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लोकसभा चुनावों को विधानसभा से मिलाना चाहते हैं मुख्तार अब्बास नकवी

हिंदुस्तान में एक 'देश एक चुनाव' की व्यवस्था हो

Bhasha

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की आज वकालत करते हुए कहा कि इससे वोटबैंक की राजनीति पर रोक लगेगी और विकास गतिविधियों की गति बरकरार रहेगी.

नकवी ने कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ से यह सुनिश्चित होगा कि सरकारों के पास नीतियों पर चर्चा करने और उन्हें लागू करने के लिए पर्याप्त समय होगा.


उन्होंने कहा, ‘देश में चुनावी सुधार की जरूरत है. हमें एक देश, एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए.’ उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था की गति और विकास गतिविधियां बरकरार रखने में मदद मिलेगी और इससे बीमारी ‘वोटबैंक राजनीति’ के प्रसार में काफी हद तक रोक लगेगी.

नकवी पटना में ‘पार्लियामेंटेरियन कॉन्क्लेव’ को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक पांच या छह महीने में किसी ना किसी राज्य में चुनाव होता है, जिसका नतीजा यह होता है कि विकास कार्य बाधित होते हैं.

नकवी ने कहा कि पांच वर्ष की अवधि में अलग-अलग राज्यों में चुनावों के समय आचार संहिता लगने से विकास कार्य ठप्प पड़ जाते हैं. सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है सो अलग. उन्होंने कहा कि एक आकलन के अनुसार इससे लगभग 30 से 40 प्रतिशत विकास कार्य लम्बे समय के लिए पिछड़ जाते हैं.

नकवी ने कहा कि लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने से हर साल चुनावों में खर्च होने वाली बड़ी धनराशि में काफी हद तक कटौती होगी, विकास की गति बरकरार रहेगी क्योंकि सरकारों के पास विकास कार्यों के लिए पर्याप्त समय होगा.

उन्होंने इसके स्थाई समाधान की जरूरत बताते हुए कहा कि चुनाव के समय असली मुद्दे गौण हो जाते हैं, एक साथ चुनाव होने से ‘वोटबैंक’ की बीमारी बहुत हद तक कम होगी.

नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों सहित कई बड़े और सार्थक सुधार हुए हैं. हमें ‘एक देश एक चुनाव’, आदर्श चुनाव आचार संहिता एवं जनप्रतिनिधित्व कानून में सुधार की दिशा में आगे बढ़ना होगा.

उन्होंने कहा कि इस विषय पर सभी राजनैतिक दलों, चुनाव आयोग एवं बुद्धिजीवियों को आम राय बनाने के लिए आगे आना चाहिए.

नकवी ने कहा कि ‘नया भारत’ का संकल्प समाज के हर तबके- गरीब, कमजोर, अल्पसंख्यक, पिछड़े को तरक्की की मुख्यधारा में शामिल करना है. धर्म-जाति से ऊपर उठकर गरीबों, कमजोर तबकों, अल्पसंख्यकों का विकास केंद्र की मोदी सरकार का संकल्प है. उन्होंने कहा कि ‘सम्मान के साथ सशक्तिकरण’ का रास्ता ही अल्पसंख्यकों के विकास की गारंटी है.

नकवी ने कहा कि पिछले कई दशकों से तुष्टिकरण ने सशक्तिकरण को बंधक बना लिया था लेकिन पिछले तीन वर्षों के दौरान हमने ‘तुष्टिकरण के बिना सशक्तिकरण’ का रास्ता अपनाया है, जिसका नतीजा यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अल्पसंख्यकों का सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण सुनिश्चित हुआ है.

उन्होंने कहा कि ‘तुष्टिकरण के बिना सशक्तिकरण’ की नीति का लाभ यह हुआ कि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सभी अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं को जमीन पर पूरी ईमानदारी से लागू किया है.