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बुद्धिजीवियों ने कहा- 'मुसलमानों को देशभक्ति का सबूत देने की जरूरत नहीं'

बुद्धिजीवियों ने कहा की ऐसी कोशिशों को तर्क और संवाद के जरिए जवाब देने की जरूरत है

Bhasha

देश में समय-समय पर राष्ट्रवाद को लेकर उठने वाली बहस और उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा मदरसों में स्वतंत्रता दिवस समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग का निर्देश दिए जाने के बीच कुछ प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों और वरिष्ठ पत्रकारों ने रविवार को कहा कि ‘मुसलमानों को अपनी देशभक्ति साबित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आजादी की लड़ाई और देश की प्रगति में उनका प्रमुख योगदान रहा है.’

गैर सरकारी संगठन ‘अमन’ की ओर से ‘राष्ट्रवाद और भारतीय मुसलमान’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में इस्लमी विद्वान और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर जफरूल इस्लाम खान ने कहा, ‘देश में राष्ट्रवाद को लेकर जो विमर्श चल रहा है उससे कहीं न कहीं मुस्लिम समुदाय की देशभक्ति पर सवाल खड़ा करने की कोशिश हो रही है. यह बहुत दुखद है कि मीडिया का एक बड़ा हिस्सा इस बहस को हवा दे रहा है. इसका जवाब सिर्फ तर्कों और तथ्यों से दिया जा सकता है.’


उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों को देशभक्ति साबित करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आजादी की लड़ाई में उनका प्रमुख योगदान रहा है. जो राष्ट्रवाद को लेकर मुस्लिम समुदाय को लेकर सवाल खड़े करता है उसे इतिहास और तथ्यों की जानकारी नहीं है.’

हो रही है इतिहास को बदलने की कोशिश

मुस्लिम संगठन ‘ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत’ के अध्यक्ष नावेद हामिद ने देश में पिछले कुछ दशकों के चर्चित राजनीतिक बयानों का हवाला देते हुए कहा, ‘देशभक्ति पर सवाल खड़ा करने की कोशिश कोई नई बात नहीं है. हमारा देश संविधान और कानून से चलने वाला देश है. चिंता की बात यह है कि अब इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है.'

वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने कहा, ‘भारत दुनिया का एक इकलौता ऐसा देश है जो सेकुलर है और बहुत सारी विभिन्नताएं होने के बावजूद एकजुट है. बंटवारे के बाद जो मुसलमान यहां रह गए वो सभी देशभक्त हैं. मेरा यह कहना है कि मुसलमानों को खुद को अल्पसंख्यक नहीं मानना चाहिए. उन्हें खुद को दूसरों जैसा ही समझना चाहिए. शिक्षा ही मुस्लिम समुदाय को आगे ले जा सकती है. उनको बेकार की बहस को नजरअंदाज करना चाहिए.’

वरिष्ठ उर्दू पत्रकार सैयद फैसल अली ने कहा कि मुसलमानों को शिकायत नहीं करनी चाहिए, बल्कि शिक्षा और तरक्की पर ध्यान देना चाहिए.

‘अमन’ के अध्यक्ष हिलाल मलिक ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों में वंदे मातरम् गाए जाने और वीडियोग्राफी का आदेश दिया है. यह सब क्यों हो रहा है? इस तरह से मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. ऐसी कोशिशों को तर्क और संवाद के जरिए जवाब देने की जरूरत है.’

वरिष्ठ पत्रकार मुजफ्फर गजाली ने कहा कि नई पीढ़ी के सामने इतिहास को सही ढंग से प्रस्तुत किये जाने की जरूरत है ताकि ‘मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के किसी भी प्रयास को’ विफल किया जा सके.