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इंदिरा गांधी का जन्मशती वर्ष: प्रियदर्शिनी से तानाशाह तक का सफर

इंदिरा गांधी द्वारा लिए गए फैसले आज भी राजनीति के बहस के केंद्र में है.

FP Staff

आज इंदिरा गांधी की जयंती है और उनका जन्मशती वर्ष भी शुरू हो रहा है. पूरा देश अपने-अपने तरीके से उन्हें याद कर रहा है. गांधी परिवार के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी ने भी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी है.

आधुनिक भारत के राजनीतिक इतिहास में इतना अधिक विवादित व्यक्तित्व शायद ही हुआ हो. इंदिरा गांधी के पक्ष और विपक्ष में जितनी किंवदंतियां सुनने को मिलती हैं, उतनी महात्मा गांधी और उनके पिता नेहरू के बारे में भी नहीं हैं. कोई माने या नहीं माने इंदिरा गांधी द्वारा लिए गए फैसले आज भी भारतीय राजनीति में बहस के केंद्र में हैं. इसका सबसे हालिया उदाहरण है नोटबंदी के फैसले के बाद, प्रधानमंत्री मोदी की तुलना इंदिरा गांधी से की जाने लगी.


'गूंगी गुड़िया' ने लिया दुर्गा का अवतार

उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का पता इससे भी चलता है कि इंदिरा गांधी को कई नामों से जाना जाता है. रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘प्रियदर्शिनी’ कहा. 1966 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद 1969 कांग्रेस में विभाजन हो गया. डॉ. राममनोहर लोहिया ने उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ कहा. लेकिन जल्दी ही भारतीय राजनीति में इंदिरा गांधी ने अपने नरम और कमजोर व्यक्तित्व वाली छवि को तोड़ दिया.

हरित क्रांति और 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण द्वारा उन्होंने देश के आर्थिक हालात को सही करने की कोशिश की. अकाल और युद्धों (चीन से 1962 का युद्ध और पाकिस्तान से 1965 का युद्ध) के कारण इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के समय देश आर्थिक-संकट से जूझ रहा था. इंदिरा गांधी की इन नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति दी.

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी इंदिरा गांधी की मजबूत छवि उभरी. 1971 में इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान का समर्थन करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया. युद्ध में भारतीय सेना और बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी की जीत हुई और बांग्लादेश देश का जन्म हुआ. युद्ध के समय अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी की तुलना ‘दुर्गा’ से की.

1974 में पोखरण में ‘बुद्धा स्माइल’ के नाम से परमाणु परीक्षण करके इंदिरा गांधी ने पूरे विश्व का ध्यान भारत की ओर खींचा. ‘शिमला समझौता’ और ‘परमाणु परीक्षण’ के फैसलों द्वारा उन्होंने अमेरिका जैसी शक्ति को चुनौती दी. अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन से उनके संबंध बहुत ही खराब थे. निक्सन इंदिरा को ‘चुड़ैल बुढ़िया’ कहते थे.

इंदिरा की नीतियों और ‘गरीबी हटाओ’ के नारे ने उन्हें पूरे देशभर में लोकप्रिय बना दिया. इस कारण 1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला. इंदिरा को मिली सफलताओं ने उन्हें बेलगाम कर दिया. इंदिरा के चापलूस ‘इंडिया इज इंदिरा’ और ‘इंदिरा इज इंडिया’ जैसे नारे देने लगे.

तानाशाह इंदिरा

1975 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से उनके निर्वाचन को रद्द कर दिया. इसके बाद इंदिरा गांधी ने पूरे देशभर में आपातकाल लगा दिया और सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया. प्रेस पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद देशभर में इंदिरा गांधी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. इसी समय जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को भी कड़ाई से लागू किया गया. इससे इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी के खिलाफ काफी जनाक्रोश पैदा हो गया. 1977 के चुनावों में कांग्रेस की भारी हार हुई. इंदिरा गांधी खुद इलाहाबाद से चुनाव हार गई. हालांकि बेल्लारी (कर्नाटक) से वह चुनाव जितने में सफल रही.

जनता पार्टी की सरकार ने इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेज दिया. इससे इंदिरा गांधी के पक्ष में जनता के भीतर फिर से झुकाव पैदा हुआ. जनता पार्टी की सरकार अपने अंतरविरोधों के कारण गिर गई. इसके बाद 1980 के मध्यावधि चुनावों में फिर से कांग्रेस को बहुमत मिला और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी.

इंदिरा गांधी का यह कार्यकाल भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा. उनके घोषित वारिस संजय गांधी की एक दुर्घटना में मौत हो गई. इसने इंदिरा गांधी को निजी रूप से क्षति पहुंचाई. संजय गांधी की जगह राजीव गांधी ने ली.

शानदार व्यक्तित्व का दुखद अंत

इसी बीच पंजाब में अलगाववादी आंदोलन शुरू हो गया. 1981 में अलगाववादी नेता जनरैल भिंडरावाला ने अपने हथियारबंद अनुयायियों के साथ सिक्खों के पवित्रतम धर्मस्थान स्वर्ण मंदिर के भीतर शरण ले ली. उस समय कई आम लोग भी स्वर्ण मंदिर में थे. इसके बावजूद इंदिरा गांधी ने सैन्य करवाई का आदेश दे दिया. इसमें जनरैल भिंडरावाला और उनके अनुयायियों के साथ-साथ कई आम नागरिक भी मारे गए. इससे सिक्खों के भीतर इंदिरा गांधी के खिलाफ भारी नाराजगी पैदा हो गई. इसी वजह से 30 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी के दो सिक्ख अंगरक्षकों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद पूरे देश में सिक्ख विरोधी दंगे शुरू हो गए.

इंदिरा गांधी के राजनीतिक जीवन की तरह उनका निजी जीवन भी विवादों से घिरा रहा है. पहले उनके पति फिरोज गांधी और बाद में बेटे संजय गांधी से विवादों की खबरों आती रहती हैं. इंदिरा गांधी के जीवन पर लिखी कई किताबों में इन विवादों जिक्र मिलता है.

प्रियदर्शिनी, गूंगी गुड़िया से होते हुए दुर्गा, तानाशाह, चुड़ैल बुढ़िया और आयरन लेडी की छवि की अपनी यात्रा से इंदिरा गांधी ने देश की राजनीति पर ऐसा प्रभाव डाला है कि आज भी बिना इंदिरा गांधी के जिक्र के कोई भी राजनीतिक विश्लेषण असंभव है.