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लोकसभा चुनाव को लेकर लखनऊ में बीजेपी और संघ का मंथन, राम मंदिर मुद्दे पर भी चर्चा !

लखनऊ-फैजाबाद रोड पर एक रिसॉर्ट में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह संघ और बीजेपी के नेताओं के साथ मंथन में लगे हैं.

Amitesh

लखनऊ-फैजाबाद रोड पर एक रिसॉर्ट में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह संघ और बीजेपी के नेताओं के साथ मंथन में लगे हैं. एक दिन के दौरे पर लखनऊ पहुंचे अमित शाह बीजेपी और संघ के नेताओं के साथ उत्तप्रदेश में लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं. संघ और बीजेपी के नेताओं की तरफ से जमीनी स्तर से आए फीडबैक के आधार पर यूपी में आगे की रणनीति को अंजाम दिया जाएगा.

अमित शाह के साथ बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा दोनों उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा भी शामिल हैं. इसके अलावा बीजेपी के यूपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल, बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव, यूपी बीजेपी के सभी प्रदेश महासचिव, यूपी के संघ के सभी 6 प्रांतों के प्रांत संघचालक, प्रांत कार्यवाह, प्रांत प्रचारक और सह प्रांत प्रचारक भी इस बैठक में शामिल हैं.


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इन दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर लगातार चुनावी राज्यों का दौरा करने में लगे हैं. लेकिन, यूपी की अहमियत का अंदाजा उनको है. पिछली बार लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी के बढ़े ग्राफ ने ही पार्टी को इतनी बड़ी सफलता दिलाई थी.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी सहयोगी अपना दल के साथ मिलकर यूपी की 80 में से 73 सफलता पाई थी. इस बार भी अगर बीजेपी को केंद्र में सत्ता हासिल करने के लिए यूपी से बड़ी जीत दर्ज करनी होगी. यही वजह है कि अमित शाह यूपी में संघ और बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव की तैयारी और उन मुद्दों को धार देने में लगे हैं.

राम मंदिर मुद्दे पर चर्चा !

अमित शाह का लखनऊ दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब यूपी समेत देश भर में राम मंदिर मुद्दे को लेकर फिर से चर्चा गरमाने लगी है. खासतौर से संघ परिवार के मुखिया मोहन भागवत की तरफ से मंदिर बनाने को लेकर कानून बनाने की मांग के बाद से बीजेपी के उन नेताओं को बोलने का मौका मिल गया है जो राम मंदिर के मुद्दे पर मुखर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने देश के मुसलमानों को भगवान श्रीराम का वंशज बताया तो मुख्तार अब्बास नकवी ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम को सभी हिंदुस्तानियों का वंशज बताया. यहां तक कि खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी अयोध्या में राम मंदिर जल्द बनने की बात कही है.

उधर, साधु-संतों ने भी पहले ही विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी के साथ मिलकर मंदिर मुद्दे को लेकर अपना आंदोलन तेज करने की बात कह दी है. एक बार फिर राम मंदिर चुनाव से पहले राजनीति के केंद्र में आ गया है. बीजेपी को लगता है कि अगर राम मंदिर मुद्दे पर राजनीति होगी और यह मसला जितना उछलेगा उसका फायदा उसे ही होगा.

सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा माहौल को देखते हुए लखनऊ में संघ और बीजेपी नेताओं के साथ बैठक में राम मंदिर मुद्दे पर संभावति फायदे और नुकसान और उस पर रणनीति पर भी चर्चा होगी. बीजेपी सोच-समझकर राम मंदिर पर आगे बढ़ना चाह रही है, क्योंकि फिलहाल इस पर 29 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है.

लोकसभा चुनाव के मुद्दों पर चर्चा

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की लखनऊ में बीजेपी और संघ के नेताओं के साथ चल रहे मंथन में लोकसभा चुनाव को लेकर उठाए जा रहे हर मुद्दे पर भी चर्चा हो रही है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में बताया, ‘इस बैठक में राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी की रणनीति के अलावा सवर्णों की नाराजगी दूर करने की कोशिश पर भी रणनीति बनेगी.’

बैठक में योगी सरकार में फेरबदल पर भी चर्चा संभव है. माना जा रहा है कि कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव किया जा सकता है. जबकि कुछ की छुट्टी भी संभव है. जाति और क्षेत्र में संतुलन बनाने के लिए कुछ नए मंत्रियों को भी शामिल किया जा सकता है.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा के उपचुनाव में पार्टी की हार के कारण और उसको ध्यान में रखकर आगे की रणनीति पर भी चर्चा होगी. क्योंकि बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता उसके खिलाफ संभावित महागठबंधन को लेकर है.

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह हालाकि बीजेपी के वोट प्रतिशत बढ़ाने की बात कर चुके हैं, जिसे बढ़ाकर वो 51 प्रतिशत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. लेकिन, उन्हें भी पता है कि एसपी-बीएसपी का गठबंधन हो जाए तो फिर परेशानी बीजेपी को हो सकती है. इसके अलावा बीजेपी के लिए सवर्णों के साथ-साथ एससी-एसटी को भी साधना बड़ी चुनौती है. क्योंकि ऐसा किए बगैर बीजेपी के लिए 2014 की सफलता को दोहराना मुश्किल होगा.

संघ और सरकार में समन्वय की कोशिश

प्रतीकात्मक तस्वीर

संघ सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के साथ बैठक में संघ, संगठन और सरकार में समन्वय बनाए रखने पर भी चर्चा होगी, क्योंकि बीजेपी केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर सत्ता में है. ऐसे में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में दोहरे स्तर पर एंटीइंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है. यही वजह है कि सरकार से तालमेल के आधार पर संघ और बीजेपी संगठन की तरफ से सरकार की योजनाओं और उसके फायदे को जमीनी स्तर तक बताने की कवायद की जा रही है.

हालांकि इस बात की चर्चा काफी पहले से है कि बीजेपी के मौजूदा सांसदों में से करीब आधे सांसदों का टिकट कट जाएगा. बीजेपी की तरफ से एंटीइंबेंसी फैक्टर रोकने के लिए कुछ सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं. संघ के साथ बैठक में यूपी के सांसदों के रिपोर्ट कार्ड पर भी चर्चा होगी. संघ के पदाधिकारियों की तरफ से आए फीडबैक को भी इस संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.