाब देने से कतराते हैं.

कपिल के आरोपों में कितना दम है, यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा. लेकिन, सवाल कपिल मिश्रा के ऊपर भी उठ रहे हैं कि 2 करोड़ रुपए के लेन-देन का मामला हो या फिर 50 करोड़ की लैंड डील की बात. अब तक कपिल सबूतों के मामले में गोलेबाजी करते ही दिख रहे हैं.

कपिल की वाकपटुता और उनके बोलने का अंदाज ठीक उसी तरह का है जैसा अरविंद केजरीवाल का हुआ करता है. लेकिन, उनके आरोपों ने दिल्ली के भीतर पहले से ही संकट से जूझ रही आम आदमी पार्टी के अंदर तक हिला कर रख दिया है.

दूसरों पर वार करने वाले आप के गुरिल्ला लड़ाकों को अब अपने ही चेले के गुरिल्ला वार से निपटना मुश्किल हो गया है. ईवीएम का डेमो ड्रामा भी फिलहाल कपिल के शो को रोक नहीं पा रहा है.

आप से अलग हुए स्वराज आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव का भी कहना है कि कपिल मिश्रा सबूत के साथ आएं तो बेहतर होगा.

लेकिन, कपिल की कार्यशैली में सबूत कहां, वो तो केवल आरोप लगा रहे हैं. इससे किसी को हैरान नहीं होना चाहिए क्योंकि, कपिल जिस पाठशाला के प्रोडक्ट हैं वहां इसी अंदाज में पाठ पढ़ाया जाता है.