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जेएनयू की जंग: वोटों की गिनती शुरू 50 घंटे की काउंटिंग से होगा फैसला

उम्मीद की ये इंतेहा यह थी कि एक पार्टी के हार्डकोर सपोर्टर को भी दूसरी पार्टी के लोग चिट पकड़ा दे रहे थे

Jainendra Kumar

बुधवार तक उम्मीदवारी, दावेदारी के दिन थे, और शुक्रवार को आम छात्रों की बारी थी. जेएनयू के 4 स्कूलों को मतदान केंद्र के रूप में तब्दील किया गया था. हरेक मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर बैरिकेड लगे थे, बाहर गार्ड खड़े थे.

स्कूल ऑफ लैंग्वेज लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज की सीढ़ियों के नीचे सभी पार्टी के लोग दो कतार में खड़े थे. दो लंबी कतारों के बीच के रास्ते से होकर सभी स्टूडेंट को वोट देने जाना होता है. ऐसे में हरेक मतदाता अपने को महराजा फील कर रहा होता है. सभी पार्टी के लोग अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट वाली पर्ची उनको पकड़ा रहे थे. उम्मीद की ये इंतेहा यह थी कि एक पार्टी के हार्डकोर सपोर्टर को भी दूसरी पार्टी के लोग चिट पकड़ा दे रहे थे. यही जेएनयू के लोकतंत्र की खूबसूरती है.


सभी लोग मुस्कराते हुए पर्चा लेते हैं ये अलग बात है कि वोट अपने अनुसार ही देते हैं. महाराजा की तब कोई वैल्यू नहीं रह जाती जब वो वोट देकर वापस आता है.

बापसा और एबीवीपी के ढोल के सामने सब पड़े फीके

बापसा और एबीवीपी के ढोल के सामने सब फीके हैं. लेफ्ट की रणनीति इससे अलग है. उनको अपने वोटर का पता है वो बिना शोर-शराबे के उन तक पर्चे पहुंचा रहे हैं. एनएसयूआई की टीम कमजोर है, उसके लोग कहीं कहीं दिख रहे हैं. एनएसयूआई से काउंसलर पद का उम्मीदवार नरेश कुमार पार्टी से ज्यादा खुद के प्रचार में लगा हुआ है और उसके समर्थक भी यही कर रहे. उसके समर्थकों के जोश से लगता है ये सेंट्रल पैनल में होना चाहिए था.

बाकी स्कूल में भी यही पैटर्न है. लंच तक मतदान करने वालों में  बी.ए के छात्र ज्यादा थे. लंच के बाद रिसर्च स्कॉलरों का आना शुरू हुआ. पिछले साल की तरह इस बार कभी भी लंबी लाइन नहीं लगी. उम्मीद की जा रही थी कि इस बार मतदान 50 प्रतिशत से नीचे जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अंततः चुनाव कमिटी के अनुसार 58.7 प्रतिशत पर मतदान खत्म हुआ.

कमिटी ने यह भी बताया कि उनके रिकॉर्ड में पिछले साल 56 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि मीडिया ने 59 प्रतिशत बताया था. रात दस बजे से मतगणना शुरू होगी. चुनाव कमिटी ने 48-50 घंटे में मतों की पूरी गिनती कर लेने की उम्मीद जताई है. पिछले साल अन्य सालों की तुलना में जल्दी रिजल्ट आया था इसलिए इस बार भी उम्मीद की जा रही है रिजल्ट रविवार सुबह तक आ जाए.

जेएनयू के लिए मेला है छात्रसंघ चुनाव

देर से रिजल्ट आने का ये फायदा होता है कि लोगों की अच्छी खासी सहभागिता होती है. राजनीति के तमाम आयामों पर बहस होती है. गाना बजाना होता है जो कि जल्दी रिजल्ट आ जाने से ना हो पाता. कुल मिलाकर यह एक सांस्कृतिक उत्सव में बदल जाता है.

काउंटिंग के लिए खाने-पीने की दुकान सज चुकी है. मतगणना केंद्र के बाहर पंडाल पहले से लगा हुआ है. सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी जगह ले ली है. लेफ्ट यूनिटी की टीम एक कोने में मतदान प्रतिशत निकालने और उसके अनुसार रिजल्ट का अनुमान में व्यस्त थी.

इस गहमागहमी में जेएनयू के एक गार्ड ने भी अंडे की दूकान खोल ली है लेकिन उससे गरम-गरम अंडा छीला नहीं जा रहा. भीड़ बढ़ गई  तो लोगों ने खुद अपने हाथ से अंडा छिलना शुरू कर दिया. प्याज के पकौड़े की दूकान पर वोटिंग के बाद घमासान मचा था. चाय वाले को किसी पार्टी ने पचास चाय का आर्डर दे दिया. वो पागल हुआ पड़ा था कि सामने खड़े लोगों को पहले चाय दें या पार्टी को भेजें.

जेएनयू के कुछ स्टाफ अपने बच्चों को घुमाने लाए हैं. बच्चे भी मेला समझ कर खूब उछल कूद मचा रहे हैं. पार्टी के लोग पंडाल के नीचे आराम कर रहे हैं. हॉस्टल में खाने का टाइम हो रहा है. आम छात्र हॉस्टल की तरफ भागे जा रहे हैं.

अब सबको उस वक्त का इंतजार है जब इंटरनेशनल स्टडीज की बिल्डिंग की सबसे ऊपर की खिड़की से आवाज गूंजेगी ‘अटेंशन प्लीज’...और तब अचानक सारा शोर पिन ड्राप साइलेंट में बदल जाएगा. वोटों की गिनती जैसे-जैसे होती जाएगी वैसे-वैसे रुझान की सूचना भी दी जाएगी. जेएनयू चुनाव के परिणाम और रुझान की अंतिम जानकारी के लिए आप फ़र्स्टपोस्ट के साथ बने रहिए.