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तेजस्वी यादव के फायरिंग रेंज में कन्हैया कुमार, 2019 में आरजेडी दे सकती है झटका

बेगूसराय लोकसभा से महागठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी बनने के ‘जुगाड़’ में लगे कन्हैया कुमार को आरजेडी की तरफ से झटका मिलने की प्रबल संभावना है.

Kanhaiya Bhelari

बेगूसराय लोकसभा से महागठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी बनने के ‘जुगाड़’ में लगे कन्हैया कुमार को आरजेडी की तरफ से झटका मिलने की प्रबल संभावना है. इसके कई कारण हैं लेकिन सबसे प्रमुख है आरजेडी राजकुमार तेजस्वी यादव का जवाहर लाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष की वर्किंग स्टाइल को ‘नापसंद’ करना. सीपीआई के नेता भी आरजेडी के सपोर्ट को लेकर सशंकित हैं.

विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और आरेजडी के घोषित सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने अपनी ‘नापसंदगी’ को जाहिर करने की नीयत से ही कन्हैया कुमार के साथ पटना के गांधी मैदान में आयोजित 25 अक्टूबर की सीपीआई की असरदार रैली में मंच शेयर नहीं किया. विपक्षी एकता दिखाने के नाम पर अपने दल के सेकंड रैंक के नेताओं को भेज दिया. जबकि महागठबंधन में शामिल जीतनराम मांझी सहित कई नेताओं ने शिरकत की थी.


आरजेडी के प्रथम परिवार के साथ गहरे रूप से जुड़े सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव उसी दिन से खफा हैं जिस दिन कन्हैया कुमार ने आरजेडी राजकुमार की टेलिफोनिक कॉल को बहुत ‘हल्के’ में लिया. कहते हैं कि लालू यादव के दूसरे नंबर के पुत्र ने एक ज्वलंत व सीरियस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए जब कन्हैया कुमार को कॉल किया तो किसी दूसरे बंदे ने फोन रिसीव करके कहा,‘बाद में बात करा देगें साहब अभी बिजी हैं.’

कहते हैं कि तेजस्वी यादव की त्वरित प्रतिक्रिया थी, ‘कन्हैया कुमार कैसा पीए रखा है जो मेरी राजनीतिक हैसियत को नहीं जानता है?’ तेजस्वी यादव ने गुस्से का इजहार करते हुए यहां तक कहा था,‘इस आदमी के साथ काम करने में परेशानी होगी. क्योंकि इनके रेस्पॉन्स से ऐसा लगता है कि ये गंभीर स्वभाव के नहीं हैं.’

भरोसेमंद दोस्तों के साथ अपनी नियमित बैठक में तेजस्वी यादव ने इस वाकये का जिक्र करते हुए कहा, ‘उसी दिन जब दो घंटे बाद कन्हैया कुमार ने मुझे रिंग बैक किया तो मैने उनसे पहला सवाल पूछा, ‘आप मोबाइल अपने पास नहीं रखते हैं क्या? कितना पीए रखे हैं? जिनको रखे हैं क्या वो लोग मुझे नहीं जानते हैं? कन्हैया कुमार ने अफसोस जाहिर किया था.’

इसी बीच, बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के परम भक्त एवं आरजेडी के एक कद्दावर नेता ने गंभीरता के साथ बताया ‘बेगुसराय लोकसभा सीट छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व एमएलसी तनवीर हसन 2014 लोकसभा चुनाव में पौने चार लाख वोट पाए थे. मुझे लगता है कि वहां से आरजेडी के वही कैंडीडेट होंगे. हसन मोदी लहर में बीजेपी के भोला सिंह से कड़े मुकाबले में मात्र 58000 से चुनाव हारे थे. सीपीआई को दो लाख से भी कम वोट की प्राप्ति हुई थी.' वो सवालिया लहजे में कहते , ‘जब आरजेडी सब सीट सहयोगियों के लिए छोड़ देगी तो लड़ेगी कहां से?’

बहरहाल, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह भी बातचीत में स्वीकार करते हैं,‘आरजेडी के साथ हमारी अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है. वैसे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने अनौपचारिक बातचीत में मुझसे स्वयं दो-तीन बार कहा था कि बेगुसराय से कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाइए, हम मदद करेंगे’. सिंह आगे कहते हैं, ‘किसी भी सूरत में सीपीआई कन्हैया कुमार को बेगुसराय से अपना कैंडीडेट बनाएगी. वैसे उनके चुनाव लड़ने पर अंतिम फैसला पार्टी की केंद्रीय समिति को लेना है.’

कन्हैया कुमार के प्रति आरजेडी राजकुमार के मन में उपजी ‘नाराजगी’ पर पत्रकार किरनेस कुमार का कहना है, ‘तेजस्वी यादव डर रहे हैं कि चुनाव जीतकर कन्हैया कुमार कहीं बिहार में हीरो न बन जाएं. जिससे उनकी राजनीतिक सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.’ कॉल अटेन्ड नहीं करने के मसले पर किरनेस ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कन्हैया कुमार को स्वयं मोबाइल रिसीव करने से मना किया है. उनके पास कोई पीए नहीं है. बल्कि पार्टी का एक कैडर हमेशा साथ रहता है जो उनका फोन रिसीव करता है.

सीपीआई नीत विपक्षी दलों की 25 अक्टूबर की ‘भाजपा हराओ-देश बचाओ’ रैली में कन्हैया कुमार ने दहाड़ते हुए प्रण किया था कि ‘जबतक हम बीजेपी को तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं.’ कई कारणों को लेकर आरजेडी राजकुमार के मन में उभरी ‘नाराजगी’ अगर बरकरार रही, जिसकी पूरी संभावना है, तब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार के ‘लेनिनग्राद’ से सियासी राजनीति का श्रीगणेश करने वाले कन्हैया कुमार अपना प्रण पूरा करने में कितना सफल होते हैं.