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केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री की कुर्सी क्यों रास नहीं आती!

अब तक जो भी इस कुर्सी पर बैठा उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ा

FP Staff

दिल्‍ली में आखिरकार में कानून मंत्री की कुर्सी लोगों को रास नहीं आ रही है. राजनीतिक रूप से अशुभ साबित हो रही है. अब तक जो भी इस कुर्सी पर बैठा उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ताजा मामला कपिल मिश्रा का है, जिन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया. उन्होंने सीएम अरविंद केजरीवाल पर जिस तरह के आरोप लगाए हैं, उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई होना तय माना जा रहा है.

यहां तीन केस स्टडीज में बता रहा है कि कैसे केजरीवाल की सरकार में क़ानून मंत्री की कुर्सी लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है. अब तक तीन लोग इस कुर्सी पर बैठे और वो बड़े विवाद  का शिकार हुए.


कपिल मिश्रा

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दो करोड़ रुपए रिश्वत लेने के आरोप लगाने वाले आप नेता कपिल मिश्रा को शनिवार को ही दिल्‍ली जल बोर्ड के मंत्री पद से हटाया गया है. केजरीवाल की मंत्रिपरिषद में शुरू से शामिल रहे कपिल मिश्रा को 2015 की सरकार में कानून मंत्री का पद दिया गया था, लेकिन शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर को लेकर उनसे कानून मंत्री पद छीन लिया गया था. अब वे पार्टी से बाहर होने की कगार पर खड़े हैं.

सोमनाथ भारती

दिल्‍ली के कानून मंत्री का पद संभालते ही सोमनाथ भारती ने आधी रात में खिड़की एक्‍सटेंशन में छापेमारी की थी. इस दौरान युगांडा और अफ्रीकी मूल की महिलाओं ने सोमनाथ भारती और मौजूद लोगों पर मोलेस्‍टेशन के आरोप लगाते हुए एफआईआर की थी. सोमनाथ भारती को अपना पद छोड़ना पड़ा. इसके साथ ही सोमनाथ भारती पर उनकी पत्‍नी ने घरेलू हिंसा और मारपीट के आरोप लगाए थे, जिसमें सोमनाथ गहरे फंसते चले गए.

जितेंद्र सिंह तोमर

दिल्‍ली सरकार में कानून मंत्री बनाए गए जितेंद्र सिंह तोमर फर्जी डिग्री मामले में अपने पद से हाथ धो बैठे. फर्जी डिग्री मामले में जितेंद्र सिंह तोमर को धोखाधड़ी और जालसाजी से कानून की डिग्री हासिल के आरोपों के तहत नौ जून 2015 में गिरफ्तार भी किया गया था. बिहार के विश्‍वविद्यालय ने भी तोमर की डिग्री के संबंध में कोई रिकॉर्ड होने से मना कर दिया था. इसके बाद जितेंद्र सिंह तोमर ने जेल से ही मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस्‍तीफा भेजा था.

न्यूज 18 से साभार