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एनएन वोहरा: पूर्व PM आईके गुजराल के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं कश्मीर के राज्यपाल

पीडीपी गठबंधन से बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया है, हो सकता है कि अब राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जाए

FP Staff

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी गठबंधन से बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल नरिंदर नाथ वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. अब राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है. ऐसे में 2008 से जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य के राज्यपाल वोहरा की जिम्मेदारियां काफी बढ़ सकती हैं. इसी बीच वोहरा का दूसरा कार्यकाल भी 28 जून को खत्म हो रहा है.

कौन हैं जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल नरिंदर नाथ वोहरा


नरिंदर नाथ वोहरा 1959 बैच के पंजाब कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं. राज्य के 18 साल के इतिहास में वो पहले सिविलियन गवर्नर हैं. आईएएस से रिटायर्ड होने से पहले वोहरा पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल के प्रमुख सचिव भी रहे. इसके अलावा गृह सचिव, रक्षा सचिव और रक्षा उत्पादन सचिव के पद पर भी तैनात रहे.

पंजाब से संबंध रखने वाले वोहरा आईएएस बनने से पहले पंजाब यूनिवर्सिटी में लेक्चर भी रहे. इसके अलावा वो क्वीन एलिजाबेथ हाउस (यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड) में विजिटिंग फेलो भी थे.

एक अधिकारी के तौर पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभालने वाले एनएन वोहरा 2003 में केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर के लिए वार्ताकार भी रहे. इस दौरान उन्होंने कश्मीर में मुख्य धारा के नेताओं से लेकर अलगाववादी नेताओं से बातचीत कर राज्य में शांति बहाली के तमाम कार्य किए. 2008 में जब उन्हें राज्य का राज्यपाल बना दिया गया तब दिनेश्वर शर्मा को केंद्र सरकार ने वार्ताकार नियुक्त किया था. अभी भी शर्मा ही वार्ताकार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

एनएन वोहरा रिपोर्ट रही चर्चित

गृह सचिव रहते हुए अक्टूबर 1993 में इन्होंने वोहरा (कमिटी) रिपोर्ट सौंपी थी. यह काफी चर्चित रही. इस रिपोर्ट में उन्होंने देश की राजनीति में अपराधीकरण, नेताओं और अपराधियों के गठजोड़ और नेताओं एवं अधिकारियों के सांठ-गांठ पर अध्ययन किया था.

क्या तीसरी बार बनेंगे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल

2008 से राज्यपाल के पद पर आसिन वोहरा का दूसरा टर्म 28 जून को समाप्त हो रहा है. ऐसे में चर्चाएं चल रही हैं कि क्या तीसरी बार यह जिम्मेदारी उन्हें दी जाएगी.

सूत्रों की माने तो पिछले साल ही उन्होंने इस पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था लेकिन केंद्र सरकार के निवेदन के बाद उन्होंने पद पर बने रहने का फैसला किया.

इस साल 28 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है. ऐसे में उनके कार्यकाल को कुछ महीनों या एक-दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी वोहरा ही है, ऐसे में उनकी जगह किसी और की नियुक्ति अमरनाथ यात्रा को भी प्रभावित कर सकती है.

अगले साल लोकसभा के चुनाव हैं और फिलहाल राज्य की स्थिति संवेदनशील बनी हुई है. सरकार की कोशिश है कि फिलहाल एनएन वोहरा ही राज्यपाल का पद संभालें. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने वोहरा के विकल्प के तौर पर पूर्व आर्मी प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और वर्तमान वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा के नाम पर चर्चा की थी.