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केजरीवाल के धरने के पीछे एकजुट विपक्ष की आवाजें आ रही हैं...लोकसभा की तैयारी?

देश की राजधानी दिल्ली के अंदर चल रही इस नूरा-कुश्ती में पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बयानों का मतलब निकालें तो साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बिसात बिछने की बात जाहिर होती नजर आ रही है.

Ravishankar Singh

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने तीन सहयोगियों के साथ बीते सोमवार से ही एलजी हाउस में धरना-प्रदर्शन और अनशन कर रहे हैं. आज धरना और अनशन का पांचवां दिन है. अनशन के पांचवें दिन अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो जारी कर मीडिया और विरोधियों को करारा जवाब दिया है. केजरीवाल ने उन बातों को वीडियो के जरिए जवाब दिया है, जो सोशल साइट्स और मीडिया पर खूब जोर पकड़ रही है. अरविंद केजरीवाल ने एसी और सोफे पर धरना देने की बात पर ट्वीट करते हुए विरोधियों को जमकर लताड़ लगाई है.

अरविंद केजरीवाल ने धरने को लेकर आलोचना करने वाले लोगों पर निशाना साधते हुए कहा सोफे पर सोना कोई मजाक नहीं है. 8 मिनट का एक वीडियो ट्वीट करते हुए केजरीवाल ने कहा, चार दिनों तक सोफे पर सोना कोई आसान काम नहीं है. हमलोग यहां कोई मजाक करने नहीं आए हैं. हमलोग सबकुछ दिल्ली की जनता के लिए कर रहे हैं और लोग कहते हैं कि हमलोग एसी में सो रहे हैं.


वहीं दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल को कई विपक्षी राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मिलने लगा है. देश के पूर्व वित्त मंत्री और हाल ही में बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले यशवंत सिन्हा ने तो बुधवार को ‘आप’ द्वारा आयोजित मार्च में भी शिरकत की. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी खुलकर अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया है.

इसके साथ ही देश की कई और राजनीतिक पार्टियां और नेताओं ने भी अरविंद केजरीवाल को नैतिक समर्थन दिया है. टीडीपी, सीपीएम, एसपी, आरजेडी, राष्ट्रीय लोकदल, अभी हाल ही में नई पार्टी बनाने वाले दक्षिण के सुपरस्टार कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम सहित कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में चल रहे इस धरना-प्रदर्शन को जनता के लिए किया जा रहा प्रदर्शन करार दिया है.

राजनीति को करीब से जानने वाले लोग गवर्नर हाउस में चल रहे अरविंद केजरीवाल के धरना-प्रदर्शन को कई नजरिए से देख रहे हैं. दिल्ली और केंद्र की राजनीति को करीब से समझने वाले इन लोगों का भले ही यह मानना है कि विपक्ष भले ही इसे राजनीतिक ड्रामा करार दे रहा हो लेकिन कहीं न कहीं अरविंद केजरीवाल इस एपिसोड के बाद एक कद्दावर नेता और विपक्ष के एक मजबूत चेहरे के तौर पर उभर सकते हैं.

देश की कई राजनीतिक पार्टियों के नेता अरविंद केजरीवाल के समर्थन में बयान और ट्वीट्स कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल भी बारी-बारी से उन ट्वीट्स और बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कुलमिलाकर यह सारा घटनाक्रम एकजुट विपक्ष के तौर पर सामने आ रहा है.

समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव हों या फिर राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव हों या फिर राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी हों सभी खुलेआम अरविंद केजरीवाल के समर्थन में सामने आ गए हैं.

इन नेताओं के केजरीवाल के समर्थन में आने के बाद से ही बेरोजगार यूथ वोटर्स पर इनका खासा प्रभाव पड़ेगा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी एक अहम मुद्दा साबित होने वाला है. ऐसे में इन यूथ नेताओं के साथ आने से बड़ी तदाद में मौजूद युवा वोटर्स पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.

झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने भी आप सरकार को अपना समर्थन देते हुए एक ट्वीट किया है. हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हए लिखा है, मैं दिल्ली के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने में संघर्ष में शामिल नेताओं को सलाम करता हूं. यह किस तरह का लोकतंत्र है, जहां सरकार को अपने लोगों के अधिकारों के लिए सड़कों पर बाहर आने के लिए मजबूर होना पड़ता है. झारखंड की जनता दिल्ली सरकार के साथ खड़ी है.’

हाल ही में एनडीए से अलग होने वाले आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडु ने ट्वीट करते हुए लिखा है, केंद्र की सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक लाभ के लिए राज्यपाल ऑफिस का उपयोग करने की प्रवृत्ति संविधान की भावना के खिलाफ जाती है.’

अरविंद केजरीवाल को इस धरने से कुछ फायदा हो न हो उनको विपक्ष के कद्दावर नेताओं में शामिल जरूर कर दिया है. अरविंद केजरीवाल ने इन नेताओं, मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को नैतिक समर्थन देने के लिए उनका धन्यवाद किया है.

बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को उनके पत्र के लिए धन्यवाद दिया. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा बैठे मुद्दों से हस्तक्षेप और हल करने के लिए कहा जाए.

केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘हम सभी को भारतीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक साथ संघर्ष करना है, जिसके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन न्योछावर किया है वह मोदी शासन के दौरान खतरे में है.’

पिछले पांच दिनों से अपनी तीन मांगों को लेकर अरविंद केजरीवाल और उनके तीन सहयोगियों का धरना और अनशन लगातार चल रहा है. पांच दिन से चल रहे इस धरना और अनशन का अंत कैसा होगा यह किसी को भी मालूम नहीं है. लेकिन, सीएम अरविंद केजरावल की मंशा ने बीजेपी और खासकर पीएम मोदी को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है.

बता दें कि दिल्ली के राजनीतिक घटनाक्रम पर लगातार प्रतिक्रिया और ट्वीट्स हो रहे हैं. सोशल साइट्स पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुलमिलाकर अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से भारतीय राजनीति में धीरे-धीरे स्थापित हो रहे हैं. इसीका नतीजा है कि विपक्षी पार्टियों में भी अरविंद केजरीवाल के रूप में एक नया हीरो नजर आ रहा है जो पीएम मोदी के सामने डट कर खड़ा है.

देश की राजधानी दिल्ली के अंदर चल रही इस नूरा-कुश्ती में पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बयानों का मतलब निकालें तो साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बिसात बिछने की बात जाहिर होती नजर आ रही है. बेशक दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सहित कई नेता अरविंद केजरीवाल पर कटाक्ष कर रहे हों लेकिन कहीं न कहीं इसको अगले लोकसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है.