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‘जेएनयू में टैंक लगाना है तो संसद में ट्रैक्टर लगा दो, पीएम के घर संविधान की किताब भी रख दो’

मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं पर लगाम कसने के लिए शेहला ने देश में एक सामाजिक आंदोलन की जरूरत बताई

FP Staff

जेएनयू के वाइस चांसलर ने छात्रों में देशभक्ति जगाने के लिये कैंपस में टैंक लगाने की मांग की थी. जिस पर जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद शोरा बरस पड़ीं.

फ़र्स्टपोस्ट के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि न सिर्फ जेएनयू में टैंक खड़े किए जाएं बल्कि संसद में ट्रैक्टर खड़े किए जाएं ताकि सरकार और सांसद किसानों की समस्याओं को लेकर संवेदनशील हो सकें वहीं उन्होंने पीएम मोदी के घर भी संविधान की किताबें रखने की बात की ताकि पीएम मोदी छात्रों की समस्याओं को समझ सकें. शेहला रशीद ने केंद्र सरकार पर देश की व्यवस्था को संभालने में नाकाम होने का आरोप लगाया.


छात्र राजनीति में प्रवेश करने वाली शेहला अपनी पहचान नारी शक्ति के तौर पर बनाना चाहती हैं. उनका मानना है कि समाज में सबसे कमजोर स्थिति इस वक्त महिलाओं की है. उनका कहना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण की बेहद जरूरत है. साथ ही उन्होंने ट्रिपल तलाक को बेहद असंवेदनशील बताया.

शेहला ने बीजेपी पर कांग्रेस की राह पर चलने का आरोप  लगाते हुए कहा कि गाय को लेकर कानून पहले कांग्रेस बनाया और बीजेपी ने उसे सख्ती से लागू किया. गौरक्षा के नाम पर हो रही गुंडागर्दी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये सुनियोजित घटनाएं हैं जो कि अब धीरे-धीरे सामान्य बात होती जा रही है और ये चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि जिस तरह का माहौल देश में धर्म के नाम पर बन रहा है वो भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है.

मॉब नहीं जॉब चाहिए

मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर उन्होने कहा कि ये किसी खास धर्म के साथ नहीं बल्कि हर वर्ग के साथ हो रहा है. मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं पर लगाम कसने के लिए उन्होंने देश में एक सामाजिक आंदोलन की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम लोग खुद ये तय करें कि न तो हम देश में ऐसी हिंसा होने देंगे और न इसका हिस्सा बनेंगे.

उन्होंने कहा कि सभी को साथ मिलकर सामाजिक स्तर पर ये कहना होगा कि हमें मॉब नहीं जॉब चाहिए. 'जबतक हिंदू और मुसलमान एकजुट हो कर ये नहीं कहेंगे कि हमारे घर खाना नहीं है, हमारे घर चूल्हा नहीं है, शिक्षा नहीं है तबतक आपस में लड़ाया जाएगा...’

शेहला रशीद ने कि देश में सभी वर्ग के लोगों को सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार भोजन मिले और देश को किसानी की खुदकुशियों से मुक्ति मिले. उन्होंने कहा कि जबतक देश में लोग बुनियादी मुद्दों पर एकजुट नहीं होंगे तबतक देश में कभी सांप्रदायिक तो कभी जातिगत संघर्ष देखने को मिलता रहेगा.

महिलाओं की राजनीति में भागेदारी बढ़ाने के लिये उन्होंने सामाजिक आंदोलन के जरिये महिलाओं की दावेदारी बढ़ाने की बात की. वहीं उन्होंने कहा कि बड़े कॉलेजों में दलितों को दाखिला नहीं मिलना एक सामान्य बात नहीं हो सकती.

कश्मीर के मुद्दे पर उन्होंने वहां लोकतंत्र के फेल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि लोगों के पास समाधान की कोई दिशा ही नहीं है. महबूबा सरकार अवाम के बीच अपना भरोसा खो बैठी है .

उन्होंने कहा कि वो राजनीति में जरूर उतर चुकी हैं लेकिन भविष्य में किस राजनीतिक दल को ज्वाइन करेंगी फिलहाल ये तय नहीं किया है.