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कांग्रेस की जनआक्रोश रैली: 2019 की असली तैयारी या सिर्फ चुनावी नारा!

राहुल गांधी अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही खुद को विपक्षी दलों की अगुवाई के लिए तैयार कर रहे हैं

Amitesh

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में जनआक्रोश रैली को संबोधित करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा ‘आप कर्नाटक में देखना क्या होता है, आप राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में देखना क्या होता है, सभी जगह कांग्रेस जीतेगी. 2019 में भी कांग्रेस जीतेगी, क्योंकि ये (कांग्रेस कार्यकर्ता) शेर का बच्चा है, सत्य का सिपाही है, इसे गोली मार दो, टांग तोड़ दो, सत्य को नहीं छोड़ेगा.’

राहुल गांधी के रामलीला मैदान से दिए संदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल बढ़ाने का संदेश भी था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक खुली चुनौती भी. इसे राहुल गांधी का अतिआत्मविश्वास भी कहा जा सकता है, क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के हाथ से लगातार कई राज्य निकलते चले जा रहे हैं.


महाराष्ट्र, असम और हरियाणा जैसे राज्य में कांग्रेस को बीजेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. यूपी, दिल्ली में तो कांग्रेस चौथे और तीसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई है. बिहार में वैशाखी के सहारे कांग्रेस चलने की आदी हो गई है.

क्या है कांग्रेस की रणनीति?

ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस अध्यक्ष किस दम पर 2019 में मोदी को मात देने का दंभ भर रहे हैं. क्या कांग्रेस इतनी ताकतवर हो गई है कि अब वो इस वक्त बीजेपी को चुनौती दे सकती है. या फिर कोई और रणनीति है.

दरअसल, राहुल गांधी के भीतर गुजरात में बीजेपी के हाथों हार के बावजूद मिली सफलता से उत्साह दिख रहा है. अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के भीतर नए सिरे से बदलाव की शुरुआत भी की है. पार्टी और संगठन में नए लोगों को तरजीह भी दी जा रही है. दूसरी तरफ, मोदी सरकार चार साल पूरा करने जा रही है. राहुल को लगता है कि अब मोदी सरकार के खिलाफ चार साल में एंटीइंबेंसी फैक्टर (सत्ता के खिलाफ) काम करेगा. अभी हाल ही में राजस्थान और मध्यप्रदेश में उपचुनावों में बीजेपी की हुई हार और कांग्रेस की जीत ने राहुल गांधी के भीतर भरोसा कुछ ज्यादा ही जगा दिया है.

तभी तो गुजरात में पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद राहुल गांधी को अब कर्नाटक से लेकर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के आने वाले विधानसभा चुनावों में जीत की उम्मीद दिख रही है. यह उम्मीद इतनी ज्यादा है कि अगले लोकसभा चुनाव में भी जीत का दावा किया जाने लगा है.

कैडर में जोश भरने की कोशिश से कितना फायदा?

लगता है राहुल का अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं को दिया जाने वाला जीत का भरोसा पार्टी के भीतर कैडर्स को खड़ा कर उसमें नई जान फूंकने की भी है. राहुल गांधी अतिआत्मविश्वास में भले ही दिख रहे हैं लेकिन, ऐसा लग रहा है कि उनके इस अतिआत्मविश्वास से अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के भीतर यह विश्वास जरूर पैदा होगा, जो अबतक लगातार हार और हार से निराश हो गए हैं.

राहुल गांधी भी इस बात को समझ रहे होंगे कि 2019 में जीत इतनी आसान नहीं है जितनी आसानी से वो दावा कर रहे हैं. यही वजह है कि विपक्षी दलों की एकता की बार-बार दुहाई दी जाती है. हर राज्य में अलग-अलग दलों के साथ गठबंधन कर मोदी को मात देने के लिए एक बड़े मोर्चे बनाने की तैयारी भी चल रही है. लेकिन, इस विपक्षी एकता की अगुआई कौन करेगा यह पहेली अबतक अनसुलझी है. राहुल के तेवर से लगता है कि वो इसी पहेली को सुलझाना चाहते हैं.

विपक्षी दलों की अगुवाई करने की कोशिश?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अभी से ही 2019 के परिणाम की भविष्यवाणी कर मोदी के सामने खुद को खड़ा कर रहे हैं. ऐसा कर राहुल विपक्षी दलों के मोर्चे की अगुआई के लिए अपना दावा ठोक रहे हैं.

विपक्षी दलों के कुनबे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी कद्दावर नेता हैं. ममता बनर्जी और चंद्रशेखर राव की मुलाकात के बाद तीसरे मोर्चे की भी चर्चा शुरू हो गई है. लेकिन, कांग्रेस एक बार फिर से यूपीए-3 बनाने की तैयारी में है. उसकी कोशिश फिर से कांग्रेस के नेतृत्व में ही बाकी विपक्षी दलों का सहयोग लेकर बीजेपी को घेरने की है.

कांग्रेस ने इस बार अपना नेतृत्व भी फाइनल कर लिया है. अब मनमोहन सिंह को आगे कर पर्दे के पीछे से सरकार पर नियंत्रण करने की रणनीति के बजाए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुलकर लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं.

रामलीला मैदान से अपने भाषण में राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार से लेकर हर मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. कर्नाटक में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार वीएस येदियुरप्पा के भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने का जिक्र कर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर तंज कसा. उन्होंने दावा भी किया कि इस वक्त देश भर में सरकार के खिलाफ नाराजगी है और जनता मोदी सरकार से खुश नहीं है.

राहुल गांधी ने मोदी सरकार को दलित और महिला विरोधी बताया. मोदी-शाह की बीजेपी पर तंज कसते हुए राहुल गांधी ने कहा इस पार्टी में केवल नरेंद्र मोदी-अमित शाह का आदर होता है, लेकिन, आडवाणी जी, जेटली जैसे दूसरे नेताओं का आदर नहीं होता. राहुल ने कहा यही बीजेपी और कांग्रेस का अंतर है, क्योंकि कांग्रेस में सबका आदर होता है, हर कार्यकर्ता का आदर होता है.

कार्यकर्ताओं के भीतर उर्जा का संचार करते राहुल गांधी आने अगले एक साल में अपनी पार्टी संगठन को दुरुस्त करना चाह रहे हैं. लेकिन, बिहार, यूपी , बंगाल समेत कई बड़े राज्यों में अपनी सियासी जमीन खो चुकी कांग्रेस में राहुल के लिए कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करना बड़ी चुनौती होगी. ऐसा किए बगैर 2019 में पार्टी की जीत का दावा महज चुनावी नारा बनकर रह जाएगा.