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इजरायल से इकरार अब हुआ लेकिन प्यार 25 साल पहले हुआ था

इजरायली पीएम मानते हैं कि इंडिया-इजरायल का रिश्ता स्वर्ग में बना है और धरती पर मिलकर सच करेंगे.

Kinshuk Praval

72 घंटों ने सत्तर साल का इंतज़ार खत्म कर दिया. इजरायल की जमीन पर कदम रखने के बाद पीएम मोदी ने हिब्रू में शलोम कह कर अभिवादन किया तो भारत और इजरायल की दोस्ती में एक नया अध्याय जुड़ गया. तेल अवीव के एयरपोर्ट पर पीएम मोदी के स्वागत में जुटे इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भावुक हुए और उन्होंने कहा कि सत्तर साल से इजरायल को इस दिन का इंतजार था.

इजरायल जैसे देश के लिये ये सिर्फ भावनात्मक पल ही नहीं बल्कि समूचे भारत के लिये सम्मानजनक भी है. ग्लोबल होती दुनिया और तेजी से बदलते रिश्तों के बीच भारत को एक नये ‘स्पेशल पार्टनर’ को बिना किसी हिचिकिचाहट के अपनाने में गुरेज नहीं क्योंकि अब समय बदल चुका है.


डॉनल्ड ट्रंप और पोप के बराबर मोदी का सम्मान

इजरायली पीएम नेतन्याहू ने कहा कि भारत और इजरायल के रिश्ते स्वर्ग में तय हुए हैं और वो इसे धरती पर सच करके दिखाना चाहते हैं. पीएम नेतन्याहू ने मोदी के इस्तकबाल में मुल्क के प्रोटोकॉल की परवाह नहीं की. उन्होंने पांच बार प्रोटोकॉल तोड़ा. तेल अवीव एयरपोर्ट पर पीएम नेतन्याहू ने 11 मंत्रियों और सरकार के 40 डेलिगेट्स के साथ स्वागत किया.

जबकि ऐसा सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति या वैटिकन के पोप के लिये किया जाता है. एयरपोर्ट पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देते वक्त भी इस्राइली पीएम मौजूद रहे तो तीन दिन के पीएम मोदी के 18 में से 12 कार्यक्रमों में भी पीएम नेतन्याहू साथ रहे.

वहीं इजरायली राष्ट्रपति रूविन रिवलिन ने भी प्रोटोकाल तोड़ते हुए पीएम मोदी को घर के बाहर सड़क पर आकर रिसीव किया. मोदी भी ऐसे स्वागत से अभिभूत हुए और उन्होंने कहा ‘आपने मुझे जो सम्मान दिया उसका शुक्रिया. मैं देख रहा था कि आप प्रोटोकॉल तोड़कर मुझे लेने के लिए रोड के किनारे तक आए. यह भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के लिए प्यार है. इसके लिए मैं आपका आभारी हूं.’

मोदी ने इंडिया और इजरायल के रिश्तों को स्वाभाविक बताते हुए कहा, ‘आई फॉर आई यानी इंडिया फॉर इजरायल और इजरायल फॉर इंडिया. इजरायल इज ए फ्रेंड विथ ईच रियल फ्रेंड.’

भारत के लिए इजरायल से बेहतर सामरिक साझेदार नहीं

मोदी की ये प्रतिक्रिया इजरायल की गर्मजोशी का शुक्रिया थी. पीएम मोदी की इजरायल के साथ रिश्तों की नई व्याख्या को पीएम नेतन्याहू और राष्ट्रपति रिवलिन ने दिल से स्वीकारा. राष्ट्रपति रूवन रिवलिन ने भारत और इजरायल के रिश्ते को ‘सिस्टर डेमोक्रेटिक’ बताया.

दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते कायम होने के 25 साल पूरे होने की खामोशी को दोस्ती की नई सदा मिल गई. इजरायल यात्रा ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन के इतिहास को पीछे छोड़ दिया. वैसे भी गुटनिरपेक्ष आंदोलन के बिखरने के बाद भारत के लिये इजरायल से बेहतर सामरिक साझेदार का दूसरा विकल्प नहीं था.

इसके बावजूद देश की पूर्ववर्ती सरकारों के प्रधानमंत्रियों ने इजरायल जाने का जोखिम नहीं उठाया क्योंकि वो पश्चिम एशिया के परस्पर प्रतिद्वंद्वी इजरायल और फिलिस्तीन में संतुलन बनाए रखना चाहते थे. साथ ही वो अरब देशों के साथ रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. खुद इजरायल ने भी अरब देशों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाया है.

लेकिन मोदी का ये दौरा भारत की विदेश नीति में बड़ा बदलाव है. इजरायल भी भारत के इस नए रूख का कायल हुआ और मोदी को दुनिया के महानतम नेताओं में से एक बताया.

बेबी मोशे से मिलकर मोदी ने दिया भावनात्मक संदेश

इस यात्रा में इतिहास के झरोखे से भावुकता का बहाव भी दिखाई दिया. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में अपने माता-पिता को खोने वाले बेबी मोशे होल्ट्जबर्ग से पीएम मोदी ने मुलाकात की. आतंकी हमले के वक्त मोशे की उम्र दो साल थी.उस हमले में मोशे ने अपनी मां रिवका और पिता गेवरिल होल्ट्जबर्ग खो दिया था. 9 साल बाद मोशे भारत के प्रधानमंत्री के सामने था जिसे उन्होंने गले लगा लिया और मुंबई आने का न्योता दिया.

यात्रा का तीसरा दिन उन शहीद भारतीय जवानों के नाम रहा जिन्होंने पहले विश्व युद्ध में अपनी कुर्बानी दी थी. हाइफा में पीएम मोदी ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. हाइफा पहुंचने वाले मोदी पिछले सत्तर साल में देश के पहले पीएम हैं.

मोदी की इजरायल यात्रा के तीन दिनों में 7 नए समझौतों पर मुहर लगी. लेकिन दोनों देशों के लिये आतंकवाद से सुरक्षा ही सबसे बड़ी चिंता है. मोदी और नेतन्याहू ने आतंकवाद से साथ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई है. आतंकवाद के खिलाफ इजरायल की रणनीति और सुरक्षा कवच दुनिया के लिये मिसाल है. इस बार एक ही मंच से दोनों देशों ने आतंकी संगठन और उनके प्रायोजकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आह्वान किया.

लेकिन यहां एक सवाल हो सकता है कि इजरायल के लिये आतंकवाद का खतरा फिलिस्तीन को लेकर जमीनी संघर्ष से है. जबकि भारत में पाक प्रायोजित आतंकी हमले होते हैं. ऐसे में इजरायल भारत के साथ किस हद तक साथ देता है ये देखने वाली बात होगी.

हर देश को एक साथ साधते जा रहे हैं पीएम मोदी

भले ही पीएम मोदी की ऐतिहासिक इजरायल यात्रा ने देश की विदेश नीति को नए सिरे से परिभाषित किया हो लेकिन पीएम के शपथ ग्रहण समारोह में बदलते हिंदुस्तान का अक्स तब देखा जा चुका था जब सार्क देशों के नेता शामिल हुए थे. मोदी नेपाल भी गए तो भूटान भी. श्रीलंका भी गए तो बांग्लादेश भी. अमेरिका गए तो अरब देश भी.

17 साल में नेपाल जाने वाले पहले मोदी पहले पीएम बने जबकि 28 साल बाद श्रीलंका जाने वाले पहले पीएम भी बने. पीएम मोदी का अब अगला पड़ाव जर्मनी है जहां जी-20 देशों के साथ नए रिश्तों की बुनियाद रखी जाएगी.