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शिवराज काल के अधिकारियों से छेड़छाड़ क्यों नहीं कर रहे हैं कमलनाथ?

कमलनाथ ने लगभग 22 जिलों के एसपी ही बदले हैं. एक तरह से देखा जाए तो कमलनाथ अभी भी शिवराज सिंह चौहान की टीम के साथ ही फैसले ले रहे हैं

Dinesh Gupta

कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बने हुए एक माह पूरा हो गया है. कमलनाथ ने पिछले एक माह में दर्जनों IAS, IPS अधिकारियों के तबादले किए हैं. इन तबादलों में अधिकांश वो लोग प्रभावित नहीं हुए है, जो शिवराज सिंह चौहान की सरकार में ताकतवर माने जाते थे. कमलनाथ ने मुख्यमंत्री सचिवालय में भी कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया है. पुलिस विभाग के मुखिया का चेहरा भी नहीं बदला है.

रिटायरमेंट कारण बदला मुख्य सचिव का चेहरा


कमलनाथ ने 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. कांग्रेस की पंद्रह साल बाद राज्य की सत्ता में वापसी हुई थी. लिहाजा यह अनुमान लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री कमलनाथ, शिवराज सिंह चौहान के चहेते अफसरों को रातोरात बदल देंगे. लेकिन उम्मीद से उलट कमलनाथ ने प्रशासनिक फेरबदल में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. मुख्य सचिव के पद पर बैठे 1984 बैच के IAS अफसर बसंत प्रताप सिंह को उनका कार्यकाल पूरा करने दिया. बसंत प्रताप सिंह को शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने छह का सेवा विस्तार दिया था.

इस विस्तार के साथ उनका रिटायरमेंट 31 दिसंबर 2018 को होना था. कमलनाथ ने 31 दिसंबर की रात को ही नए मुख्य सचिव के तौर पर सुधि रंजन मोहंती की नियुक्ति की. मोहंती, दिग्विजय सिंह के पसंदीदा अफसरों में माने जाते हैं. मोहंती को इसका नुकसान बीजेपी सरकार में हुआ. उनके खिलाफ आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो द्वारा जांच भी की गई थी.

इस जांच के चलते ही उन्हें प्रमुख सचिव के पद पर भी समय पर पदोन्नति नहीं मिल पाई थी. वरिष्ठता के बावजूद उन्हें मुख्य सचिव के शीर्ष पद पर भी बैठने का मौका नहीं दिया गया. शिवराज सिंह चौहान ने मोहंती से दो साल जूनियर बसंत प्रताप सिंह को मुख्य सचिव बनाया.

कांग्रेस की वापसी का फायदा?

पंद्रह साल बाद कांग्रेस की सत्ता वापसी के बाद ही मोहंती को मुख्य सचिव बनने का मौका मिला. कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाने वाले बसंत प्रताप सिंह को भी निराश नहीं किया. उन्हें रिटायरमेंट के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद अगले साढ़े पांच साल के लिए दे दिया गया. इस पद पर बैठे एक अन्य रिटायर्ड मुख्य सचिव आर.परशुराम को सुशासन स्कूल का महानिदेशक बनाकर खुश किया गया.

आर परशुराम सितंबर 2013 तक राज्य के मुख्य सचिव रहे हैं. उनके बाद आए एंटोनी डिसा तीन साल राज्य के मुख्य सचिव रहे. शिवराज सिंह चौहान ने रिटायरमेंट के बाद डिसा को रेरा का अध्यक्ष बना दिया. कमलनाथ सरकार में डिसा ताकतवर अफसर के तौर पर उभर कर सामने आए हैं. डिसा भारत सरकार में कमलनाथ के साथ काम कर चुके हैं.

बताया जाता है कि अधिकारियों के मामले में कमलनाथ डिसा से ही सलाह-मशविरा करते हैं. जिन अफसरों ने डिसा को मुख्य सचिव नियुक्त कराने में अहम भूमिका अदा की थी, उन अफसरों पर अब डिसा का वरद हस्त है. इस कड़ी में राज्य के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. सुलेमान लंबे समय से उद्योग विभाग में प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनके पास लोक निर्माण विभाग भी है.

आखिर क्यों हो रही है हैरानी?

राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद सुलेमान का प्रभार न बदलना लोगों को आश्चर्य में डाल रहा है. सुलेमान वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में हिस्सा लेने के लिए कमलनाथ के साथ दावोस गए हैं. कमलनाथ ने अब तक 35 जिलों के कलेक्टर ही बदले हैं. राज्य में कुल 52 जिले हैं. भोपाल,जबलपुर जैसे महत्वपूर्ण जिलों के कलेक्टरों को यथावत रखा है.

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही महेश चंद्र चौधरी को रीवा कमिश्नर के पद से हटाया था. चौधरी वर्ष 2016 के लोकसभा चुनाव के वक्त छिंदवाड़ा में कलेक्टर थे. उस दौरान कमलनाथ से उनकी अनबन हो गई थी. चौधरी पिछले एक माह से अपनी पदस्थापना की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

सचिवालय में अभी भी हैं शिवराज सिंह चौहान के पसंदीदा अफसर

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री सचिवालय में भी व्यापक फेरबदल नहीं किया. शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव रहे अशोक वर्णवाल को कमलनाथ ने अपने साथ ही रखा है. सचिवालय को भी हल्का-फुल्का बनाने की कोशिश कमलनाथ ने की है.

वर्णवाल भारत सरकार में कमलनाथ के प्राइवेट सेक्रेटरी के तौर पर काम कर चुके हैं. कमलनाथ ने अपने साथ काम कर चुके एक अन्य अधिकारी मनु श्रीवास्तव को वाणिज्यिक कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग में पदस्थ कर दिया. मनु श्रीवास्तव की पत्नी IPS अधिकारी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव को मुख्यमंत्री सचिवालय में OSD बनाया गया है.

शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रिकाल में प्रमुख सचिव के वेतनमान वाले चार IAS अधिकारी सचिवालय में तैनात थे. इनमें से एक अधिकारी एसके मिश्रा को रिटायरमेंट के बाद भी संविदा नियुक्ति देकर सचिवालय में रखा गया था. सत्ता परिवर्तन के बाद मिश्रा की संविदा नियुक्ति खुद ही समाप्त हो गई.

वहीं विवेक अग्रवाल और हरिरंजन राव को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री सचिवालय की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया. विवेक अग्रवाल को पीएचई विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है. हरिरंजन राव को तकनीकी शिक्षा एवं पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभाग में रखा गया है. शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में इन अधिकारियों की ही तूती सरकार में बोलती थी.

शिवराज सिंह चौहान ने कई महत्वपूर्ण विभाग भी इन अधिकरियों के जिम्मे छोड़े थे. इन विभागों में मंत्रियों का कोई असर नहीं था. कमलनाथ ने सचिवालय में कभी शिवराज सिंह चौहान के उप सचिव रहे अशोक वर्मा को भी अपने सचिवालय में जगह दी है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाला आदेश एसएन रुपला का है.

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने रूपला पर आरोप लगाया था कि वह रीवा संभाग के कलेक्टरों पर बीजेपी के पक्ष में काम करने के लिए दबाव बना रहे हैं. रूपला रीवा के कमिश्नर रहे थे. रिटायरमेंट के बाद शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें OSD के तौर पर अपने साथ रखा था.

कमलनाथ सरकार में उन्हें रेरा के अपीलीय प्राधिकरण में रजिस्ट्रार का काम मिल गया है. शिवराज सिंह चौहान की सरकार में बैतूल के कलेक्टर रहे शशांक मिश्रा को उज्जैन का कलेक्टर बनाकर कमलनाथ ने नौकरशाही के प्रति अपने नरम रवैये का संदेश दिया है.

अपर मुख्य सचिव स्तर पर एक मात्र अधिकारी मनोज श्रीवास्तव ऐसे हैं,जिन्हें कमलनाथ ने लूप लाइन में डाला है. कमलनाथ अफसरों के बारे में फैसला करने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की राय भी लेते हैं. कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र में फेरबदल से पहले कमलनाथ ने उनकी राय भी ली. मैदानी अफसरों ट्रांसफर स्थानीय कांग्रेसी नेताओं के फीडबैक के आधार पर किए जा रहे हैं.

कमलनाथ ने पुलिस महानिदेशक को भी नहीं बदला

किसी भी राज्य में सत्ता परिवर्तन होने की स्थिति में पुलिस महानिदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति का हटना तय माना जाता है. लेकिन, कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार के पुलिस महानिदेशक रहे ऋषि कुमार शुक्ला की सेवाएं जारी रखकर सभी को चौंका दिया. पुलिस विभाग में फेरबदल भी शुक्ला के प्रस्तावों के आधार पर किए गए.

कमलनाथ ने संजय राणा को इंटेलिजेंस और एस डब्ल्यू नकवी को प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी है. अनुराधा शंकर प्रशासन और राजीव टंडन इंटेलिजेंस में अपर पुलिस महानिदेशक थे. कमलनाथ ने आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो और लोकायुक्त जैसी भष्टाचार निरोधी संस्थाओं में नए अफसर भेजे हैं.

आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में केएन तिवारी को महानिदेशक और मोहम्मद अफजल को अपर महानिदेशक नियुक्त किया है. बी मधु कुमार को लोकायुक्त में अपर महानिदेशक बनाया गया है.

मधु कुमार पर आरोप था कि उन्होंने आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में महानिदेशक पद पर रहते हुए शिवराज सिंह चौहान की सरकार के कथित ई-टेंडरिंग घोटाले की एफआईआर दर्ज नहीं की थी. कमलनाथ ने लगभग 22 जिलों के एसपी ही बदले हैं. एक तरह से देखा जाए तो कमलनाथ अभी भी शिवराज सिंह चौहान की टीम के साथ ही फैसले ले रहे हैं.