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एक महीने पहले ही शुरू हो गई थी जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की कवायद: सूत्र

सूत्र बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का मकसद सरकार बनाना नहीं था

FP Staff

जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के दावों के बीच राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने बुधवार रात विधान सभा भंग कर दी. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के साथ दोनों मुख्य क्षेत्रीय प्रतिद्वंदी पार्टियों, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने भी हाथ मिला लिया.

सूत्र बताते हैं कि 35A का मुद्दा इन पार्टियों को साथ लाने में कामयाब हुआ. पीडीपी के सूत्रों ने न्यूज़18 से बातचीत में कहा कि राज्य की ओर से 35A का बचाव करने वाली कोई पार्टी सरकार में नहीं थी जिसके चलते स्थानीय निवासियों में बेचैनी थी. 35A का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी. सूत्रों ने बताया कि तीनों पार्टियां साथ आकर 35A के बचाव में एक मजबूत पक्ष कोर्ट में रखती. पीडीपी का मानना है कि अगर BJP सरकार बना पाती, तो शायद 35A की रक्षा कोर्ट में नहीं करती. 35A का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील रहा है, यही कारण है कि पिछली सुनवाई के दौरान भी अलगाववादियों ने घाटी में बंद बुलाया था.


सूत्र बताते हैं कि क्षेत्रीय पार्टियों समेत कांग्रेस में BJP की 'तोड़-फोड़' से भी तीनों पार्टियां परेशान थीं. सूत्र बताते हैं कि BJP सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाकर सरकार में लौटने की कोशिश में थी. सज्जाद लोन ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में भी कहा कि उनके पास BJP के साथ-साथ 18 से अधिक अन्य विधायकों का समर्थन भी है.

एक महीने पहले शुरू हुई सरकार बनाने की पहल

सूत्र बताते हैं राज्य में तीनों पार्टियों का साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद एक महीने पहले शुरू हो चुकी थी. PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती वरिष्ठ कांग्रेस लीडर अंबिका सोनी से संपर्क में थी. राज्य में महबूबा सरकार गिरने के बाद कांग्रेस ने पीडीपी से हाथ मिलाने से मना कर दिया था. लेकिन मुफ़्ती की पहल पर कांग्रेस भी राज़ी हो गई. वहीं नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला भी बाहर से समर्थन देने के लिए तैयार हो गए. लेकिन इस शर्त के साथ कि मुफ़्ती मुख्यमंत्री नहीं होंगी. सूत्रों ने बताया कि बुधवार शाम तक तीनों पार्टियों के बीच मुख्यमंत्री के चेहरे पर सहमति नहीं बन पाई थी.

सिर्फ विधान-सभा भंग करना था मकसद:सूत्र

सूत्र बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का मकसद सरकार बनाना नहीं था. NC और PDP ने बुधवार को सोशल मीडिया पर यह भी साफ किया कि 5 महीने पहले विधान सभा भंग करने की मांग की गई, लेकिन राज्यपाल ने ऐसा नहीं किया. तो यह तय किया गया कि एक ऐसा दांव खेला जाए जिससे राज्यपाल विधान सभा को भंग करने पर मजबूर हो जाएं. सवाल यह है कि क्या अगले विधान सभा चुनाव में भी यह दोनों क्षेत्रीय पार्टियां सरकार बनाने के लिए साथ आएंगी.

(न्यूज़ 18 के लिए शैलेंद्र वांगू का लेख)