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योगी आदित्यनाथ से प्रेरित हो, राजनीति में आ रहे हैं कर्नाटक के संत

संतों का कहना है कि राजनीति बुरी चीजों का पर्याय बन गई है, हम लोग दिखाने चाहते हैं कि ये साफ-सुथरे तरीके से भी हो सकती है

FP Staff

हो सकता है कि अगले साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भगवा का जलवा हो. कारण यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से प्रभावित हो कर राज्य के लगभग आधा दर्जन स्वामीजी राजनीति में जाने की तैयारी में हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, कुछ ऐसे संत हैं जिन्होंने चुनाव लड़ने की तैयारी तो नहीं की है लेकिन राजनीति में आने का मन बना चुके हैं. राजनीति में आने वाले संतों में मेंगलुरु के गुरुपुरा वज्रदेही मठ के राजशेखरानंद स्वामीजी, धारवाड़ जिले के मनगुंडी के श्री गुरु बसावानंद स्वामीजी और चित्रदुर्ग जिले के चेन्नया स्वामीजी शामिल हैं.


भगवा पहने ये संत शक्तिशाली नेताओं के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ाने से लेकर जबरदस्त भाषण देने और अपने समाजिक दायरों को बढ़ाने पर काम कर रहे हैं. जिससे इनका टिकट पक्का हो सके.

कई संतों ने किसी खास पार्टी की तरफ झुकाव का जिक्र तो नहीं किया लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये सभी बीजेपी से टिकट पाने की कोशिश में लगे हुए हैं. वहीं सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की कोशिश है कि ये संत न्यूट्रल रहे. साथ-साथ कांग्रेस की इन्हें दबाने की कोशिश भी कर रही है.

आज की राजनीति बुरी चीजों का पर्याय बन गई है

बसवानंद स्वामीजी आर्थिक तौर पर पिछड़े कालाघाटगी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. स्वामीजी को इलाके में शिक्षा, स्वास्थ्य और पशु कल्याण के क्षेत्र में काम करने के लिए बहुत सम्मान मिलता है. हजारों की संख्या में स्वामीजी के फॉलोवर्स है. अगर आप स्वामीजी के फेसबुक वॉल पर जाएंगे तो आपको पीएम मोदी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा के संग की तस्वीर आपको दिख जाएगी. उनको पूरी उम्मीद है कि पार्टी उन्हें टिकट देगी.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि नेता अगर अच्छाई के लिए काम नहीं कर रहे, तो क्यों न हम राजनीति में जाएं. उन्होंने कहा कि आज कल राजनीति बुरी चीजों की पर्याय बन गई है. मैं ये दिखाना चाहता हूं कि राजनीति साफ रह सकती है.

ये तो हुई सिर्फ एक स्वामीजी की बात लेकिन ऐसे और कई संत हैं जो बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहते हैं. पार्टी के सूत्रों ने बताया कि कई और संत हैं जो आगामी चुनाव में लड़ने के लिए आग्रह कर रहे हैं. वहीं सत्ताधारी कांग्रेस उत्तरी कर्नाटक में वीराशैवा-लिंगायत समुदाय में दरार का पता लगाने की कोशिश कर रही है और ऐसे लिंगायत समुदाय के संत की खोज कर रही है जो बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ सके.