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'आप' ने मानी गलती: अब सिर्फ दिल्ली पर फोकस करेगी केजरीवाल सरकार

हार के बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति को बदलते हुए दिल्ली सरकार को 'मिशन विस्तार' से दूर रखने का फैसला किया

Bhasha

एक के बाद एक चुनावी हार से परेशान आम आदमी पार्टी (आप) ने 'मिशन विस्तार' में फौरी तौर पर बदलाव किया है. आप नेतृत्व ने एमसीडी चुनाव में उम्मीदों से उलट नतीजों की समीक्षा में पार्टी के 'मिशन विस्तार' से केजरीवाल सरकार को दूर रखने और ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाने की रणनीति में बदलाव किया है.


गुरुवार को आए निगम चुनाव नतीजों की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को ट्वीट कर चुनाव की रणनीति में गलतियां होने और इनमें सुधार की जरूरत को स्वीकार किया है. केजरीवाल ने दो दिन से जारी समीक्षा का हवाला देते हुये कहा कि कुछ गलतियां हुई हैं, आत्ममंथन कर इनमें सुधार की जरूरत है.

पीएसी बैठक में दो प्रमुख गलतियों को उठाया गया

इससे पहले, आप की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक में पार्टी नेताओं ने विधानसभा और निगम चुनाव की रणनीति में दो प्रमुख गलतियों को उठाया. बैठक में शामिल पार्टी के एक नेता ने बताया कि इसमें केजरीवाल और उनके मंत्रियों का दिल्ली से बाहर दूसरे राज्यों में आप के 'मिशन विस्तार' में बिजी होना. साथ ही ईवीएम की गड़बड़ियों के मुद्दे को गलत तरीके से उठाना शामिल है.

बैठक में नतीजों के तुरंत बाद आप सांसद भगवंत मान, केजरीवाल सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा, विधायक अलका लांबा और पार्टी नेता कुमार विश्वास द्वारा ‘पार्टी लाइन’ से हटकर बयान देने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई.

सूत्रों के मुताबिक चुनाव रणनीति पर सवाल उठाने वालों की दलील थी कि पिछले साल जब दिल्ली वाले डेंगू और चिकुनगुनिया से जूझ रहे थे तब केजरीवाल और उनके मंत्री दिल्ली से बाहर चले गए थे. विपक्ष द्वारा इसे मुद्दा बनाने पर जनता में नाराजगी बढ़ी, जिसकी झलक एमसीडी चुनाव नतीजों में साफ दिखती है.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बने हुए 2 साल से अधिक समय हो चुका है (फोटो: पीटीआई)

ईवीएम में गड़बड़ी मुद्दे को उठाने के तरीके पर सवाल उठे

ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाने के तरीके पर भी पीएसी की बैठक में सवाल उठाये गये. हालांकि ईवीएम के विरोध के पैरोकारों की दलील थी कि यह मुद्दा उठाने से 21वीं सदी की युवा पार्टी द्वारा तकनीक को दुरूस्त करने के लिये उसे चुनौती देने का सकारात्मक संदेश जायेगा. लेकिन जनता में इसका संदेश बिल्कुल उल्टा गया. लोगों को लगा कि आप ईवीएम का विरोध कर नई तकनीक की खिलाफत करने वाली पुरातनपंथी सोच का साथ दे रही है.

पार्टी नेतृत्व ने सभी पक्षों पर विचार के बाद ईवीएम के विरोध की रणनीति फिर से बनाने. केजरीवाल सरकार को 'मिशन विस्तार' से दूर रखते हुये सिर्फ दिल्ली पर फोकस रखने का फैसला किया है.