view all

जयललिता को दिल का दौरा: चेन्नई अफवाहों के शहर के तौर पर फिर से उभरा

प्रशासन कानून और व्यवस्था की स्थिति का ध्यान रखते हुए नागरिकों को सच्चाई बताता है तो इससे काफी मदद मिलेगी

T S Sudhir

रविवार को तकरीबन शाम 6 बजे पीटीआई ने एआईडीएमके के हवाले से यह ट्वीट किया:

लगभग इसी वक्त हृदय रोग विशेषज्ञ, फेफड़ा विशेषज्ञ और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों की टीम जे जयललिता को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रही थी. उन्हें शाम 5 बजे के आसपास शक्तिशाली दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें एक्सट्रा कॉरपोरल मेंबरेंस हार्ट असिस्ट डिवाइस पर रखा गया था. यह उन लोगों को जीवित रखने का उपकरण है, जिनका हृदय और फेफड़ा जीवन को चलाने के लिए उचित मात्रा में वायु परिवर्तन नहीं करता. इसके जरिए सांस लेने में और हृदय संबंधी तकलीफ में सहयोग मिलता है. पार्टी के नेता या तो इस घटना को नहीं जानते थे या फिर वे जानबूझकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे थे.

शुरूआत में सिर्फ बुखार और डिहाईड्रेशन की थी जानकारी

यह सभी जानते हैं कि सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाने के मामले में तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति खासतौर से धुंधली है. इस मामले में शुरूआत के दिनों में मेडिकल बुलेटिन ने सिर्फ बुखार और डिहाईड्रेशन की जानकारी दी गई थी. जितना दिख रहा है मामला उससे बड़ा है, यह लोगों को तब पता चला जब लंदन से डॉ रिचर्ड बील ट्रीटमेंट की दिशा में अपना योगदान देने के लिए आए. इन 70 दिनों में ज्यादातर जयललिता वेंटिलेटर पर ही रहीं क्योंकि वे सांस लेने की गहरी समस्या से गुजर रही थीं. उन्हें निष्क्रिय फिजियोथेरेपी भी दी गई.

असल में लोगों ने आश्चर्य के साथ प्रतिक्रिया दी जब उप-चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों के फार्म पर उन्होंने अंगूठे का निशान लगाया. वजह यह बताई गई कि उनका दाएं हाथ में सूजन है.

मुख्यमंत्री की हालत को ‘गंभीर से ज्यादा’

पिछले तकरीबन दो महीनों से ही मुख्यमंत्री की हालत को लेकर स्थिति थोड़ी स्पष्ट हुई है, जब से अपोलो अस्पताल के चेयरमैन डॉ प्रताप रेड्डी ने मीडिया से बात करनी शुरू की है. अस्पताल में इस बात को लेकर चर्चा चलती रही है कि जयललिता को कब डिस्चार्ज किया जा सकता है. लेकिन रविवार शाम के बाद फिर से वहीं जा अटकी है जहां से शुरू हुई थी. एक उच्च सूत्र ने मुख्यमंत्री की हालत को ‘गंभीर से ज्यादा’ बताया.

व्हाट्सऐप एक बिगड़ा हुआ बच्चा

लेकिन जहां मुख्यधारा की मीडिया ने जयललिता के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों को नियंत्रित रहते हुए रिपोर्ट किया. वे न हद के पार गए और अटकलबाजी से भी बचते रहे, लेकिन व्हाट्सऐप ने खुद को एक बिगड़े हुए बच्चे की तरह पेश किया. हर संदेश को सच्चा बताते हुए गलत सूचना दी गई, व्हाट्सऐप ने चेन्नई और दुनिया के कई शहरों को अफवाहों के बाजार में बदल दिया.

कई लोगों को व्हाट्सऐप पर ऐस सूचनाएं मिलीं कि आधी रात को संपादकों की मीटिंग होगी. जबकि इसका कुछ भी पता नहीं था कि किसने मीटिंग बुलाई है. कुछ ने कहा कि चेन्नई में धारा 144 लागू है. फिर से गलत. उन संदेशों का उद्देश्य घबराहट और भर्म को बढ़ाना था. ट्विटर पर कुछ लोगों ने ‘सबसे बुरी जानकारी’ देते हुए ट्वीट किया. अचानक कुछ लोग चेन्नई के अपोलो अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर के ‘परिचित’ बन गए या एम्स की टीम के एक डॉक्टर के ‘दोस्त’ बन गए.

मीडिया केपीपली लाइव हो जाने का खतरा

जैसे-जैसे शाम गुजरी मीडिया दल (या सर्कस, जैसा आलोचक कहते हैं) बहुत बड़े हो चुके थे. सोमवार आते-आते यह और बड़े हो जाएंगे. उन्हें नींद, थकान, बेचैनी, बारिश और ग्रीम्स रोड के मच्छरों से मुकाबला करना पड़ेगा. जयललिता का स्वास्थ्य सारी मीडिया के लिए एक बड़ी खबर है, चाहे प्रिंट हो टेलीविजन या डिजिटल. क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय. लेकिन ठीक उसी समय इसके फिसलकर पीपली लाइव हो जाने का खतरा है. अफवाहों से लड़ने का एकमात्र तरीका है कि सच्ची खबरें दी जाएं.

तमिलनाडु की पूरी पुलिस मशीनरी सोमवार को सुबह 7 बजे से ड्यूटी पर है. जिससे ऐसा लगता है कानून और व्यवस्था से जुड़ी मशीनरी किसी बुरी घटना के लिए तैयार हो रही है. इस तरह का बंदोबस्त 22 सितंबर के बाद नहीं देखा है जब जयललिता अस्पताल में भर्ती हुई थीं. अगर प्रशासन कानून और व्यवस्था की स्थिति का ध्यान रखते हुए नागरिकों को सच्चाई बताता है तो इससे काफी मदद मिलेगी.

अक्टूबर में तमिलनाडु पुलिस द्वारा जयललिता के स्वास्थ्य को लेकर अफवाह फैलाने के आरोप में तकरीबन 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से ज्यादातर गिरफ्तारी एआईडीएमके के आईटी विभाग की शिकायतों के आधार पर हुई थी. यह अजीब है कि वही पार्टी अपने नेता को लेकर गलत जानकारी दे रही है. सूचनाएं और वह भी पक्की तमिलनाडु में बड़ी मुश्किल से मिलती हैं. इससे पत्रकारिता करने की चुनौती और बड़ी हो जाती है. खासतौर से इस तरह के मौकों पर.