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चुनाव आयोग पड़ताल करेगा, जम्मू कश्मीर में तत्काल आचार संहिता लागू की जा सकती है या नहीं

चुनाव आयोग इस बात का अध्ययन करेगा कि क्या जम्मू कश्मीर में नये सिरे से चुनावों की घोषणा होने से पहले ही वहां आदर्श आचार संहिता लागू की जा सकती है या नहीं

FP Staff

चुनाव आयोग इस बात का अध्ययन करेगा कि क्या जम्मू कश्मीर में नये सिरे से चुनावों की घोषणा होने से पहले ही वहां आदर्श आचार संहिता लागू की जा सकती है या नहीं. बुधवार को राज्यपाल द्वारा राज्य विधानसभा भंग किए जाने के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही. चुनाव आयोग ने हाल ही में फैसला किया था कि जिन राज्यों में समय पूर्व विधानसभाओं को भंग कर दिया जाता है, वहां आचार संहिता तत्काल प्रभाव में आएगी.

अन्यथा कार्यवाहक सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी को नीतिगत फैसले लेने से प्रतिबंधित करने वाली आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखें घोषित करने के दिन से लागू होती है. तेलंगाना पहला राज्य है जहां विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले आदर्श आचार संहिता लागू की गई.


उन्होंने कहा, 'तेलंगाना में आचार संहिता लागू की गई जहां निर्वाचित सरकार ने विधानसभा को भंग कर दिया. लेकिन जम्मू कश्मीर में स्थिति अलग है. यहां विधानसभा मजबूरी के चलते भंग की गई हो सकती है. यहां कोई सरकार नहीं थी. हम आने वाले दिनों में इस बात का अध्ययन करेंगे कि जम्मू कश्मीर में भी आचार संहिता लागू की जा सकती है या नहीं.'

जम्‍मू कश्‍मीर में राजनीतिक उथलपुथल अपने चरम पर पहुंच गई है. बीजेपी के खिलाफ पूरा विपक्ष एकसाथ आकर सरकार बनाने की तैयारी में था लेकिन उनकी यह रणनीति भी काम नहीं आ पाई. पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ जैसे ही सरकार बनाने का दावा पेश किया पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन ने भी अपना दावा पेश कर दिया.

मुफ्ती का दावा था कि उनके पास 56 विधायकों का सपोर्ट है. हालांकि बुधवार रात 8.30 बजे सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए कहा कि पीडीपी के 18 विधायक उनके साथ हैं. अभी यह कयास लगाए ही जा रहे थे कि सरकार बनाने का मौका किसे मिलेगा? तब तक जम्मू-कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी.

(एजेंसी से इनपुट)