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बदले हालात के सुर से सुर मिला रहे सेंगोटेया

के ए सेंगोटेया इससे पहले तक शशिकला के धुर विरोधी थे

Anand Kumar

11 दिसंबर को स्वर्गीय मुख्यमंत्री जे जयललिता और उनकी साथी वी के शशिकला के निवास पोज गार्डन में गहमागहमी का माहौल था. पार्टी के सीनियर नेता, मंत्री और एमएलए वेद नीलयम के बाहर कतार में लगे हुए थे.

तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके के नेता लाइन में लगकर ‘चिन्नम्मा’ (छोटी मां, इसी नाम से शशिकला को बुलाया जाता है) से पार्टी की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेने की गुहार लगा रहे थे.


मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम, मंत्री और लोकसभा के डिप्टी स्पीकर थंबीदुरई जैसे दिग्गजों ने बयान जारी कर चिन्नम्मा से पार्टी का नेतृत्व संभालने का अनुरोध किया.

उस वक्त तक सबकी नजरें के ए सेंगोटेया पर टिकी थीं. 1991 और 2011 में मंत्री रहे सेंगोटेया पश्चिमी बेल्ट के कद्दावर नेता हैं. वह इस इलाके में दबदबा रखने वाली पिछड़ी जाति कोंगू से आते हैं.

सेंगोटेया का शशिकला से पुराना झगड़ा है. शायद यही वजह है कि शशिकला का विरोधी धड़ा और काडर सेंगोटेया से इस मोर्चे की अगुवाई की उम्मीद बांधे बैठा था.

शशिकला को बाहर निकाले जाने पर मनाया था जश्न 

2011 में जब जयललिता ने शशिकला को पोज गार्डन से बाहर निकाल दिया था, तब सेंगोटेया ने इसका खुलेआम जश्न मनाया था.

कुछ महीने बाद जब शशिकला की वापसी हुई तो सेंगोटेया राजनीतिक वनवास में धकेल दिए गए. हालांकि, 2016 में उन्हें अपने गृह जिले गोबीचेट्टिपालयम से टिकट मिल गया.

एआईएडीएमके में सब उस वक्त चौंक गए जब सेंगोटेया पार्टी के नए नेतृत्व के सामने सबसे पहले आत्मसमर्पण करते दिखाई दिए.

यहां तक कि उन्होंने शशिकला की वैसे ही जमकर तारीफ भी की, जैसी वह जयललिता की या उनसे पहले एम जी रामचंद्रन की किया करते थे.

सेंगोटेया ने फर्स्टपोस्ट से कहा, ‘पार्टी में कोई मतभेद नहीं है. इस वक्त पार्टी पुरत्ची थलाइवी (क्रांतिकारी नेता, जयललिता के लिए संबोधन) की मृत्यु के सदमे में है. हम उनके गुजरने से हुई क्षति को झेलने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ तत्व इस वक्त का इस्तेमाल लोगों के दिमाग में संदेह के बीज बोने में करना चाहते हैं.’

सेंगोटेया का संदर्भ इस कयासबाजी को लेकर था कि वह शशिकला के खिलाफ जंग की अगुवाई करेंगे क्योंकि दोनों के बीच रंजिश का पुराना इतिहास रहा था.

उन्होंने कहा, ‘ये लोग अफवाह फैला रहे हैं कि मैं सरकार में नई भूमिका की मांग कर रहा हूं. ऐसी अफवाहें मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जा रही हैं. इनके मंसूबे कामयाब नहीं होंगे. इस बात में कोई शक नहीं होना चाहिए कि पार्टी ‘अम्मा’ के बताए रास्ते पर ही चलेगी.’

कैसे हुआ हृदय परिवर्तन 

शशिकला के साथ कड़वी जंग के इतिहास को वह कैसे भूल गए और उनका हृदय परिवर्तन कैसे हुआ, इस पर उन्होंने कहा, ‘मौजूदा हालात में पार्टी को केवल चिन्नम्मा ही आगे ले जा सकती हैं. इसलिए मैंने उनसे अनुरोध किया कि वह एआईएडीएमके के महासचिव का उत्तरदायित्व अपने कंधों पर लें.’

उन्होंने साफ कहा, ‘न सिर्फ मैं, बल्कि सभी बड़े नेताओं की यही राय है. हमें उम्मीद है कि चिन्नम्मा हमारे अनुरोध को स्वीकार करेंगी और पार्टी की कमान अपने हाथ लेंगी. सबसे मुश्किल वक्त में भी वह जयललिता के साथ थीं. केवल वही जयललिता के काम करने के तरीके को जानती हैं और उनसे व्यक्तिगत रूप से परिचित थीं. उनके अलावा किसी में पार्टी का महासचिव बनने की योग्यता नहीं है.’

सेंगोटेया ने शशिकला के नेतृत्व के खिलाफ चल रही विरोध की खबरों को खारिज कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘पार्टी का कार्यकर्ता भी चिन्नम्मा की अगुवाई को स्वीकार करेगा. उन्होंने पुरत्ची थलाइवी अम्मा के साथ 30 साल से ज्यादा वक्त बिताया है. वह उनके साथ साये की तरह रही हैं और उनकी देखभाल की है. उनकी भी पार्टी में वैसी ही इज्जत है जैसी जयललिता की है.’

जीतने वाले के साथ रहने का है इतिहास

1987 में जब पार्टी फाउंडर एम जी रामचंद्रन गुजरे तो सेंगोटेया जयललिता धड़े के वफादार बन गए और एमजीआर की पत्नी जानकी के विरोध में खड़े हो गए.

इस बार उन्होंने शशिकला को चुना है. शायद इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था.

सेंगोटेया तीन दशक पहले मिले सबक भूले नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘जब एमजीआर नहीं रहे थे, तब भी ऐसे हालात पैदा हो गए थे. काडर ने जयललिता को चुना और हम उनमें से थे जिन्होंने जयललिता का नाम महासचिव के लिए प्रस्तावित किया था. आज भी वैसे ही हालात हैं. इस वक्त पार्टी को लेकर चिन्नम्मा ही चला सकती हैं.’

सेंगोटेया उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जिन्होंने जयललिता के अंतिम संस्कार के बाद 7 दिसंबर को सबसे पहले पोज गार्डन में शशिकला से मुलाकात की थी.

सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच सौदेबाजी सफल रही है. सेंगोटेया मंत्री पद चाहते हैं. लंबे वक्त से शशिकला का विरोध कर रहे एक ताकतवर नेता के मुंह से अचानक चिन्नम्मा शब्द बार-बार निकलना अचरज पैदा करता है.

सेंगोटेया ने हालांकि बीजेपी को अन्य नेताओं के जरिए पार्टी पर प्रभाव डालने की कोशिशों के खिलाफ चेताया है.

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग सपने देख रहे हैं कि वे पार्टी को तोड़ सकते हैं और सरकार को अस्थिर कर सकते हैं. ऐसा कभी नहीं होगा. संसद में एआईएडीएमके तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. ऐसी कोशिश करने वाले कामयाब नहीं होंगे.