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आत्मकथा में शीला दीक्षित ने कहा, सीएनजी स्कीम था भयानक सपना

शीला दीक्षित अपनी पुस्तक में बताती हैं कि किस तरह से वे चुनाव प्रचार के दौरान चांदनी चौक की गलियों में बेलन से थाली बजाकर प्रचार करती थीं

FP Staff

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपनी बायोग्राफी 'सिटीजंस देलहीः माई टाइम्स, माई लाइफ' में कई राज का खुलासा किया है. पुस्तक में उन्होंने बताया है कि कैसे इतने लंबे वक्त तक दिल्ली में सीएम की कुर्सी पर काबिज रहीं. बायोग्राफी में शीला दीक्षित ने बताया है कि उनका सियासी करियर काफी असाधारण रहा है. शीला के नाम दिल्ली की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड है. ये रिकॉर्ड ऐसे ही नहीं बन गए. इसके पीछे उनकी राजनीतिक समझ और सूझबूझ का काफी योगदान रहा है.

बेलन से थाली बजा किया चुनाव प्रचार


शीला दीक्षित अपनी पुस्तक में बताती हैं कि किस तरह से वे चुनाव प्रचार के दौरान चांदनी चौक की गलियों में बेलन से थाली बजाकर प्रचार करती थीं जिसमें उन्हें शर्म महसूस होती थी. बाद में उन्होंने अपनी शर्माने की आदत को त्यागा और राजनीति में महारत हासिल किया. वो याद करती हैं कि जब वह पहली बार सीएम बनकर सचिवालय पहुंचीं, तो उनका मन बिल्कुल रोमांचित हो उठा.

उस वक्त दिल्ली की मुख्यमंत्री रही सुषमा स्वराज के साथ मुकाबले का भी ज़िक्र उन्होंने किया है. शीला दीक्षित ने किताब के एक चैप्टर 'इन कैंपेन मोड फॉर देलही' में बताया है कि किस तरह से बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के उन्होंने सूझबूझ से काम लिया. 1998 के दिल्ली असेंबली चुनाव में जो लोग 1984 के दंगों में अभियुक्त थे, उनको चुनाव प्रचार से दूर रखना उनके लिए फायदेमंद रहा.

सुषमा स्वराज से मुकाबले की रोचक कहानी

शीला दीक्षित बताती हैं, 'मुझे याद है कि इंडिया गेट के पास नेशनल स्टेडियम में दर्शकों के सामने एक डिबेट की शूटिंग चल रही थी. डिबेट ने कैंपेन में अहम भूमिका अदा की. डिबेट के दौरान सुषमा स्वराज ने घोषणा की कि दिल्ली को सुरक्षित बनाने के लिए मै रातों में जागूंगी. मैं ये देखने के लिए कि पुलिस ठीक से काम कर रही है कि नहीं, रात में पुलिस स्टेशनों का दौरा करूंगी. इस पर मैंने उत्तर दिया कि सुषमा जी मैं आपको बता देना चाहती हूं कि पुलिस आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है. तो अपनी रातों की नींद खराब करने का क्या फायदा. इसे सुनकर दर्शक उत्साह में खड़े हो गए.'

दिल्ली पुलिस मामले ने बढ़ाई परेशानी

शीला दीक्षित ने इस किताब में लिखा है कि उन्हें जब भी जमीन की जरूरत होती थी तो किस तरह हर बार केंद्र सरकार से पूछना पड़ता था. वो बताती हैं कि चूंकि दिल्ली पुलिस उनके नियंत्रण में नहीं थी, इसलिए पुलिस के मामले में भी उन्हें परेशानियां उठानी पड़ी. यह एक ऐसा मुद्दा है जो कि अरविंद केजरीवाल की ओर से भी बार-बार उठाया जाता रहा है.

सीएनजी स्कीम को बताया भयानक

'माई फर्स्ट रिफॉर्म्स' चैप्टर में जिसमें शीला दीक्षित ने अपनी महत्त्वाकांक्षी सीएनजी स्कीम को लागू किए जाने के बारे में बताया है. स्कीम को किसी भयानक सपने की तरह बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें शुरुआत से ही काफी दिक्कतें आने लगी थीं.

शीला दीक्षित ने लिखा- 'मुझे ऐसा लगता था कि सीएनजी कैंपेन के साथ अगर दिल्ली में ग्रीन कवर को बढ़ाया जाए, तो इससे दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को सफल बनाने में काफी सहयोग मिलेगा. इसके अलावा हर नए बनने वाले मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था और प्लास्टिक बैग के उपयोग में कमी के साथ-साथ सौर ऊर्जा उपयोग को बढ़ाने से दिल्ली के प्रदूषण को घटाने में काफी मदद मिलती.'