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क्या अर्जेंटीना के मेसी या पुर्तगाल के रोनाल्डो हैं नरेंद्र मोदी?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक ट्वीट किया. ट्वीट तो फुटबॉल पर था, लेकिन इसे उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़ दिया.

Shailesh Chaturvedi

राजनीति पर भी इस वक्त फुटबॉल का बुखार है. राजनेताओं पर भी. ऐसा लग रहा है कि राजनीति के धुरंधर अपना वक्त टीवी सेट के सामने बैठकर बिता रहे हैं. इस बीच वो खेल पर टिप्पणी करते हैं और इसके साथ-साथ खुद को राजनीति पर टिप्पणी से भी नहीं रोक पाते.

एक दिन पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक ट्वीट किया. ट्वीट तो फुटबॉल पर था, लेकिन इसे उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़ दिया. शनिवार की शाम मेसी की टीम अर्जेंटीना वर्ल्ड कप फुटबॉल से बाहर हुई. उसी रात क्रिस्टियानो रोनाल्डो की पुर्तगाल की भी विदाई हो गई. इसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि जब पूरी टीम एक नाम के सहारे चलती है, तो ऐसा ही होता है. मेसी की अर्जेंटीना और रोनाल्डो की पुर्तगाल टीम बाहर हो गई है. इसकी आखिरी लाइन बीजेपी के लिए थी. उन्होंने लिखा कि भाजपा वालों... .2019 के लिए जरा संभलकर.


उनका यह ट्वीट प्रधानमंत्री मोदी पर था. बीजेपी को वन मैन टीम बताने जैसा था. यह बताने वाला था कि सिर्फ एक ही चैंपियन है तुम्हारे पास. इसलिए तुम्हारा हश्र भी अर्जेंटीना या पुर्तगाल जैसा न हो. अभिषेक मनु सिंघवी के ट्वीट को कांग्रेस के एक और नेता राजीव शुक्ला ने रीट्वीट किया. उन्होंने लिखा – वाह अभिषेक जी, क्या टिप्पणी की है और क्या चुस्की ली है. उत्तर प्रदेश के एक हिस्से में चुस्की लेना किसी बात पर मजे लेने या चुटकी लेने या व्यंग्य करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

बीजेपी के मेसी पर बात करने से पहले अभिषेक मनु सिंघवी के कांग्रेस पर बात करनी जरूरी है. सिंघवी और राजीव शुक्ला के ट्वीट यह तो बता रहे हैं कि मोदी मेसी या रोनाल्डो हैं. लेकिन यह नहीं बता रहे कि उनकी टीम का मेसी या रोनाल्डो कौन है. क्या राहुल गांधी? राहुल गांधी ने क्या वाकई खुद को उस जगह पहुंचा लिया है, जहां उन्हें अर्जेंटीना का मेसी या पुर्तगाल का रोनाल्डो माना जा सके? ऐसी जगह वो पहुंच पाए हैं क्या कि अकेले उनके दम पर कांग्रेस पार्टी 2019 के चुनाव में अच्छे प्रदर्शन का सपना देख सके! जाहिर है, इस सवाल का जवाब सिंघवी या शुक्ला से नहीं मिलेगा. हालांकि कांग्रेस को अच्छी तरह इस सवाल का जवाब पता है. यही वजह है कि वो अपने लिए ‘मेसी’ या ‘रोनाल्डो’ नहीं, ऐसे खिलाड़ी तलाश रहे हैं, जो मिलकर बीजेपी के मेसी यानी मोदी को मात दे सकें. या फुटबॉल की भाषा में उन्हें अच्छी तरह ‘मार्क’ कर सकें.

इस सिलसिले में अंदाज लगाना जरूरी है कि क्या वाकई ऐसा है कि बीजेपी सिर्फ एक खिलाड़ी के भरोसे खेल रही है? याद कीजिए, उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव. वहां से आ रहे चुनावी विश्लेषक लगातार बता रहे थे कि मामला फंसने वाला है. बीजेपी को मुश्किल होगी. वे सारे विश्लेषक मोदी के तूफानी दौरे से पहले गए थे. मोदी के बाद जो गया, वो बताता रहा कि मोदी फैक्टर काम करने वाला है. गुजरात में भी इसी तरह की चर्चा हुई. यहां तक कि कर्नाटक में भी मोदी के जाने के बाद हालात बदले.

इसमें कोई शक नहीं कि मोदी इस समय भारतीय राजनीति के अकेले शख्स हैं, जो पूरे चुनाव का रुख बदल सकते हैं. लेकिन क्या बीजेपी सिर्फ मोदी की बदौलत ही जीत रही है? मोदी बिहार भी गए थे. मोदी ने दिल्ली में भी चुनाव प्रचार किया था. दोनों जगह विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कामयाबी नहीं मिली थी.

ऐसे में सवाल यही है कि आखिर सच क्या है? इसमें कोई शक नहीं कि इस समय राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी मोदी हैं. सवाल यह है कि क्या इस सबसे बड़े खिलाड़ी के साथ वो टीम नहीं है, जिसकी चुटकी अभिषेक मनु सिंघवी ले रहे हैं. बीजेपी पर लगातार यह आरोप लगता रहा है कि मोदी के सामने किसी को पनपने नहीं दिया गया है. लेकिन यह भी बताया जाता रहा है कि मोदी और अमित शाह की एक टीम हैं. ठीक वैसे ही, जैसे उरुग्वे में कवानी और लुइस सुआरेज हैं. इस जोड़ी ने मिलकर रोनाल्डो की पुर्तगाल को बाहर किया है. इसके साथ वो काडर बीजेपी के पास है, जिसका कोई तोड़ फिलहाल नजर नहीं आता.

पन्ना प्रमुख, अर्ध पन्ना प्रमुख से लेकर जिस आक्रामक रणनीति के साथ बीजेपी पिछले कुछ समय में इलेक्शन में उतरती है, उस तरह का नजारा भारतीय राजनीति के इतिहास ने शायद ही देखा हो. ऐसे में वो सपोर्ट बीजेपी को मिलता है, जो गोलकीपर से लेकर डिफेंस लाइन जैसा है.

यहां सब ठीक करने के बाद ही मोदी किसी मेसी की मानिंद उतरते रहे हैं. दरअसल, वो अर्जेंटीना के मेसी या पुर्तगाल के रोनाल्डो नहीं हैं. वो बार्सिलोना के मेसी या रियाल मैड्रिड के रोनाल्डो हैं, जहां फीडर लाइन बहुत मजबूत है. वो फीडर लाइन फिलहाल कांग्रेस के पास नहीं है. न ही, उस फीडर लाइन से पास लेकर गोल करने वाला कोई इंदिरा गांधी जैसा नेता है.