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महागठबंधन में संभावित टूट का क्लाइमेक्स ‘जानबूझकर’ होल्ड पर रखा गया है

तीनों पार्टियों ने काफी सोच समझकर इसे टाला हुआ है

Kanhaiya Bhelari

महागठबंधन में संभावित टूट के क्लाइमेक्स को कुछ दिनों के लिए ‘आपसी सहमति’ या ‘मजबूरी’ से होल्ड पर रख दिया गया है. तीनों दल के शीर्ष नेतृत्व ने अपने कैलकुलेटर पर गुणा-भागा करके निष्कर्ष निकाला कि तत्काल तलाक में केवल घाटा ही घाटा है. शुद्ध लाभ तो केवल बीजेपी को मिलेगा.

ये सरासर अन्याय होगा. लोग ताना मारेगें, कहेंगे खांटी सेकुलर होकर दंगा पार्टी को नेट प्रॉफिट करा दिया. भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि जो होना है सो अटल है. फिर भी, राजनीति का तकाजा है कि चाल दुश्मन को शिकस्त देने के लिए चली जाती है न कि आत्महत्या के लिए.


माथे पर जोर देकर स्मरण किया गया कि 2015 के बीच में ही हमलोगों ने काफी ठोक-ठठाकर और हर कसौटी पर कसकर बीजेपी को एनेमी नम्बर वन फिक्स कर दिया था. और जब हमारी तिकड़ी बनी तो बीजेपी की जबरदस्त हार हुई.

हम प्रत्येक पार्टनर कर्म व धर्म से बराबर प्रतिशत में सेकुलर और पक्के समाजवादी हैं. इतिहास गवाह है कि हम खट से टूटते हैं और तुरंत जुटते हैं. चौबीसो घंटे पॉकेट में फेविकोल लेकर घूमते हैं. पर बिना फायदे के कभी भी हमने टूट-फूट का गेम नहीं खेला है. क्योंकि ऐसा खेल खेलना हमारे बिरादरी में वर्जित है.

सो लगता है कि इस बार भी सर्वसम्मति से तय हुआ कि बेहतर होगा कि प्रॉफिट को प्राथमिकता पर रखते हुए फाइनल तलाक की खतिर शुभ मुहुर्त का इंतजार किया जाए. तब तक संगठन के छोटे नेताओं को अधिकार दे दिया जाए कि वो संयमित-असंयमित तरीके से जनता जर्नादन के बीच ‘अनुशासन’ का आभास कराते हुए आपस में कपार फुटौव्वल करते रहें ताकि हमारी प्रासंगिकता बरकरार रहे और मीडिया के पेट पर हम राज करते रहें.

खबर के अनुसार जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को पार्टी प्रवक्ताओं को अपने निवास पर बुलाकर उनके कानों में कुछ मंत्र फूंका.

तब से सब के सब सुर-ताल में एक ही वाक्य-‘ महागंठबंधन में सबकुछ ठीक-ठाक है’- दोहरा रहे हैं. जबकि नीतीश कुमार के यही सिपाही सोमवार तक राजद के खिलाफ आग उगल रहे थे. ठीक उसी तरह राजद के बयान बहादुरों ने भी अपना मुंह बंद कर लिया है जबकि दो दिन पूर्व तक भाई वीरेन्द्र जैसे कद्दावर राजद नेता नीतीश कुमार को ठग बता रहे थे. अब भाई वीरेन्द्र कह रहे हैं ‘नीतीश कुमार हमारे सम्मानित नेता हैं’.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन के तीनों घटक दल एक दूसरे के खिलाफ अपनी जीत दर्ज करने के लिए ‘दो कदम आगे और एक कदम’ पीछे की रणनीति के तहत आपसी लड़ाई लड़ रहे हैं.

नीतीश कुमार को अभी तक बीजेपी आलाकमान से स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला है कि एनडीए के साथ आने के बाद सीएम की कुर्सी पर वही बने रहेंगे. बीजपी के एक मजबूत नेता ने भी बताया कि ‘2013 से लेकर अब तक गंगा नदी में बहुत पानी बह चुका है. हम अब दाता वाली स्थिति में हैं.’.

राजद के प्रतापी नेता भी अपनी तिकड़म का इस्तेमाल कर कम से कम छोटे पुत्र को केस के पचड़े से मुक्त करना चाहते हैं ताकि उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल सकें.

चर्चा है कि दल के ही एक हरियाणवी नेता के साथ नेता जी मोदी सरकार के एक धाकड़ मंत्री से गुप-चुप तरीके से दिल्ली में मिले हैं.

परेशान बोलक्कड़ नेता ने याचक की भूमिका में मंत्री से बेटे के राजनीतिक भविष्य के लिए निवेदन किया है और बदले में नीतीश कुमार को हटाकर बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनाने का आश्वासन भी दिया है. पर खबर के मुताबिक पेशे से वकील मंत्री ने ना कर दिया है.

बड़े भाई और छोटे भाई में चल रही जुबानी जंग ने बिहार सरकार में कांग्रेस कोटे से शामिल मंत्रियों की हालत खराब कर दी है. एक मंत्री ने बोला कि समझ नहीं आता है कि गुलाम नबी आजाद के पक्ष में बोलूं कि सीएम नीतीश कुमार का बचाव करूं.

जाहिर है कई सालों तक सत्ता से दूर रहने के कारण कांग्रेसी नेताओं को लग रहा है कि कम से कम सरकार बनी रहे.