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जम्मू-कश्मीर: कैसे बनेगी सरकार और क्या है महागठबंधन इनसाइड स्टोरी

दिलचस्प है कि जिस वक्त ये तीनों पार्टियां आपस में बात कर रही हैं, उसी समय पीपुल्स कॉन्फ्रेंस की तरफ से भी पीडीपी विधायकों के साथ बात चल रही है, ताकि राज्य में सरकार बनाई जा सके

Ishfaq Naseem

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी में पिछले कुछ दिनों में लगातार बैठकें हुई हैं. जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के साथ सरकार बनाने को लेकर पार्टियां लगातार एक-दूसरे से बात कर रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस का मानना है कि जम्मू-कश्मीर सरकार का मुख्यमंत्री उनकी पार्टी का हो.

पूर्व मंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के क्षेत्रीय अध्यक्ष नासिर असलम वानी ने इस बात की पुष्टि की कि सरकार बनाने के लिए दोनों पार्टियों के नेताओं की लगातार बैठकें हुई हैं. नासिर ने कहा, ‘बहुत से लोग मिले. यह पिछले कई दिनों से चल रहा है. एक फॉर्मूला यह है कि महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे. यह भी बात चल रही है कि सरकार नेशनल कॉन्फ्रेंस की लीडरशिप में बनेगी. ऐसे में, अगर उमर साहब नहीं, तो फिर कौन लीडर होगा.’


बुखारी बन सकते हैं सीएम

उन्होंने कहा, ‘बहुत से लोगों ने अलग-अलग स्तर पर मुलाकात की है. यह अच्छा है कि पहली बार क्षेत्रीय स्तर पर मुख्य पार्टियां आपस में मिल रही हैं और बात कर रही हैं.’  इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री और पीडीपी के सीनियर नेता अल्ताफ बुखारी ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की थी. हालांकि बुखारी ने कहा कि वो उमर को ईद-ए-मिलाद के मौके पर मुबारकबाद देने आए थे.

उमर और बुखारी की मुलाकात पर नासिर ने कहा, ‘बहुत से लोग मिल रहे हैं. ये किसी एक आदमी के मिलने का मसला नहीं है. कई दिनों से मुलाकात का दौर चल रहा है.’ हालांकि पीडीपी के उपाध्यक्ष अब्दुल रहमान वीरी ने कहा कि उन्हें एनसी और पीडीपी के बीच सरकार बनाने को लेकर हुई किसी मीटिंग की जानकारी नहीं है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के पास राज्य में सरकार बनाने के लिए जरूरी नंबर हैं. पीडीपी के 28, एनसी के 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है. बीजेपी के पास 25 विधायक हैं, जबकि पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के दो विधायक हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी शुक्रवार को मीटिंग बुलाई है ताकि राज्य में सरकार बनाने औपचारिकताओं पर बात की जा सके.

तीसरे मोर्चे की फिराक में BJP

नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि बीजेपी राज्य में तीसरे मोर्चे के साथ सरकार बनाने की संभावनाएं तलाश रही थी. इसके बाद बाकी पार्टियों में मीटिंग का दौर शुरू हुआ. चर्चा यही थी कि सज्जाद गनी लोन की अध्यक्षता में तीसरे मोर्चे और बीजेपी के बीच गठबंधन हो सकता है. पीडीपी के सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने पिछले 2-3 महीने में सरकार बनाने की संभावनाओं को लेकर लगातार सज्जाद लोन से बात की है. बेग ने तीसरे मोर्चे में शामिल होने की संभावना पर भी मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस मे बात की थी.

राज्य कांग्रेस के उपाध्यक्ष गुलाम नबी मोंगा ने इस बात की पुष्टि की कि शुक्रवार को नई दिल्ली में पार्टी नेताओं की मीटिंग बुलाई है. उन्होंने कहा कि मीटिंग की अध्यक्षता पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद करेंगे.

आजाद ने 2014 में त्रिशंकु विधानसभा की सूरत में सेक्युलर पार्टियों के साथ महागठबंधन का प्रस्ताव रखा था, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी के शामिल होने की बात थी.

जो जीता वही सिकंदर!

दिलचस्प है कि जिस वक्त ये तीनों पार्टियां आपस में बात कर रही हैं, उसी समय पीपुल्स कॉन्फ्रेंस की तरफ से भी पीडीपी विधायकों के साथ बात चल रही है, ताकि राज्य में सरकार बनाई जा सके. पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक बशीर अहमद दार ने कहा कि सज्जाद और बेग की लगातार मुलाकातें हुई हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में तीसरे मोर्चे की सरकार का नेतृत्व पीपुल्स कॉन्फ्रेंस करेगी. उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस के कुछ नेताओं के साथ भी बातचीत चल रही है.

एनसी-पीडीपी और कांग्रेस के महागठबंधन के लिए मुसीबत की बात यह है कि पीडीपी के कई विधायक अपनी पार्टी से नाराज हैं. उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों लिए भी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस से गठबंधन करके उम्मीदवार उतारे थे. पीडीपी में गुलमर्ग से विधायक मोहम्मद अब्बास वानी ने कहा कि हम सरकार बनाने के लिए तीसरे मोर्चे के साथ हैं.

पीडीपी के बागी नेता और एमएलसी यासिर रेशी को ट्विटर पर सज्जाद लोन ने बधाई दी. रेशी के समर्थन वाले दो निर्दलीय प्रत्याशी बांदीपुरा में सुंबल म्युनिसिपल कमेटी में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बने हैं. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने तय किया था कि उनकी पार्टी म्युनिसिपल चुनावों में हिस्सा नहीं लेगी. उन्होंने धारा 35A को हटाए जाने की कोशिशों के विरोध में चुनाव का बॉयकॉट करने का फैसला किया था.