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किसान और उपभोक्ता में संतुलन बनाना जरूरी: राम विलास पासवान

खाद्य और कंज्यूमर मामलों के मंत्री राम विलास पासवान के साथ फर्स्टपोस्ट हिंदी की खास बातचीत

Amitesh

अाम आदमी की सबसे बड़ी समस्या महंगाई की है. कभी दाल, कभी चीनी की कीमतें आम आदमी का बजट बिगाड़ने का काम करती हैं. नोटबंदी से परेशान जनता को बजट से काफी उम्मीदें हैं. फर्स्टपोस्ट हिंदी से खास बातचीत में खाद्य और कंज्यूमर मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने बताया कि वे महंगाई से लड़ने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं.

खाद्य पदार्थों के दाम न बढ़े इसके लिए सरकार की क्या योजना है?


पहली प्लानिंग पैदावार बढ़ाने की है. दाल की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार ने एमएसपी रेट बढ़ाने का काम किया है. निर्यात पर रोक लगाने जैसे कदम हमने शुरू से उठाए हैं. जैसे हमारे पास एस्मा के लोग आए थे. शुगर इंडस्ट्री के लोग आए थे. उनकी कोशिश होती है कि हमेशा दाम बढ़ जाए. कंज्यूमर मिनिस्टर की हैसियत से हमारी कोशिश होती है कि दाम न बढ़े. किसान को समय पर पैसा मिले. कई चीनी मिलें हैं जिनके उपर बहुत बकाया है तो उनके उपर कारवाई की जा रही है. किसान, उपभोक्ता, चीनी मिल सबमें संतुलन बनाकर चलने की जरूरत है. जिससे किसानों को लागत मूल्य से कम पैसा न मिले, उपभोक्ता का भी हित सुरक्षित हो और चीनी मिल भी चलते रहें.

कई बार देखने को मिलता है कि खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने के बाद निर्यात पर बैन लगा दिया जाता है लेकिन, दाम कम होने के बावजूद निर्यात से बैन नहीं हटता है, जिसकी मार किसानों पर पड़ती है.

कभी-कभी ऐसा होता है कि पैदावार बहुत ज्यादा होती है, फिर भी बाजार में दाम बढ़ता रहता है. इसका सबसे बड़ा कारण जमाखोरी है. दाल के कीमतें साल भर पहले 200 रुपए तक चली गईं थीं.

इसके लिए हमने स्टॉक लिमिट लगाया. फिर बफर स्टॉक 20 लाख टन करने की घोषणा की. हमारे पास कई शिकायतें आती हैं कि हम केवल गेहूं और धान खरीदते हैं. कई बार किसान एमएसपी से कम रेट पर भी बेचने को मजबूर करते हैं. इसकी वजह बिचौलिए हैं.

मुश्किल यह है कि हमारे यहां हर जगन प्रोक्योरेमेंट सेंटर नहीं है. हम इसे आसान बनाना चाहते हैं मंडी में माल कब ले जाना है. हर राज्य में मंडी नहीं है. मसलन बिहार में मंडी नहीं है.

ऐसे में किसान नजदीकी सेंटर पर जाते हैं या कारोबारी किसान के पास पहुंच जाते हैं और 2 रुपए कम दाम पर उनसे अनाज खरीद लेते हैं. इसका एकमात्र जरिया यही है कि देश में ज्यादा से ज्यादा प्रोक्योरमेंट सेंटर खुले और किसानों को आसानी से पैसा मिले.

जमाखोरी रोकने के लिए सरकार की क्या योजना है?

यह मामला राज्य सरकार के अधीन है. ये उनका मामला है. यह राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे स्टॉक लिमिट लगाएं और छापेमारी करें.

खाद्य सुरक्षा लागू करने में सरकार किस हद तक सफल रही है. खाद्य सुरक्षा योजना की मौजूदा स्थिति क्या है? 

2014 में खाद्य सुरक्षा योजना लागू हो गई थी. तीन साल में रिव्यू करने की बात थी. 5 जुलाई को 2014 को लागू हुआ था अब 5 जुलाई के बाद ही उसे रिव्यू किया जाएगा.

डिमॉनिटाइजेशन के बाद इस बात का डर है कि कैशलेस इकनॉमी के लिए आगे बढ़ने पर डिजिटल फ्रॉड के मामले भी सामने आएंगे.  ऐसे में आपका मंत्रालय क्या कर रहा है.

सभी राज्यों के मंत्रियों के साथ इस पर बैठक करने का फैसला किया गया है. हमने संचार मंत्री के रूप में गरीबों के हाथ में मोबाइल देने का फैसला किया था तब कई सवाल खड़े हुए थे.

लेकिन आज हर गरीब के हाथ में मोबाइल है. इसलिए, कैशलेस इकनॉमी को लेकर भी कोई परेशानी नहीं होगी. अब तो केवल अंगूठे के निशान से भी पैसा निकल सकता है. केवल नंबर याद रखिए अपना नंबर भरिए. भीएम एप सरल हो गया है. हमलोगों ने कंज्यूमर ऐप बनाया है जिससे कंज्यूमर की सारी जानकारी मिल जाएगी.

कंज्यूमर कोर्ट को हम सशक्त बना रहे हैं. बाकी इसके बावजूद जो मामले आते हैं उनसे निपटाया जाएगा.

नोटबंदी के बाद पूरे देश की नजर है इस बार के बजट पर. क्या अपेक्षा कर रहे हैं आप इस बार के बजट से.

हमारा मंत्रालय सब्सिडी पर ही चलता है. इसलिए देर होती है लेकिन इसमे ना का कोई प्रश्न ही नहीं होता है.कंज्यूमर साइड है उसमें पब्लिसिटी और जागरूकता का मामला है. हमारे पास 14 कन्ज्यूमर हेल्पलाइन थे जिसे हमने बढ़ाकर 60 कन्ज्यूमर हेल्पलाइन कर दिया है. जो पांच जोन हैं पूरे देश में, उसमें हमने अपने कन्ज्यूमर हेल्पलाइन की शाखा शुरु की है. हमने नंबर को सरल बना दिया है. अब एक ही नंबर है हर जगह 14404....