कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इसकी वजह दिल्ली में मौजूद उनकी एक संपत्ति का लीज पर दिया जाना है जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 29 नवंबर को भेजे अपने पत्र में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड (अब, 63 मून्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड) के गांधी परिवार के साथ किए समझौते का ब्योरा मांगा था. अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने इस बात की पुष्टि की है.
जिग्नेश शाह की कंपनी एफटीआईएल ने दिल्ली के महरौली स्थित इंदिरा गांधी फार्म हाउस को किराए पर लेने के लिए 11 महीने का लीज एग्रीमेंट साइन किया था. करार के मुताबिक प्रति महीने इसके लिए 6.7 लाख रुपए चुकाने की बात तय हुई थी.
एफटीआईएल ने इसके लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ब्याज रहित दो अलग-अलग क्रमश: 40.20 लाख और 20.10 लाख रुपए के चेक दिए थे. इस करार के मुताबिक कंपनी इस फार्म हाउस का उपयोग अपने अतिथियों और अधिकारियों के लिए गेस्ट हाउस के रूप में करना चाहती थी.
करार के वक्त जिग्नेश शाह यूपीए सरकार की जांच के घेरे में था
द इंडियन एक्सप्रेस के 63 मून्स टेक्नोलॉजीस लिमिटेड और कांग्रेस को भेजे गए सवालों की सूची में इसके करार और मालिकाना हक के बारे में पूछा गया था. यह भी तब जब जिग्नेश शाह यूपीए सरकार की जांच के घेरे में था.
सवालों का जवाब देते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 1960 के दशक में खरीदी गई यह फार्म हाउस पूर्वजों की संपत्ति है. इसे पिछले कई वर्षों से किराए पर दिया जाता रहा है. उन्होंने कहा, इसी तरह, इंदिरा गांधी फार्म को 8 महीने 22 दिन यानी 1 फरवरी, 2013 से 22 अक्टूबर, 2013 तक एफआईटीएल को किराए पर दिया गया था. इससे मिले पूरे किराए का ब्योरा इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने में दी गई थी और इसपर नियमानुसार टैक्स चुकाया गया था. इस दौरान यहां खैरनार दंपनी रह रहे थे.
सुरजेवाला ने कहा, 'सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के एफटीआईएल या जिग्नेश शाह या उनके साथ जुड़े किसी अन्य व्यक्ति या इकाई के खिलाफ किसी भी चल रही कार्रवाई में किसी तरह से कोई हस्तक्षेप किया हो इसका सवाल ही नहीं है.'